बांग्लादेश ने इस्कॉन समर्थकों का भारत में प्रवेश करने से पहले ‘संदिग्ध यात्रा’ निकाली

बांग्लादेश ने इस्कॉन समर्थकों का भारत में प्रवेश करने से पहले 'संदिग्ध यात्रा' निकाली
बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिर की तस्वीर। फोटो- विवरण।

पर प्रकाश डाला गया

  1. इस्कॉन के सदस्यों के पास यात्रा के लिए वैध दस्तावेज हैं।
  2. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक किशोर पर हो रहे हैं अत्याचारी।
  3. पूर्व शेख़ हसीना ने अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा की।

डिजिटल डेस्क, रेस्तरां। बांग्लादेश के आव्रजन अधिकारियों ने अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के 54वें सदस्यों को बेनापोल सीमा मंच पर भारत में प्रवेश से रोक दिया। ग्रुप के पास यात्रा के लिए वैध दस्तावेज थे। स्थानीय मीडिया के सिद्धांत में बताया गया है कि बांग्लादेश के विभिन्न विचारधाराओं से आये अनुयायियों को “संदिग्ध यात्रा पथ” में प्रवेश लेने से मना कर दिया गया है।

मिल रही जानकारी के अनुसार, कथित तौर पर 70 से अधिक हिंदुओं को कथित तौर पर सीमा पर रोक दिया गया था। यह समूह धार्मिक समारोहों में भाग लेने की योजना के साथ बेनापोल-पेट्रापोल क्रॉसिंग के माध्यम से भारत में प्रवेश की कोशिश कर रहा था।

कोई साफ जवाब नहीं दे रहे अधिकारी

हालाँकि, बांग्लादेश के विपक्ष ने अचानक अपनी यात्रा के दौरान उन्हें भारत में प्रवेश करने से मना कर दिया। बेनापोल आप्रवासन चेकपोस्ट के प्रभारी अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादर भु के अनुसार, अधिकारियों को उच्च अधिकारियों से समूह के मार्ग पर प्रतिबंध के निर्देश मिले थे।

इसमें उनकी यात्रा के वास्तविक उद्देश्य के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी। चेकपोस्ट प्रभारी ने बताया कि पासपोर्ट और सरदार होने के बावजूद, इस्कॉन के अनुयायियों को अपनी यात्रा का विवरण नहीं दिया गया। भक्तों का समूह शनिवार शाम से सीमा पर इंतजार कर रहा था। कई सदस्यों ने अधिकारियों द्वारा स्पष्ट रूप से जाने पर सहमति नहीं दी।

चिन्मय कृष्ण दास की मित्रता ने भारत पर गहरी चिंता व्यक्त की

अनुयायियों में से एक सौरभ तपंदर चेली ने कहा, “हम भारत में धार्मिक उत्सवों के लिए यात्रा कर रहे थे। मगर, हमें बिना किसी कारण बताए रोक दिया गया।” यह स्थिति बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, इलाक़े रिहायशी लोगों के साथ व्यवहार को लेकर हल्दी एमबीए के बीच है।

इस सप्ताह की शुरुआत में, बांग्लादेशी आतंकवादी सनातन जैन जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास के अपहरण के बाद भारत ने चिंता व्यक्त की। दास इस्कॉन बांग्लादेश से भी जुड़े हुए हैं। भारत ने हिंसा की प्रमुखताएं, अल्पसंख्यक समुदायों की बातें, अल्पसंख्यक समुदायों की बातें, धार्मिक समुदायों का अपमान करने की प्रमुखता रखी है।

अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा का आग्रह

भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इन दावों की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया। साथ ही बांग्लादेशी अधिकारियों से हिंदू आबादी के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा करने का आग्रह किया। बयान में कहा गया है, “यह निजीकरण है कि जहां इन घटनाओं की घटनाएं बड़े पैमाने पर होती हैं। वहीं, एक धार्मिक नेता को मुस्लिम बनाने की मांग की जा रही है।”

विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम बांग्लादेशी अधिकारियों से गांवों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं। इसमें मुस्लिम सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है।” चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी और उनके बैंक खाते को रेफ़्रिजरेटर कर दिया गया है।

इसके साथ ही बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े 16 अन्य बौद्धों के साथ, हिंदू समुदाय और आध्यात्मिक विद्वानों के प्रति जनसंख्या असिष्णुता के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। इस बीच, देश में एक्सट्रीमपंथी बयानबाजी जोर पकड़ रही है। कट्टरपंथी ग्रुप इस्कॉन के अन्य हिंदू अनुयायियों को शुतुरमुर्ग अवामी लीग पार्टी के एजेंट होने का आरोप लगाते हुए दबाव बना रहे हैं।

हसीना ने की हिंदुओं के प्रति निंदा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने देश में अल्पसंख्यकों के बढ़ते खतरे की निंदा की है। एक बयान में बांग्लादेश अवामी लीग की अध्यक्ष हसीना ने हिंदू पुजारियों की स्वायत्त रिहाई का फैसला किया है। इसके साथ ही उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ चल रही हिंसा और हमले की आलोचना की।

हसीना ने पेंटिंग्स, चर्चों, मस्जिदों और अन्य धार्मिक धार्मिक स्थलों पर कई तीर्थयात्रियों का ज़िक्र करते हुए कहा, “सभी समुदायों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता और जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।”

इस्कॉन समर्थकों की कार्रवाई और बांग्लादेश में धार्मिक अशिशुता की व्यापक समीक्षा जारी है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के बीच देशों में धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी गई हैं।

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