मुजफ्फरनगर, उत्तराखंड: आयुर्वेद, जो हजारों सालों से भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का अभिन्न हिस्सा रहा है, अब दुनिया भर में अपनी प्रभावशीलता और वैज्ञानिकता से एक नया मुकाम हासिल कर रहा है। उत्तराखंड के Rishikesh में हाल ही में आयोजित “अमृत कल्प” आयुर्वेद महोत्सव ने इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति के प्रति जन जागरूकता और मान्यता को और भी प्रगाढ़ किया है। इस महोत्सव में देशभर के 2000 से ज्यादा चिकित्सकों और आयुर्वेद विशेषज्ञों ने सहभागिता की, जिसमें एक विशेष आकर्षण केंद्र था – आयुर्वेद के क्षेत्र में नया विश्व कीर्तिमान स्थापित करना।
आयुर्वेद महोत्सव का आयोजन: एक ऐतिहासिक पहल
“अमृत कल्प” आयुर्वेद महोत्सव का आयोजन मुजफ्फरनगर के युवा वैद्य आशुतोष और उनके आयुरगंगे परिवार द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम ने न केवल आयुर्वेद के वैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा की, बल्कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के आधुनिक संदर्भ में भी योगदान दिया। यह महोत्सव एक ऐतिहासिक पहल थी, क्योंकि इसके दौरान आयुर्वेद के दो महत्वपूर्ण उपचार विधियों – अग्निकर्म और विद्धकर्म को एक साथ 1500 चिकित्सकों ने अंजाम दिया, जिससे यह प्रक्रिया “इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” में दर्ज हुई।
1500 चिकित्सकों द्वारा अग्निकर्म और विद्धकर्म का आयोजन
इस महोत्सव में 1500 आयुर्वेद चिकित्सकों ने एक साथ अग्निकर्म और विद्धकर्म विधि का पालन किया। यह तकनीक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों का हिस्सा हैं, जिनमें रोगों के उपचार के लिए शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को संतुलित किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत, चिकित्सक अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए रोगी के शरीर में विशिष्ट बिंदुओं पर उपचार करते हैं। इस विधि को गुरु शिष्य परंपरा के तहत आदरणीय वैद्य उदय तल्हार और वैद्य चन्द्रकुमार देशमुख ने मार्गदर्शन किया।
यह न केवल एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड था, बल्कि आयुर्वेद के महत्व को साबित करने का एक नया तरीका था। इस प्रक्रिया के दौरान, देशभर के प्रख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने इसे अपनी विद्वता का प्रमाण मानते हुए इस रिकॉर्ड में हिस्सा लिया।
आयुर्वेद महोत्सव में प्रमुख वक्ता और उनके योगदान
कार्यक्रम में देशभर के प्रमुख आयुर्वेदिक चिकित्सकों और विचारकों ने भाग लिया। इनमें प्रमुख थे:
- वैद्य नरेन्द्र गुजराथी (जलगाँव) – जिन्होंने आयुर्वेद की मौजूदा स्थिति और भविष्य पर अपनी राय प्रस्तुत की।
- वैद्य राकेश अग्रवाल (मुजफ्फरनगर) – जिन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सा के लाभ और इसके वैज्ञानिक पहलुओं पर व्याख्यान दिया।
- वैद्य राजेश ठक्कर (अहमदाबाद) – जो आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा और रक्तमोक्षण के महत्वपूर्ण विषयों पर बोले।
- वैद्य प्रज्ञा आपटेकर (मुंबई) – जिन्होंने आयुर्वेद के माध्यम से स्त्री रोगों के उपचार के बारे में जानकारी दी।
- वैद्य योगी अमृत राज (ऋषिकेश) – जिन्होंने आयुर्वेद में योग और प्राचीन उपचार विधियों के बीच के संबंधों पर चर्चा की।
इसके अलावा, वैद्य अक्षय चौहान (संस्थापक, रू चौहान आयुर्वेद हॉस्पिटल, नोएडा), वैद्य संदीप (प्रधानाचार्य, विवेक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, बिजनौर) और वैद्य भूपेन्द्र मणि त्रिपाठी (प्रयागराज) जैसे प्रमुख वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुर्वेद का महत्व
इस कार्यक्रम का एक प्रमुख उद्देश्य था आयुर्वेद को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना और यह समझाना कि यह सिर्फ एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि एक विज्ञान है, जो आज के आधुनिक युग में भी उतना ही प्रभावी है। आयुर्वेद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच “हर दिन आयुर्वेद, हर घर आयुर्वेद” को लोगों तक पहुंचाने का कार्य इस महोत्सव के माध्यम से किया गया।
आयुर्वेदिक चिकित्सा न केवल शारीरिक बीमारियों का इलाज करती है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी सुधारने में मदद करती है। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने यह बताया कि किस प्रकार आयुर्वेद के उपाय आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिलकर स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए काम कर सकते हैं।
आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा: एक सामंजस्यपूर्ण सहयोग
आज के समय में जब लोग आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों पर अधिक विश्वास कर रहे हैं, तब आयुर्वेद का महत्व बढ़ा है। आयुर्वेद का यह महोत्सव यह दिखाता है कि दोनों चिकित्सा पद्धतियां एक-दूसरे का पूरक हो सकती हैं। कई ऐसे रोग हैं जिनका सफल उपचार आयुर्वेद के माध्यम से किया जा सकता है, जबकि कुछ मामलों में आधुनिक चिकित्सा पद्धतियां अधिक प्रभावी साबित होती हैं।
आयोजन को सफल बनाने में योगदान देने वाले विशेषज्ञ
इस महोत्सव के आयोजन में आयुरगंगे, अर्जुनवेदा, आरोग्य परमानन्द सदन और राकेश औषधालय जैसे संस्थानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही वैद्य हिमांशु चौधरी, वैद्य चिराग भारद्वाज, वैद्य संस्कार पाण्डे, वैद्य अर्जुन नन्दा, वैद्य वर्षा यादव, वैद्य प्रिया बंसल, वैद्य एकता मलिक, वैद्य आकांक्षा गुप्ता, वैद्य शिवानी, वैद्य विशाल शर्मा और वैद्य ध्रुव नागदा जैसे आयुर्वेद विशेषज्ञों ने इस आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।
आयुर्वेद महोत्सव: न केवल एक आयोजन, बल्कि एक संदेश
“अमृत कल्प” महोत्सव ने यह स्पष्ट कर दिया कि आयुर्वेद केवल एक चिकित्सा पद्धति नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन सकता है। इस आयोजन ने यह भी सिद्ध कर दिया कि आयुर्वेद के प्रति विश्वास और इसके उपयोग को बढ़ाने के लिए केवल सरकारी नीतियाँ ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत प्रयास भी महत्वपूर्ण हैं।
आयुर्वेद महोत्सव ने यह सन्देश दिया कि यदि हम इसे सही तरीके से अपनाएं, तो यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी नई ऊँचाइयों तक हमें पहुंचा सकता है।