बरसात के मौसम में, भले ही तापमान कुछ कम हो जाता है, लेकिन उमस और नमी लोगों को कूलर चलाने के लिए प्रेरित करती है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में कूलर का गलत तरीके से इस्तेमाल गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है और कई बार अस्पताल तक भी पहुंचा सकता है।
**नमी और बैक्टीरिया का खतरानाक मिश्रण**
बरसात के मौसम में हवा में नमी पहले से ही अधिक होती है। ऐसे में अगर कूलर का पानी समय पर नहीं बदला गया, तो उसमें बैक्टीरिया और फंगस तेजी से पनपने लगते हैं। यह दूषित हवा के माध्यम से सीधे सांस के साथ फेफड़ों तक पहुंचते हैं और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियां पैदा कर सकते हैं।
**इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट का जोखिम**
बरसात में नमी और पानी की वजह से कूलर के इलेक्ट्रिक पार्ट्स में शॉर्ट सर्किट का खतरा भी बढ़ जाता है। अगर कूलर को खुले में रखा गया है और उस पर पानी गिर गया, तो यह करंट लगने का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में कूलर को हमेशा ढककर रखें और पानी गिरने से बचाएं।
**एलर्जी और वायरल इंफेक्शन**
कूलर के गीले पैड्स और टंकी में जमा गंदगी से बदबूदार और दूषित हवा निकलती है, जो नाक और गले में संक्रमण कर सकती है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह खतरा और भी ज्यादा होता है, क्योंकि उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। आंखों में जलन, त्वचा पर लाल चकत्ते और बुखार भी इसके कारण हो सकते हैं।
**क्या करें और क्या न करें**
* कूलर का पानी रोज बदलें और टंकी को साफ करें।
* बारिश में कूलर को खुले में न रखें।
* लंबे समय तक लगातार कूलर न चलाएं।
* घर में क्रॉस वेंटिलेशन रखें, ताकि ताजी हवा आती रहे।
* अगर सांस लेने में तकलीफ या तेज बुखार हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बरसात में कूलर चलाना गलत नहीं है, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। समय पर सफाई, सही रख-रखाव और सावधानी से इस्तेमाल करने पर आप इस मौसम में भी ठंडी हवा का आनंद ले सकते हैं, बिना अपनी सेहत को खतरे में डाले।