आतंकवाद का आरोप नहीं, गैंगस्टर का केस नहीं, फिर भी अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर 50 मिलियन डॉलर (लगभग 4 अरब रुपये) का इनाम घोषित किया है। यह राशि अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन और इस्लामिक स्टेट के अबू बकर अल-बगदादी से दोगुनी है। अमेरिका ने इन दोनों आतंकवादियों पर 25 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था। सवाल यह है कि अमेरिका वेनेजुएला के राष्ट्रपति को पकड़ने के लिए इतना पैसा क्यों खर्च कर रहा है?
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के अनुसार, निकोलस मादुरो ड्रग तस्करी गिरोह के सरगना हैं और उनके कहने पर ही अमेरिका में खतरनाक ड्रग्स की तस्करी की जा रही है। अमेरिकी जांच एजेंसी के अनुसार, वेनेजुएला दुनिया भर में ड्रग तस्करी के लिए एक ब्रिज के रूप में काम करता है, जहां से हर साल लगभग 250 मीट्रिक टन ड्रग्स की तस्करी की जाती है।
ब्रिटिश अखबार डेली मेल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध ईरानी प्रवासियों को वेनेजुएला अपने पासपोर्ट के माध्यम से अमेरिका भेज रहा है। रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई है कि फर्जी पासपोर्ट के जरिए कुछ आतंकवादी भी वेनेजुएला के रास्ते अमेरिका में घुस गए हैं।
अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी ने बताया कि मादुरो सीधे तौर पर नशीली दवाओं की तस्करी में शामिल हैं, इसलिए इनाम को दोगुना करने का फैसला किया गया है। वेनेजुएला के विदेश मंत्री इवान गिल ने टेलीग्राम पर एक पोस्ट में इसे बकवास बताया है।
अमेरिका और वेनेजुएला के बीच विवाद पुराना है। 1999 में ह्यूगो चावेज ने वेनेजुएला का नेतृत्व संभाला और अमेरिकी साम्राज्यवाद के खिलाफ मोर्चा खोला। अमेरिका ने चावेज को शांत करने के लिए तख्तापलट का प्रयास भी किया, लेकिन सफल नहीं हो सका। चावेज ने वेनेजुएला में कम्युनिस्ट विचारधारा का बीज बोया, जिससे अमेरिका परेशान था। निकोलस मादुरो, चावेज के राजनीतिक शिष्य हैं और वे भी अमेरिका के खिलाफ कूटनीतिक रूप से आक्रामक रुख अपनाते हैं।