
पाकिस्तान इस वक्त घोर संकट में है। देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति, सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर, मौलानाओं के सामने गिड़गिड़ाते हुए नजर आए, आदेश देते हुए नहीं, बल्कि मदद मांगते हुए। वहीं, दूसरी तरफ अफगानिस्तान में 2,000 मौलवी इकट्ठा हुए और पाकिस्तान के खिलाफ ‘पवित्र युद्ध’ (जिहाद) का ऐलान कर दिया। यह सिर्फ दो सम्मेलनों की बात नहीं है, बल्कि यह फतवों की एक जंग है जो पाकिस्तान के अस्तित्व का फैसला करेगी।
**मुनीर की बेचारगी: जब सेना मौलानाओं के सामने झुकी**
इस्लामाबाद में राष्ट्रीय उलेमा सम्मेलन में जनरल मुनीर ने तीन चौंकाने वाले खुलासे किए, जो पाकिस्तान के अंदरूनी पतन की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने मौलानाओं से देश की एकता बनाए रखने की अपील की, क्योंकि पाकिस्तान अंदर से टूट रहा है। मुनीर ने कहा कि अब मस्जिदों को वह काम करना होगा जो सेना नहीं कर पा रही है: देश को एकजुट रखना।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिहाद का ऐलान केवल ‘राज्य’ कर सकता है, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) या तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) जैसे समूह नहीं। यह इस बात का सीधा स्वीकार है कि चरमपंथी संगठनों ने राज्य से धार्मिक अधिकार छीन लिया है। सेना प्रमुख ने उलेमाओं से यह भी विनती की कि वे पाकिस्तानियों को उन विद्रोही समूहों में शामिल होने से रोकें जो सेना पर हमले कर रहे हैं। इसका मतलब है कि पाकिस्तान के अपने ही नागरिक मुनीर की सेना के खिलाफ हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भी इस हताशा को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हमें अलगाववादियों को समझाने में मदद करें। एकता का प्रचार करें। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बचाएं।” जब किसी देश का प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख मौलानाओं के सामने गिड़गिड़ाने पर मजबूर हो जाएं, तो समझ लीजिए कि स्थिति कितनी गंभीर है।
**इस घबराहट की वजह: TTP का रॉकेट हमला**
हालिया फुटेज में TTP के आतंकवादी खैबर पख्तूनख्वा में रॉकेट लॉन्चर से पाकिस्तानी सेना के वाहनों को तबाह करते हुए दिख रहे हैं। हजारों की संख्या में तालिबान लड़ाके पहाड़ी दर्रों से होते हुए पाकिस्तान में घुस रहे हैं। वह सेना, जिसका एक समय सब कुछ नियंत्रण में था, अब कुछ भी नियंत्रित नहीं कर पा रही है।
**अफगानिस्तान का पलटवार: असली उलेमा सम्मेलन**
जब मुनीर इस्लामाबाद में गिड़गिड़ा रहे थे, उसी समय काबुल ने अपना जवाब जारी कर दिया। अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों के 2,000 से अधिक धार्मिक विद्वानों ने तीन विनाशकारी घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और तालिबान शासन की रक्षा करना हर नागरिक का धार्मिक कर्तव्य है। किसी भी विदेशी आक्रामकता से लड़ना ‘पवित्र जिहाद’ है, जो पाकिस्तान के लिए सीधी चेतावनी है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के किसी भी हमले का जवाब ऐसे परिणामों से मिलेगा जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता। यह कोई सम्मेलन नहीं था, बल्कि यह धार्मिक लामबंदी का आदेश था। अब हर अफगान को पाकिस्तान के खिलाफ पवित्र युद्ध छेड़ने की आध्यात्मिक अनुमति मिल गई है।
**फैसला: पाकिस्तान पहले ही हार चुका है**
सेना प्रमुख मुनीर चारों तरफ से दुश्मनों से घिरे हैं: अंदर से TTP के रॉकेट, अफगानिस्तान से तालिबान की घोषणाएं, और पाकिस्तानी मौलाना जो उनके ‘अमेरिकी संबंधों’ से नफरत करते हैं।






