अमेरिका और इजराइल, लेबनान सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि हिजबुल्लाह अपने हथियार डाल दे और एक राजनीतिक संगठन बन जाए। मंगलवार को होने वाली लेबनान की कैबिनेट बैठक में, राज्य के अलावा सभी सशस्त्र समूहों से हथियार वापस लेने के प्रस्ताव पर विचार किया जाना था। लेकिन बैठक से पहले ही लेबनान में चिंता और बेचैनी का माहौल है और किसी भी अप्रिय घटना की आशंका को लेकर चिंता बनी हुई है।
इस बीच, सोमवार रात हिजबुल्लाह समर्थकों ने विभिन्न इलाकों में मोटरसाइकिल रैलियां निकालीं, जिन्हें कई राजनेताओं और पत्रकारों ने ‘धमकी और चेतावनी’ की तरह माना है। इन रैलियों का उद्देश्य सरकार को हिजबुल्लाह से हथियार वापस लेने की मंजूरी देने से रोकना था।
यह रैली हिजबुल्लाह की मंशा पर सवाल खड़े करती है। हिजबुल्लाह हथियार डालने के पक्ष में नहीं है, लेकिन देश और बाहरी दबाव के कारण उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पत्रकार टोनी बोल्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ‘हिजबुल्लाह कैबिनेट बैठक से पहले एक खतरनाक सुरक्षा उपाय तैयार कर रहा है। बैठक में हथियार वापस लेने की प्रक्रिया और समय सीमा को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। ऐसी भी खबरें हैं कि सड़कें रोकने के लिए रेत से भरे कुछ ट्रक तैयार किए गए हैं।’
यानी, अगर कैबिनेट बैठक में हिजबुल्लाह को हथियार डालने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उसके समर्थक देशभर में प्रदर्शन कर सकते हैं, और ये प्रदर्शन उग्र हो सकते हैं। पूर्व सांसद फारिस सईद का कहना है, ‘मीडिया में फैलाई जा रही ये धमकियां वास्तव में कैबिनेट की बैठक में देरी करने का प्रयास है, जो हथियारों के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए बुलाई गई है।’ हिजबुल्लाह ने साफ कर दिया है कि जब तक इजराइल दक्षिणी लेबनान से वापस नहीं लौट जाता और शेष पांच विवादित स्थलों का समाधान नहीं कर लेता, तब तक वह न तो बातचीत करेगा और न ही अपने हथियारों को राज्य को सौंपने के बारे में कोई कार्रवाई करेगा। इस बीच अमेरिका भी लेबनान पर दबाव बढ़ा रहा है। अमेरिकी दूत टॉम बैरक ने हाल के महीनों में कई बार लेबनान का दौरा किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हथियार सिर्फ सरकारी संस्थानों को ही हस्तांतरित किए जाएं।