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Chhattisgarh
राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष द्वारा संकलित जानकारी के मुताबिक...
कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद अनलॉक को लेकर नया आदेश जारी हुआ है। कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने...
छत्तीसगढ़ में कोरोना पर ब्रेक लग गया है। कोरोना की दूसरी लहर के पीक पर आने के बाद अब स्थिति...
छत्तीसगढ़ में पिछले 24 घंटे के दौरान कोविड-19 के 1034 नये मामले सामने आये जिससे राज्य में इस वायरस से...
राज्य के कृषि एवं मौसम विज्ञान विभाग और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ में मानसून आगमन को ध्यान में रखते हुए किसानों को मौसम आधारित कृषि सलाह दी है। उन्होंने खरीफ फसलों और फल-सब्जियों की बुवाई के साथ ही पशुपालन के संबंध में और आवश्यक वैज्ञानिक सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि खेत की साफ-सफाई एवं मेड़ों की मरम्मत आवश्यक रूप से इस समय करना चाहिए। खरीफ फसल लगाने के लिए बीज एवं उर्वरक का अग्रिम व्यवस्था कर ले। धान की जैविक खेती के लिए हरी खाद फसल जैसे ढेंचा/सनई की बुवाई शीघ्र करें। खरीफ फसल लगाने के लिए बीज एवं उर्वरक का अग्रिम व्यवस्था कर लें। धान का थरहा डालने या बोवाई से पूर्व स्वयं उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल से उपचारित करें। प्रमाणित या आधार श्रेणी के बीजों को पैकेट में प्रदाय किए गए फफूंद नाशक से अवश्य उपचारित कर लें। धान की नर्सरी के लिए गोबर खाद की व्यवस्था कर लें। सुनिश्चित सिंचाई के साधन उपलब्ध होने की स्थिति में धान का थरहा तैयार करने के लिए धान की रोपाई वाले कुल क्षेत्र के लगभग 1/10 भाग में नर्सरी तैयार करें इसके लिए मोटा धान वाली किस्मों की मात्रा 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या पतला धान की किस्मों की मात्रा 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज डालें। सोयाबीन, मक्का, मूंगफली आदि फसलों की बुवाई के लिए खेतों को गहरी जुताई कर तैयार करें जिससे बहुवर्षीय घास नष्ट हो जाएं। गन्ने की नई फसल में आवश्यकतानुसार निंदाई-गुडाई एवं सिंचाई करें। कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि जो किसान भाई फलदार पौधे लगाना चाहते हैं वे वर्तमान में खेतों की तैयारी करें तथा साथ ही साथ खेतों में वर्षा ऋतु में पौधे लगाने के लिए गड्डे खोदने का कार्य प्रारंभ करें। गड्डों में मिट्टी के साथ सड़ी हुई गोबर खाद, दीमक मारने की दवा एवं अनुशंसित उर्वरक की मात्रा मिलाकर पुनः जमीन से 10 सेंटीमीटर ऊंचा भर दें। सीधे बुवाई वाली सब्जियों के उन्नत किस्मों के बीजों की व्यवस्वथा रखें एवं योजना अनुसार खेत की तैयारी करें। खरीफ की लतावली सब्जी जैसे लौकी, कुम्हड़ा को बैग में पौध तैयार करें व करेला, बरबट्टी लगाने हेतु अच्छी किस्म का चयन कर मेड नाली पद्धति से फसल लगाना सुनििश्चत करें, कुंदरू व परवल लगाने हेतु खेत तैयार करें। अदरक एवं हल्दी की रोपित फसल में पलवार (मल्चिंग) करें और जल निकास को वर्षा पूर्व ठीक कर लें।
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