गाजा में इजराइली हमलों के बीच मानवीय संकट गहराता जा रहा है। अरब देश इजराइली कार्रवाई की निंदा कर रहे हैं। इस बीच, इजराइल और गाजा के साथ सीमा साझा करने वाला देश मिस्र भी हमलों की निंदा करता रहा है, लेकिन मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी अमेरिका और इजराइल के साथ सहयोग बढ़ा रहे हैं।
हाल ही में, मिस्र ने इजराइल के साथ 35 अरब डॉलर के गैस आयात समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के बाद मिस्र सरकार की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर लोगों ने इजराइल के साथ हुए इस रिकॉर्ड गैस सौदे पर नाराजगी व्यक्त की है और इजराइल पर गाजा युद्ध में आर्थिक भागीदारी का आरोप लगाया है।
यह सौदा इजराइल के इतिहास में सबसे बड़ा निर्यात सौदा है। इजराइली ऊर्जा कंपनी न्यूमेड के अनुसार, इस समझौते के तहत इजराइली लेविथान गैस क्षेत्रों से मिस्र के गैस आयात में तीन गुना वृद्धि होगी, जो 130 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस होगी, जिसे इजराइली अपतटीय क्षेत्र से 2040 तक मिस्र तक पाइप के जरिए पहुंचाया जाएगा। आलोचकों का कहना है कि जो गैस मिस्र ले रहा है, वो गाजा की है।
गाजा में मानवीय स्थिति बिगड़ने के बाद इजराइल के सहयोगी देशों के साथ-साथ कई अंतर्राष्ट्रीय अधिकार समूहों और विशेषज्ञों ने इसे नरसंहार की कार्रवाई माना है। अब मिस्र द्वारा इजराइली गैस आयात करने के फैसले को ऑनलाइन ‘शर्मनाक’ करार दिया गया है। कई लोगों ने गैस संसाधनों के सही मालिक पर भी चिंता जताई है, उनका तर्क है कि यह सौदा चोरी के समान है, क्योंकि भूमध्य सागर में तेल और गैस संसाधन इजराइल राज्य की स्थापना और 1948 में फिलिस्तीनियों के अवैध निष्कासन से पहले फिलिस्तीनियों के थे।