अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, क्रेमलिन और बीजिंग ने एक गुप्त युद्ध छेड़ दिया है जो अमेरिका को कमजोर कर रहा है। यह जासूसी का युद्ध है जिसमें अमेरिकी तकनीकों को चुराकर उनकी नकल की जा रही है। अब तक, चीन को इसमें माहिर माना जाता था, लेकिन रूस ने भी यह काम शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि रूस ने अमेरिकी सेना में सेंध लगाई है। पुतिन का जासूस दिन-रात सेना की गोपनीय जानकारी चुराकर रूस को दे रहा था, जिसे अब गिरफ्तार कर लिया गया है।
अमेरिका जिन हथियारों पर खुद को सबसे आगे समझता है और अपनी ताकत का दावा करता है, वही हथियार अब उसके लिए संकट बन गए हैं। जिन सैनिकों के दम पर अमेरिका दुनिया में कहीं भी ऑपरेशन का दावा करता है, वही सैनिक अब इस संकट का कारण बन गए हैं। यह जासूस कोई रूसी नहीं है, बल्कि रूसी जासूसी का स्तर यह है कि उसके जासूस अमेरिकी सेना में ही सक्रिय हैं।
अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, अमेरिकी टैंकों की संवेदनशील जानकारी चुराई जा रही थी। यह जानकारी रूसी सरकार को भेजी जा रही थी और इसमें अमेरिकी सेना का एक सैनिक शामिल था। इस जासूस सैनिक को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया। टेलर एडम ली, जो टेक्सास के फोर्ट ब्लिस में तैनात था, अमेरिकी टैंकों की जानकारी रूस तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। माना जा रहा है कि यहीं से M1A2 अब्राम्स टैंक को नियंत्रित करने वाली तकनीक चुराई गई और रूस को भेजी गई। इसके अलावा, एक अन्य बख्तरबंद लड़ाकू वाहन का डेटा भी उसके पास मिला है।
हालांकि, जासूस को जानकारी रूस तक पहुंचने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन दावा है कि रूस के पास अब्राम्स टैंक की कई महत्वपूर्ण डिटेल पहले ही पहुंच चुकी हैं, जिसके बाद रूस ने इस टैंक की नकल कर ली है। इस दावे में कितनी सच्चाई है, यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह तय है कि रूस और चीन अमेरिका में जासूसी अभियान चला रहे हैं। इसका प्रमाण है चीन के जासूसों की गिरफ्तारी। दरअसल, चीन के दो नागरिकों को कैलिफ़ोर्निया से गिरफ्तार किया गया है, जिन पर Nvidia AI चिप्स को अवैध रूप से चीन भेजने का आरोप है, जिनमें H100 सहित करोड़ों की लागत वाली AI चिप्स शामिल हैं। हालांकि, यह गिरफ्तारी जासूसी के आरोप में नहीं, बल्कि लाइसेंस न होने के आरोप में की गई, लेकिन दावा है कि चीन अमेरिकी तकनीक की नकल करके दुनिया के हार्डवेयर मार्केट पर पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है।