इजराइल और ईरान के बीच हाल ही में हुए 12 दिनों के संघर्ष में ईरान के कई परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य कमांडरों की हत्या कर दी गई। आरोप है कि इजराइल ने अपने जासूसों को ईरान में तैनात कर रखा था, जिन्होंने युद्ध के दौरान ईरान की रक्षा प्रणाली को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन ऑपरेशनों का श्रेय मोसाद को दिया जा रहा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने ईरान के सुरक्षा ढांचे में गहरी पैठ बना ली है।
युद्ध समाप्त होने के बाद, ईरान में कई लोगों को इजराइल के साथ सहयोग और जासूसी के आरोप में फांसी दी जा रही है। हाल ही में, रूजबेह वादी नाम के एक व्यक्ति को ईरान में मोसाद के लिए जासूसी करने के आरोप में फांसी दी गई। ईरानी न्यायपालिका ने खुलासा किया है कि इजराइल कैसे ईरानी नागरिकों को मोसाद के एजेंट के रूप में भर्ती कर रहा है।
2011 में, तीन ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों – अब्दुलहमीद मिनूचेहर, अहमदरेजा जोल्फगारी दरियानी और रूजबेह वादी – ने 18वीं ईरानी परमाणु ऊर्जा सम्मेलन में एक संयुक्त शोधपत्र प्रस्तुत किया। चौदह साल बाद, इनमें से कोई भी जीवित नहीं रहा। दो की हत्या इजराइल ने की और एक को ईरान ने फांसी दी।
13 जून को, ईरान पर हमले से कुछ घंटे पहले इजराइल ने मिनूचेहर और जोल्फगारी को मार गिराया। इसके सात सप्ताह बाद, 5 अगस्त को रूज़बेह वादी को मोसाद के लिए जासूसी के आरोप में फांसी दी गई। फांसी की घोषणा के बाद, ईरानी टीवी पर प्रसारित एक वीडियो में वादी को अपना अपराध कबूल करते हुए दिखाया गया। वीडियो में उसने स्वीकार किया कि उसने मोसाद को उस परमाणु केंद्र से जुड़ी जानकारी दी थी, जिसे इजराइल ने युद्ध में निशाना बनाया था, साथ ही एक ईरानी परमाणु वैज्ञानिक से संबंधित जानकारी भी साझा की थी।
ईरानी न्यायपालिका के अनुसार, रूजबेह वादी ने एक वर्चुअल सोशल नेटवर्क के माध्यम से मोसाद से संपर्क किया। इसके बाद, वह प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के बहाने विएना गया, जहां उसने मोसाद अधिकारियों से पांच बार मुलाकात की। हालाँकि, न्यायपालिका के बयान में कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब नहीं दिए गए हैं, जिसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि वादी को कितने समय से हिरासत में लिया गया था। ईरानी मानवाधिकार संगठन के अनुसार, उसे 2024 की सर्दियों के मध्य में गिरफ्तार किया गया था और तब से जेल में रखा गया था।