कनाडा में खालिस्तानियों ने एक बड़ी साजिश रची है। उन्होंने सरे में ‘रिपब्लिक ऑफ खालिस्तान’ का एक फर्जी दूतावास बना लिया है। जैसे ही इस फर्जी दूतावास की खबर सामने आई, भारत की जांच एजेंसियां सतर्क हो गईं। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत और कनाडा के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिशें चल रही हैं।
भारतीय एजेंसियां सरे में खालिस्तानी आतंकवादी गतिविधियों पर नज़र रख रही हैं। रिपोर्टों के अनुसार, यह दूतावास हरदीप सिंह निज्जर के समर्थन में बनाया गया है, जिसे भारत ने आतंकवादी घोषित किया था।
फर्जी दूतावास में आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर से संबंधित पोस्टर लगाए गए हैं। इसके अलावा, कनाडा में खालिस्तानी संगठन SFJ (सिख फॉर जस्टिस) ने आने वाले समय में एक और सिख जनमत संग्रह कराने की घोषणा की है।
सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि इससे न केवल भारत विरोधी माहौल बन रहा है, बल्कि विदेशी धरती का उपयोग भारत की संप्रभुता को चुनौती देने के लिए किया जा रहा है।
कनाडा को खालिस्तान आंदोलन का गढ़ माना जाता है। 1970 के दशक में, कनाडा में पहली बार खालिस्तान आंदोलन को लेकर डाक टिकट जारी किए गए थे। यहीं पर पहली बार खालिस्तानियों ने अपनी मुद्रा जारी की थी। वर्तमान में, खालिस्तान आंदोलन के कई नेता कनाडा में रहते हैं।
कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी खुले तौर पर खालिस्तानियों का समर्थन करते रहे हैं। उन्होंने यहां तक कहा था कि यहां कुछ खालिस्तानी समर्थक रहते हैं।
ट्रूडो की नीतियों के कारण कनाडा और भारत के बीच राजनयिक संबंध खत्म हो गए थे। हालांकि, ट्रूडो के सत्ता से हटने के बाद स्थिति बदली है। कनाडा के नए प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों को सुधारने में लगे हैं।
खालिस्तानियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हाल ही में कनाडा और भारत ने एक समझौते का प्रस्ताव तैयार किया था। इस प्रस्ताव के अनुसार, दोनों देशों की एजेंसियां एक-दूसरे के साथ खुफिया जानकारी साझा कर सकेंगी। इस निर्णय से सीमा पार अपराध, आतंकवाद, कट्टरवाद और संगठित अपराध जैसे मुद्दों पर संयुक्त रूप से काम किया जाएगा।