
पाकिस्तान की सेना के प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के शासन में, जहाँ एक ओर बांग्लादेश की युनुस सरकार पाकिस्तान के सामने झुक रही है, वहीं दूसरी ओर खतरनाक तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) आसमान में एक नए तूफ़ान की तैयारी कर रहा है। TTP जल्द ही अपनी ‘एयर फ़ोर्स’ के ज़रिए दोगुने रफ़्तार से हवाई हमले करने की योजना बना रहा है, जबकि जनरल मुनीर की सेना बिस्किट और कॉर्नफ्लेक्स बनाने में व्यस्त है।
TTP ने 2026 के लिए अपनी संगठनात्मक संरचना में बड़े बदलावों की घोषणा की है। इस घोषणा का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा है ‘एक समर्पित वायु सेना इकाई’ का गठन। यह इकाई सेलमीन हक़क़ानी के नेतृत्व में होगी और 2026 के अंत तक पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगी। यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि एक प्रतिबंधित आतंकवादी समूह अपनी वायु सेना कैसे बना सकता है।
TTP की वायु सेना मुख्य रूप से क्वाडकॉप्टर ड्रोन के संचालन पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें उन्हें खैबर पख्तूनख्वा में पहले से ही महारत हासिल है। लेकिन एक औपचारिक इकाई का मतलब है कि अब समन्वित हमले, बेहतर ड्रोन क्षमताएं और बड़े पैमाने पर हवाई हमलों का ख़तरा बढ़ जाएगा। इस साल TTP ने अकेले खैबर पख्तूनख्वा में 54 से अधिक ड्रोन हमले किए हैं, जिनमें उत्तरी वज़ीरिस्तान और बन्नू सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। बन्नू में हुए 20 ड्रोन हमलों में 9 नागरिक मारे गए और 19 पुलिस अधिकारी घायल हुए। ये हमले सामान्य चीनी क्वाडकॉप्टर ड्रोन से किए गए थे, जिन पर विस्फोटक लदे थे। अब कल्पना करें कि अगर TTP के हाथों में सैन्य-ग्रेड ड्रोन आ जाएं तो क्या होगा?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि TTP को ये सैन्य ड्रोन कहाँ से मिलेंगे? अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत केवल संप्रभु राष्ट्रों को ही वायु सेना संचालित करने की अनुमति है। TTP कानूनी रूप से ड्रोन या लड़ाकू जेट नहीं खरीद सकता। लेकिन उनकी घोषणा ने पाक सेना में हड़कंप मचा दिया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वही जनरल मुनीर, जो TTP की वायु सेना से डरते हैं, उन पर खुद आतंकवादियों को हथियार सप्लाई करने का आरोप है। रिपोर्टों के अनुसार, मुनीर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के बावजूद लीबिया के विद्रोही ‘लीबियन नेशनल आर्मी’ को 33,500 करोड़ रुपये के JF-17 लड़ाकू विमान, उन्नत टैंक और भारी सैन्य उपकरण बेचे थे। जिस तरह पाकिस्तान ने लीबिया के विद्रोहियों को हथियार दिए, उसी तरह अफगानिस्तान या काला बाज़ार के ज़रिए TTP को ड्रोन सप्लाई किए जा सकते हैं।
और जब TTP अपनी वायु सेना बना रहा है, तब जनरल मुनीर की सेना क्या कर रही है? वे साबुन, डिटर्जेंट, बिस्किट, कॉर्नफ्लेक्स और दूध जैसे नागरिक उपयोग के सामान का उत्पादन कर रहे हैं। इमरान खान की पार्टी ने इन उत्पादों के वीडियो जारी करके इस ‘व्यावसायिक सेना’ का मज़ाक उड़ाया है। TTP का लक्ष्य अफगान तालिबान की तरह इस्लामाबाद पर कब्ज़ा करना है। वे पाकिस्तान के ‘गैर-इस्लामिक’ संविधान के खिलाफ अपने जिहाद को ‘रक्षात्मक’ बताते हैं। जबकि मुनीर की सेना नाश्ता बना रही है, जिहादी हवाई हमलों की तैयारी कर रहे हैं। आसमान अब कोई सीमा नहीं है, बल्कि यह एक नया युद्धक्षेत्र है, जिसके लिए जनरल मुनीर पूरी तरह से अप्रस्तुत हैं।





