यूक्रेन युद्ध के विस्तार की आशंका बढ़ गई है, क्योंकि खुफिया जानकारी के अनुसार, यूक्रेन पर कब्ज़ा करने के बाद पुतिन रूस का विस्तार कर सकते हैं। इससे बाल्टिक देशों में चिंता बढ़ गई है। नाटो ने बाल्टिक देशों में बड़ी तैनाती की है, जबकि रूस ने बेलारूस में युद्ध अभ्यास शुरू कर दिया है। नाटो और रूस के आक्रामक रवैये से संकेत मिलता है कि यूक्रेन के बाद युद्ध का केंद्र बाल्टिक देश या बेलारूस हो सकता है।
यूरोप में विनाश की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। रूस और नाटो के बीच किसी भी समय टकराव शुरू हो सकता है। दोनों तरफ से बड़े युद्ध की तैयारी चल रही है। नाटो ने लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया, फिनलैंड और पोलैंड जैसे देशों सहित कई मोर्चों पर बड़ी तैनाती की है। इनमें से दो मोर्चों पर अमेरिका परमाणु हथियारों की तैनाती करने जा रहा है। यह तैनाती कहां होगी, यह गोपनीय है। पोलैंड में पहले से ही अमेरिका का एटमी बेस है। यानी, रूस को परमाणु खतरे का डर दिखाने के लिए नाटो ने पूरा जाल बिछा लिया है। एक तरफ, यूक्रेन मोर्चे से रूस पर हमले कराए जा रहे हैं। इसके अलावा, नाटो देशों में तैनाती करके रूस पर हमला करने की योजना है।
नाटो को संकेत मिले हैं कि रूस बेलारूस में परमाणु अभ्यास करने वाला है। कैलिनिनग्राद में रूस ने बॉम्बर्स को युद्ध के लिए तैयार कर दिया है। बाल्टिक देशों की सीमाएं सील कर दी गई हैं। इसके अलावा, फिनलैंड की सीमा पर रूस ने रक्षा प्रणाली स्थापित कर दी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस ने बाल्टिक सागर में दो पनडुब्बियां भी तैनात की हैं। इसका मतलब है कि रूस बाल्टिक सागर में कुछ बड़ा करने वाला है। खुफिया रिपोर्ट में सामने आया है कि लिथुआनिया में नाटो ने तैनाती बढ़ाई है और सीमा को अभेद्य बना दिया है, जिससे रूसी परमाणु बेस कैलिनिनग्राद की सीमा कभी भी सुलग सकती है। बाल्टिक के पास रूस का परमाणु बेस कैलिनिनग्राद है, जिसकी सीमा बाल्टिक देश लिथुआनिया से लगती है।
कैलिनिनग्राद-लिथुआनिया बॉर्डर लगभग 261 किमी लंबा है, जिस पर रूस ने 5-लेयर सुरक्षा चक्र बनाया है, जिससे उसका परमाणु बेस अभेद्य बन गया है। पहली परत में गहरी खाई है। दूसरी परत में बारूदी सुरंगें बिछाई गई हैं। तीसरी परत में टैंक बटालियनें तैनात हैं। चौथी परत में हवाई रक्षा प्रणाली तैनात है, जो मिसाइल हमलों को रोकेगी, जबकि पांचवीं परत में रूसी सैनिक हैं, जो आमने-सामने की लड़ाई के लिए तैयार हैं।
बेलारूस एक महीने में 6 युद्ध अभ्यास करने जा रहा है, जिसमें रूसी सैनिक भी शामिल हो रहे हैं। ZAPAD 2025 के नाम से अभ्यास शुरू किया गया है। इसमें बेलारूस और रूस की अलग-अलग बटालियनें शामिल होंगी, जिसे बेलारूस के विभिन्न हिस्सों में किया जाएगा, लेकिन सबसे ज्यादा युद्ध अभ्यास बेलारूस-पोलैंड बॉर्डर पर होगा। गुप्त रिपोर्ट के अनुसार, बेलारूस के इस अभ्यास के पीछे रूस है, जो इस दौरान परमाणु अभ्यास भी करेगा। इसकी भनक नाटो को भी लग चुकी है। यही वजह है कि नाटो लगातार बेलारूस पर निगरानी रख रहा है। उसने अपने जासूसों को सक्रिय कर दिया है। इसके अलावा, उपग्रहों से भी नजर रखी जा रही है और पोलैंड के हवाई क्षेत्र से टोही विमान जासूसी कर रहे हैं। नाटो किसी भी तरह से बेलारूस के अभ्यास को रोकना चाहता है। इसके लिए वह लुकाशेंको विरोधी खेमे को सक्रिय करके बेलारूस में राजनीतिक अस्थिरता लाने की कोशिश कर रहा है।