रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली आगामी बैठक को लेकर दुनिया भर में उत्सुकता है। अलास्का में होने वाली इस बैठक पर भारत की भी पैनी नजर है। भारत सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ से निपटने के लिए रणनीति बना रही है।
टैरिफ लागू होने की समय सीमा नजदीक आने के साथ ही, भारत सरकार रूस-यूक्रेन युद्ध के जल्द समाधान की उम्मीद कर रही है। अमेरिका ने रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाया है। अमेरिका का कहना है कि भारत की तेल खरीद रूस को युद्ध के दौरान आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है।
भारत सरकार नहीं चाहती कि टैरिफ का बोझ आम जनता, खासकर छोटे कारोबारियों पर पड़े। सूत्रों के अनुसार, अत्यधिक लेन-देन आधारित दृष्टिकोण भारत के हितों के अनुकूल नहीं है, खासकर जब इसका असर देश की जनता या संसाधनों पर पड़ सकता है। इसलिए, भारतीय वार्ताकार अमेरिकी सरकार से शुल्क वापस लेने के लिए बातचीत कर रहे हैं, साथ ही अटकलों से भी सावधानी बरत रहे हैं।
ट्रंप-पुतिन बैठक की बात करें तो, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह इस शुक्रवार को अलास्का में रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन से मिलने की योजना पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। यह एक अचानक होने वाली शिखर वार्ता होगी जिसमें ट्रंप एक बार फिर यूक्रेन में पुतिन के युद्ध को बातचीत के ज़रिए समाप्त करने के अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाएंगे। ट्रंप ने कहा कि उन्हें शायद पहले दो मिनट में ही पता चल जाएगा कि कोई समझौता हो सकता है या नहीं।