
पाकिस्तान की सेना केवल सीमाओं की रक्षा करने वाला एक संगठन नहीं, बल्कि एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य बन गई है। बलूचिस्तान के कार्यकर्ता मीर यार बलोच ने एक वीडियो जारी कर इस हकीकत को सामने लाया है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तानी सेना के गहरे और फैले हुए व्यावसायिक हितों का खुलासा किया है। उनका कहना है कि सेना सिर्फ युद्ध के मैदान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बिस्किट, मक्खन, बेकरी से लेकर एयरलाइंस, बैंकों, रियल एस्टेट और यहां तक कि टीवी धारावाहिकों तक में सक्रिय है।
मीर यार बलोच, जो लंबे समय से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठा रहे हैं, ने इस वीडियो के माध्यम से बताया है कि कैसे सेना का दखल देश के हर क्षेत्र में फैला हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के अधिकांश सभ्य देशों में सेना का काम देश की सीमाओं की सुरक्षा करना और नागरिकों को बाहरी खतरों से बचाना होता है। लेकिन पाकिस्तान में, सेना एक बिल्कुल अलग भूमिका निभा रही है। उनके अनुसार, सेना सीमेंट कारखानों का संचालन करती है, टीवी धारावाहिकों का उत्पादन करती है, अनाज के कारोबार को नियंत्रित करती है और रियल एस्टेट क्षेत्र के बड़े हिस्से पर कब्जा जमाए हुए है, जिससे यह एक शक्तिशाली वाणिज्यिक इकाई बन गई है।
इसे देश का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट समूह बताते हुए, मीर यार ने कहा कि पाकिस्तान की सेना अरबों कमा रही है, जबकि देश की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है। यह तब हो रहा है जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है और आम नागरिकों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। एक गरीब राष्ट्र और एक बेहद अमीर सेना के बीच यह स्पष्ट विरोधाभास है।
मीर यार ने सेना के युद्ध रिकॉर्ड पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “78 वर्षों में, पाकिस्तान की सेना ने एक भी बड़ी जीत हासिल नहीं की है”। उन्होंने भारत के साथ 1947, 1965 और 1971 के युद्धों के साथ-साथ 1999 के कारगिल संघर्ष का भी उल्लेख किया, जिनके परिणाम सर्वविदित हैं। उन्होंने पाकिस्तान की परमाणु स्थिति पर भी निशाना साधा, यह दावा करते हुए कि देश खुद को एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है, लेकिन उसने अपने परमाणु हथियारों को भी धन जुटाने और विदेशी फंडिंग हासिल करने का एक जरिया बना दिया है। उनके अनुसार, ये हथियार राष्ट्रीय रक्षा से ज्यादा मोलभाव के उपकरण बन गए हैं।
उनका आरोप है कि सेना की असली प्राथमिकता विदेशी धन और संदिग्ध माध्यमों से अर्जित धन की रक्षा करना है। नेतृत्व युद्ध के मैदान में नुकसान उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाता, बल्कि देशभक्ति से ऊपर लाभ को रखता है। इस वीडियो ने ऑनलाइन बहस को और तेज कर दिया है, जो पाकिस्तान की राजनीति, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय जीवन में सेना की भूमिका पर चल रही चर्चाओं को बल दे रहा है।






