वर्ष 1995 से प्रत्येक साल विश्व के विभिन्न देशो में 17 जून को विश्व रेगिस्तान एवं सूखा रोकथाम दिवस मनाया…
Trending
- 8000 की रिश्वत लेते पकड़ाई नापतौल महिला अधिकारी, ACB की टीम ने रंगे हाथ पकड़ा
- शशि थरूर की टिप्पणी पर पंक्ति के बाद, केरल में कांग्रेस बड़ी बैठक की योजना बना रही है
- पाकिस्तान पीएम शहबाज़ शरीफ ने भारत को हराने की प्रतिज्ञा की, कहा, ‘दिन और रात काम करेंगे …’ |
- “कूनसा टैलेंट?” शोएब अख्तर ने बाबर आज़म, मोहम्मद रिजवान पर हमला किया
- Realme Neo 7x स्नैपड्रैगन 6 Gen 4 Soc के साथ, 6,000mAh की बैटरी लॉन्च: मूल्य, विनिर्देश
- आशनूर कौर, नविका कोटिया और अलीशा परवीन स्टारर टीनएज ड्रामा खूबसूरती से डायना की खोज करता है – फर्स्टपोस्ट
- खिलाड़ियों को 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा में मिलेंगे बोनस अंक एनसीसी-एनएसएस को भी लाभ
- जशपुर अंचल में लोकप्रिय हो रही है स्ट्राबेरी की खेती प्रति एकड़ 3 से 4 लाख तक कमाई 60 किसान कर रहे हैं खेती रायपुर 24 फरवरी 2025/ छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में स्ट्राबेरी की खेती लोकप्रिय होे रही है। अपने लजीज स्वाद और मेडिसिनल वेल्यू के कारण यह बड़े स्वाद के खाया जाता है। राज्य के जशपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर क्षेत्र में कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं। स्ट्राबेरी की अभी स्थानीय स्तर पर ही खपत हो रही है। इसकी खेती से मिलने वाले लाभ के कारण लगातार किसान आकर्षित हो रहे हैं। एक एकड़ खेत में इसकी खेती 3 से 4 लाख की आमदनी ली जा सकती है। जशपुर जिले में 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की की शुरूआत की थी, अब 33 किसान 42 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। जशपुर में विंटर डान प्रजाति की स्ट्राबेरी के पौधे लगाए गए हैं। इन किसानों को उद्यानिकी विभाग की योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत तकनीकी मार्गदर्शन और अन्य सहायता मिल रही है। किसानों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में होने वाली स्ट्राबेरी की गुणवत्ता अच्छी है और साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादन होने के कारण व्यापारियों को ताजे फल मिल रहे हैं। जिसके कारण उन्हें अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। नाबार्ड के एफएसपीएफ योजना के तहत रीड्स संस्था द्वारा बगीचा विकासखंड के ग्राम सन्ना, अकरीकाना, लोरो, कोपा, लरंगा और मैना गांव का चयन स्ट्रॉबेरी की खेती करवाई थी। साल 2023 में उत्पादन भी बेहतर हुआ था और उच्च क्वालिटी के स्ट्रॉबेरी निकले थे। इसे देखते हुए साल 2024 में उद्यान विभाग द्वारा किसानों को किसानों को स्ट्रॉबेरी के उत्पादन से जोड़ा गया और किसानों को विभाग द्वारा सहयोग भी दिया गया है। किसान रीड्स संस्था की देखरेख में लगभग 60 किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। धान के मुकाबले 8 से 9 गुना फायदा स्ट्राबेरी की खेती धान के मुकाबले कई गुना फायदे का सौदा है। जहां धान की खेती के लिए मिट्टी का उपजाऊपन के साथ साथ ज्यादा पानी और तापमान की जरूरत होती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए सामान्य भूमि और सामान्य सिंचाई में भी यह लगाया जा सकता है। धान की खेती में जहां देख-रेख की ज्यादा जरूरत पड़ती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए देख-रेख की कम जरूरत पड़ी है, सिर्फ इसके लिए ठंडे मौसम की जरूरत होती है। जहां धान से एक एकड़ में करीब 50 हजार की आमदनी ली जा सकती है वहीं स्ट्राबेरी की खेती में 3 से 4 लाख की आमदनी हो सकती है। इस प्रकार धान से 8-9 गुना आमदनी मिलती है। स्ट्राबेरी की खेती छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में ली जा सकती है। इसके लिए राज्य के अंबिकापुर, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर जशपुर का क्षेत्र उपयुक्त है। जमीन का उपजाऊ होना आवश्यक नहीं जशपुर के किसान श्री धनेश्वर राम ने बताया कि पहले उनके पास कुछ जमीन थी जो अधिक उपजाऊ नहीं थी वह बंजर जैसी थी। मुश्किल से कुछ मात्रा में धान की फसल हो पाती थी। जब उन्हें विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन मिलने पर फलंों की खेती प्रारंभ की। नाबार्ड संस्था से सहयोग भी मिला।