इजराइल की सुरक्षा कैबिनेट ने गाजा पट्टी पर कब्जे की योजना को हरी झंडी दे दी है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने इसकी पुष्टि की है। दिलचस्प बात यह है कि इजराइली सेना और उसके प्रमुख ने इस योजना पर आपत्ति जताई थी, जबकि बड़ी संख्या में आम इजराइली नागरिक भी इसके पक्ष में नहीं हैं।
खबरों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस फैसले का विरोध नहीं किया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे और फैसला इजराइली सरकार पर छोड़ देंगे। ट्रंप का यह रुख चौंकाने वाला है, क्योंकि कुछ समय पहले तक वे नेतन्याहू और हमास के बीच युद्धविराम करवाने की कोशिश कर रहे थे और नेतन्याहू से गाजा में भुखमरी की स्थिति को देखते हुए युद्ध खत्म करने की अपील भी कर चुके थे।
इजराइली सिक्योरिटी कैबिनेट ने सेंट्रल गाजा के बड़े हिस्से, जिसमें गाजा सिटी भी शामिल है, पर कब्जा करने और लगभग 10 लाख फिलिस्तीनी नागरिकों को विस्थापित करने की योजना को मंजूरी दी है। सेना उन इलाकों में भी जाएगी जहां बंधकों के होने की आशंका है, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है।
एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि हाल ही में हमास द्वारा जारी किए गए एक वीडियो को ट्रंप के बदले रुख की वजह माना जा रहा है। इस वीडियो में एक इजराइली बंधक को अपना कब्र खोदते दिखाया गया था। अधिकारी के अनुसार, इसने राष्ट्रपति को झकझोर दिया और उन्होंने तय किया कि इजराइल जो जरूरी समझे, वही करे।
नेतन्याहू और उनके सहयोगियों का कहना है कि हमास ऐसी व्यापक युद्धविराम और बंधक समझौते की शर्तों पर तैयार नहीं है, जिसे इजराइल स्वीकार कर सके। उनका मानना है कि केवल सैन्य दबाव ही हमास को झुका सकता है। वहीं इजराइली सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल एयाल जामिर ने चेतावनी दी थी कि यह कदम बंधकों की जान जोखिम में डाल सकता है और इजराइल को गाजा में सीधे सैन्य शासन के जाल में फंसा सकता है, जहां उसे 20 लाख फिलिस्तीनियों की पूरी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।