कुछ वर्ष पहले भारत में प्रति यूजर औसत डाटा खपत केवल 300 एमबी प्रतिमाह थी जो पहले ही 25 जीबी प्रतिमाह हो गई है। 2028 में हमारी प्रति यूजर डाटा खपत 62 जीबी प्रति माह तक पहुंच जाएगी और हम दुनिया में सबसे ज्यादा डाटा खपत वाला देश बन जाएंगे। गुप्ता का कहना है कि डिजिटल व्यापकता लगातार बढ़ती जा रही है।
मेड इन इंडिया क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास से राष्ट्रीय सुरक्षा और लचीलापन बढ़ेगा। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की डाटा सेंटर क्षमता वित्त वर्ष 2021-22 की 870 मेगावाट से दोगुना होकर चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक 1,700 से 1,800 मेगावाट तक पहुंच जाएगी।
सबसे ज्यादा हो जाएगी डेटा खपत
बिजली खपत के आधार पर डाटा सेंटर की क्षमता तय की जाती है। उद्योग संगठन एसोचैम की नेशनल काउंसिल ऑन डाटा सेंटर के चेयरमैन सुनील गुप्ता का कहना है कि कुछ वर्ष पहले भारत में प्रति यूजर औसत डाटा खपत केवल 300 एमबी प्रतिमाह थी, जो पहले ही 25 जीबी प्रतिमाह हो गई
2028 में हमारी प्रति यूजर डाटा खपत 62 जीबी प्रति माह तक पहुंच जाएगी और हम दुनिया में सबसे ज्यादा डाटा खपत वाला देश बन जाएंगे।
बढ़ रही डेटा सेंटर क्षमता
गुप्ता का कहना है कि डिजिटल व्यापकता लगातार बढ़ती जा रही है। इससे भारत एक डिजिटल-फर्स्ट इकोनॉमी बन रहा है और हम सभी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकल रहे हैं। योट्टा डाटा सर्विसेज के सहसंस्थापक और प्रबंधन निदेशक सुनील गुप्ता के अनुसार, 2013-14 में 200 मेगावाट क्षमता के डाटा सेंटर वाला भारत 1,200 मेगावाट क्षमता तक पहुंच गया है।
2027 तक हमारे डाटा सेंटर्स की क्षमता दो हजार मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है। एक संप्रभु क्लाउड यह सुनिश्चित करता है कि भारत के भीतर उत्पन्न डाटा देश की सीमाओं के भीतर ही रहे और स्थानीय कानून और विनियमन द्वारा पूरी तरह से संरक्षित रहे।