इस्लामाबाद: पाकिस्तान में एक अदालत ने गुरुवार को एक ईसाई महिला को ईशनिंदा के मामले में मौत की सजा सुनाई।
सितंबर 2020 में एक व्हाट्सएप ग्रुप में इस्लाम के पैगंबर के बारे में अपमानजनक सामग्री साझा करने के आरोप में शौगाता करण के खिलाफ ईशनिंदा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इस्लामाबाद स्थित विशेष अदालत के न्यायाधीश अफजल माजुका ने सुनवाई के बाद उसे पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295 सी के तहत दोषी पाया, जिसके तहत मृत्युदंड का प्रावधान है।
अदालत ने करण पर 300,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
इसके अलावा अदालत ने पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक अपराध अधिनियम (पीईसीए) की धारा 11 के तहत उसे सात साल कैद की सजा सुनाई और 100,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
न्यायाधीश ने एक संक्षिप्त आदेश में कहा कि दोषी को निर्णय के 30 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील दायर करने का अधिकार है।
न्यायाधीश माजुका ने कहा कि जब तक उच्च न्यायालय निर्णय को मंजूरी नहीं दे देता, तब तक सजा पर अमल नहीं किया जाएगा।
करन दूसरी ईसाई महिला है जिसे पैगंबर और इस्लाम धर्म का अपमान करने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है।
इससे पहले ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा पाने वाली आसिया बीबी को आठ साल तक जेल में रखा गया था, लेकिन पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अक्टूबर 2018 में उन्हें बरी कर दिया था।
बरी होने के बाद बीबी अपने परिवार के साथ कनाडा चली गईं।
ईशनिंदा कानून 1980 के दशक में पूर्व सैन्य शासक जियाउल हक द्वारा लागू किया गया था। ईशनिंदा के आरोप में पकड़े गए लोगों को अक्सर चरमपंथियों द्वारा निशाना बनाया जाता है।
थिंक टैंक सेंटर फॉर सोशल जस्टिस (सीएसजे) के अनुसार, 1987 से अब तक लगभग 3,000 लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है।
सीएसजे ने कहा कि इस वर्ष जनवरी से अब तक पूरे पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपी कम से कम सात लोगों की व्यक्तिगत रूप से या भीड़ द्वारा हत्या की जा चुकी है।
1994 से 2023 के बीच भीड़ के हमलों में ईशनिंदा के आरोपी कुल 94 लोग मारे गये हैं।