
तुर्की, 99% मुस्लिम आबादी वाला देश, एक ऐसे अप्रत्याशित बदलाव से गुजर रहा है जिसने दुनिया भर के मुस्लिमों को चौंका दिया है। देश की युवा पीढ़ी ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा ट्रेंड शुरू किया है, जिसने धार्मिक पहचान, परंपरा और पीढ़ीगत विभाजन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
**Viral Trend ने छेड़ी बहस**
यह सब दिसंबर 2025 में टिकटॉक पर शुरू हुआ, एक ऐसा ट्रेंड जिसने सभी को हैरान कर दिया। तुर्की के जेन-जेड (Gen-Z) ने ऐसे वीडियो पोस्ट करने शुरू किए, जिनमें वे कथित तौर पर नमाज़ (इस्लामी प्रार्थना) का मज़ाक उड़ाते हुए नज़र आ रहे हैं। नमाज़ इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, और इस तरह का व्यवहार चिंता का विषय बन गया है।
इन वायरल क्लिप्स में, युवा तुर्क प्रार्थना का दिखावा करते हैं, सजदे के दौरान मुस्कुराते हैं, और फिर अचानक गिर जाते हैं। कुछ वीडियो में प्रार्थना के दौरान लापरवाही भरा रवैया दिखाया गया है। ऐसे ही एक वीडियो को एक सप्ताह में 1 मिलियन से अधिक व्यूज मिले।
**दुनिया भर से आई प्रतिक्रिया**
दुनिया भर के मुस्लिम समुदायों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। टिप्पणियों में पूछा जा रहा है कि तुर्की के युवाओं के साथ क्या हो रहा है: “उनके माता-पिता को इस पर ध्यान देना चाहिए”, “अल्लाह उन्हें मार्गदर्शन दे”, “हमारे पूर्वज क्या सोचते होंगे?”
**ट्रेंड के पीछे की वजहें**
तुर्की 99% मुस्लिम देश है और राष्ट्रपति एर्दोगन ने शासन में इस्लामी मूल्यों पर जोर दिया है। इसके बावजूद, देश के युवा पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं से दूरी प्रदर्शित कर रहे हैं। इसके पीछे क्या कारण हैं?
विश्लेषक दो मुख्य कारकों की ओर इशारा करते हैं:
1. **टीवी सीरीज का प्रभाव:** यह ट्रेंड तुर्की की टीवी सीरीज “कुर्टलर वदिसी” (Kurtlar Vadisi) के एक दृश्य का संदर्भ हो सकता है, जिसमें एक इमाम नमाज़ के दौरान मर जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि युवा इस नाटकीय क्षण को फिर से बना रहे हैं।
2. **अनिवार्य धार्मिक शिक्षा का विरोध:** विशेषज्ञ इसे अनिवार्य धार्मिक शिक्षा के खिलाफ एक प्रतिक्रिया के रूप में देख रहे हैं। सरकार ने स्कूलों में इस्लामी शिक्षा बढ़ा दी है, और कुछ युवा तुर्क जबरन धर्म थोपे जाने से असहजता व्यक्त कर रहे हैं।
कई पर्यवेक्षक इसे केमालिज्म से जोड़ते हैं, जो तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा थी। अतातुर्क ने ओटोमन साम्राज्य के पतन के बाद धर्म और राज्य को अलग करने की वकालत की थी।
**सर्वेक्षण के चौंकाने वाले आंकड़े**
सर्वेक्षण तुर्की के युवाओं के बीच धार्मिक पहचान में महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाते हैं:
* 2025 KONDA सर्वेक्षण के अनुसार, “धार्मिक” के रूप में पहचान करने वालों की संख्या 55% से घटकर 46% हो गई है।
* गैर-धार्मिक नागरिकों की संख्या 2% से बढ़कर 8% हो गई है।
* 18-24 वर्ष के आयु वर्ग में, 11% खुद को गैर-धार्मिक मानते हैं।
* केवल 18.4% युवा तुर्क खुद को “कट्टर मुस्लिम” मानते हैं।
ये आंकड़े बताते हैं कि तुर्की की युवा पीढ़ी धार्मिक पालन के संबंध में अलग-अलग रास्ते चुन रही है।
**इसका क्या मतलब है?**
तुर्की का यह सोशल मीडिया ट्रेंड इस बात पर व्यापक प्रश्न उठाता है कि युवा पीढ़ी विरासत में मिली परंपराओं से कैसे जुड़ती है। यह राज्य-प्रचारित धार्मिक मूल्यों और व्यक्तिगत पसंद के बीच तनाव को उजागर करता है। यह ट्रेंड जरूरी नहीं कि धर्म-विरोधी हो; यह संभवतः युवा पीढ़ी द्वारा यह सवाल उठाने का तरीका है कि धर्म का अभ्यास कैसे किया जाना चाहिए, न कि यह कि किया जाना चाहिए या नहीं।






