Sambhal हिंसा के बाद राजनीतिक भूचाल: समाजवादी पार्टी ने सरकार पर लगाया आरोप, कलेक्टर ने नेताओं को रोका

Sambhal जिले में हाल ही में हुई हिंसा ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर से गरमाहट ला दी है। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं ने इस घटनाक्रम पर तीव्र प्रतिक्रिया दी है और उत्तर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि सपा के प्रमुख नेता रविदास मेहरोत्रा ने धरने पर बैठने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से भागते हुए जनहित को नजरअंदाज किया है, जबकि दंगा-फसाद को रोकने की बजाय उसने उसे बढ़ावा दिया।

प्रशासन पर गंभीर आरोप

रविदास मेहरोत्रा ने दावा किया कि जिले के डीएम (जिलाधिकारी) और एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) दोषी हैं। उनका कहना है कि इन अधिकारियों ने बयान बदलवाने के लिए जनता पर दबाव डाला है। मेहरोत्रा ने यह भी कहा कि सरकार ने जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए यह कदम उठाए हैं। उन्होंने मांग की कि हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश से निष्पक्ष जांच कराई जाए ताकि आरोपों की सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बीजेपी ने जानबूझकर प्रशासन में दंगा कराया और जांच से पहले दोनों वरिष्ठ अधिकारी, यानी डीएम और एसएसपी, को हटाया जाए।

अखिलेश यादव का करारा हमला

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार का यह कदम दिखाता है कि उनका शासन और प्रशासन पूरी तरह से विफल हो चुका है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर सरकार पहले से ही उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करती, जिन्होंने हिंसा और उन्माद फैलाने की साजिश की, तो आज संभल का माहौल इतना बिगड़ा हुआ नहीं होता। अखिलेश यादव ने सरकार पर आरोप लगाया कि पूरी कैबिनेट को बदलने में जो तत्परता दिखाई जाती है, वह संभल के प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में क्यों नहीं दिखती। उन्होंने सुझाव दिया कि जिम्मेदार अधिकारियों को साजिशन लापरवाही के लिए निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

सपा नेताओं की यात्रा पर रोक

संभल हिंसा के बाद सपा के कई वरिष्ठ नेता दौरे के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन कलेक्टर ने बाहरी लोगों के विवादित क्षेत्र में प्रवेश पर रोक लगा दी। मुरादाबाद मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि फिलहाल इस इलाके में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि शांति कायम की जा चुकी है और जनजीवन सामान्य हो रहा है। यदि कोई बाहर से आता है, तो यह स्थिति को भड़काने का कारण बन सकता है। उन्होंने आशा जताई कि जिम्मेदार लोग उनकी बात को समझेंगे और किसी को रोकने का इरादा नहीं है, लेकिन अभी यह समय सही नहीं है।

सुरक्षा बढ़ाई गई

सपा नेताओं के दौरे पर रोक के लिए पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सपा प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल के घर से लेकर विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय के आवास तक भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। सपा के सांसदों और विधायकों के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने संभल जाने का ऐलान किया है, लेकिन उन्हें भी कड़ी सुरक्षा के बीच रोका जा रहा है। इसी बीच, सपा के विधान परिषद के नेता लाल बिहारी यादव के घर भी पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है।

विपक्षी नेता की प्रतिक्रिया

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि वे तीन-चार दिन पहले ही संभल जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन डीजीपी ने उन्हें रोका। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार रोकने की कोशिश की जा रही है। पांडेय ने कहा, “हम अशांति फैलाने के लिए नहीं जा रहे, बल्कि परिवार से मिलने और सच्चाई को जानने के लिए जा रहे हैं। यदि हमें रोका जाता है, तो उसके बाद क्या कदम उठाए जाएंगे, यह भविष्य में तय होगा।”

आरोप और प्रत्यारोप

सपा नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने अपने फायदे के लिए झूठी अफवाहें फैलाने और भ्रम उत्पन्न करने का काम किया है। पांडेय ने कहा, “जिन्हें यहां जाने से रोका जा रहा है, वे चाहते हैं कि लोगों को सच्चाई का पता चले। यदि प्रशासन और पुलिस स्थिति को सामान्य बनाए रखते, तो हम भी शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए काम कर सकते थे।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेताओं के भाषण और बयान ही हिंसा को बढ़ावा देने वाले थे, और यही कारण है कि उन्हें रोकने की कोशिश की जा रही है।

सपा का अगला कदम

सपा नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता शांति और सौहार्द को बनाए रखना है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यदि उन्हें बार-बार रोका गया, तो वे आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। मेहरोत्रा ने कहा, “हम शांतिपूर्वक कार्रवाई करना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन का रवैया यदि यही रहा तो हमें अन्य विकल्प तलाशने होंगे।”

संभल हिंसा ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है। राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है और प्रदेश के लोगों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या नेताओं के बीच की ये खींचतान उनके हितों की सुरक्षा कर पाएगी या फिर हिंसा और अशांति को बढ़ावा देगी।

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