भारत दौरे पर आए फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के एक बयान के बाद चीन भड़क गया है. दरअसल, नई दिल्ली में एक सवाल के जवाब में राष्ट्रपति मार्कोस ने कहा कि ताइवान पर चीन के साथ युद्ध की स्थिति में फिलीपींस ताइवान का साथ देगा, जिस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. चीन ने कहा कि फिलीपींस आग से खेल रहा है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ताइवान उसका आंतरिक मामला है और मनीला इस पर बयान देकर स्थिति को बिगाड़ रहा है. चीन ने चेतावनी दी है कि फिलीपींस को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
नई दिल्ली में एक इंटरव्यू के दौरान राष्ट्रपति मार्कोस ने कहा कि अगर ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच युद्ध होता है तो फिलीपींस को इसमें शामिल होना पड़ेगा, क्योंकि फिलीपींस को अपने क्षेत्र की रक्षा करना ज़रूरी है. मार्कोस ने चीन पर विस्तारवादी नीति अपनाने का आरोप लगाया, साथ ही ताइवान को घेरने और दक्षिण चीन सागर में जहाजों की संख्या बढ़ाने का भी आरोप लगाया.
फिलीपींस अब तक ताइवान को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं देता था, लेकिन अब उसके रुख में बदलाव आया है, जिससे चीन चिंतित है. चीन का कहना है कि फिलीपींस आग से खेल रहा है और उसे सावधान रहने की ज़रूरत है. चीन का मानना है कि फिलीपींस अपने वादों से मुकर रहा है, क्योंकि वह ताइवान को अलग राष्ट्र नहीं मानता, फिर भी ऐसा बयान दे रहा है. अमेरिका और फिलीपींस जैसे कई देश ताइवान को अलग देश नहीं मानते, हालांकि अमेरिका ताइवान को हथियार देता है.
चीन ने मार्कोस के बयान को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है और कहा है कि इससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा. चीन और फिलीपींस के बीच दक्षिण चीन सागर में स्कारबोरो शोल और अन्य क्षेत्रों को लेकर विवाद है. 2012 में चीन ने स्कारबोरो शोल पर कब्जा कर लिया था. 2016 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने चीन के खिलाफ फैसला सुनाया, लेकिन चीन ने इसे नहीं माना. 2024 में, चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपना समुद्री बेड़ा उतारकर फिलीपींस के साथ टकराव बढ़ा दिया।