Moradabad: चंदौसी क्षेत्र में नाबालिग छात्रा के अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अदालत का बड़ा फैसला-दोस्तों को ताउम्र कैद

हाल ही में Moradabad के चंदौसी क्षेत्र में एक नाबालिग छात्रा के साथ हुए जघन्य अपराध का मामला सामने आया है, जिसमें अदालत ने दो दोस्तों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला न केवल समाज में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों को उजागर करता है, बल्कि हमें यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि कैसे हम अपनी बेटियों को सुरक्षित रख सकते हैं। यह लेख उस मामले के घटनाक्रम, अदालत के फैसले और समाज में इस तरह की घटनाओं के प्रति जागरूकता फैलाने पर केंद्रित है।

घटना का विवरण

पीड़िता के पिता ने 9 जून 2017 को संभल जनपद के चंदौसी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी 13 वर्षीय बेटी, जो नौवीं कक्षा की छात्रा है, को शाम करीब साढ़े आठ बजे उसके पड़ोसी अरुण और उसके दोस्त सोनू ने डरा-धमकाकर अगवा कर लिया।

जब पिता ने आरोपी अरुण के घर पहुंचकर जानकारी मांगी, तो आरोपी के पिता ने बताया कि उसका बेटा शराबी और जुआरी है, और उसे इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए पीड़िता के पिता ने तुरंत पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद पुलिस ने 10 जून को दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया और पीड़िता को बरामद किया।

न्याय की प्रक्रिया

Moradabad पुलिस ने घटना के बाद पीड़िता का बयान और मेडिकल परीक्षण कराया। दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां उनके खिलाफ आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया। इस मुकदमे की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट संख्या तीन, रघुबर सिंह की अदालत में की गई।

विशेष लोक अभियोजक भूकन सिंह और अभिषेक भटनागर ने इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से आठ गवाह पेश किए, जिनमें पीड़िता, उसके पिता और एक प्रत्यक्षदर्शी महिला शामिल थीं। इन सबने अदालत में अपनी गवाही दी और घटना की पुष्टि की।

अदालत का निर्णय

Moradabad अदालत ने पत्रावली में मौजूद साक्ष्यों के आधार पर अरुण और सोनू को नाबालिग लड़की के अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म का दोषी पाया। इस गंभीर अपराध के लिए अदालत ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, साथ ही प्रत्येक पर 60-60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह निर्णय न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में ऐसे अपराधों के प्रति एक संदेश भी है कि कानून ऐसे अपराधियों को बख्शेगा नहीं।

समाज में जागरूकता की आवश्यकता

इस घटना ने एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि समाज में नाबालिगों की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। हमें अपने बच्चों को आत्मरक्षा की तकनीकों और जोखिम पहचानने के तरीकों के बारे में जागरूक करना चाहिए।

नाबालिगों की सुरक्षा के उपाय:

  1. आत्मरक्षा प्रशिक्षण: बच्चों को आत्मरक्षा के बारे में सिखाना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि वे किसी भी खतरे का सामना कर सकें।
  2. सुरक्षित परिवहन: यह सुनिश्चित करें कि बच्चे स्कूल और अन्य स्थानों पर सुरक्षित यात्रा करें।
  3. बातचीत का माहौल: बच्चों के साथ खुली बातचीत करें ताकि वे अपने अनुभवों को साझा कर सकें।
  4. समाज में जागरूकता: समाज में इस तरह की घटनाओं के खिलाफ जागरूकता फैलाना आवश्यक है।
  5. कानूनी जानकारी: बच्चों को उनके अधिकारों और कानून के बारे में जानकारी देना भी आवश्यक है।

यह मामला न केवल एक न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है, बल्कि यह समाज में बढ़ती हिंसा और अपराध के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी उजागर करता है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमारे समाज में ऐसे अपराधों का कड़ा विरोध किया जाए और नाबालिगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।

इस तरह के मामलों की सजा केवल पीड़िता को न्याय नहीं दिलाती, बल्कि समाज को यह संदेश देती है कि अपराधियों को उनके कृत्यों का परिणाम भुगतना पड़ेगा। हमें सभी स्तरों पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं घटित न हों और सभी बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण मिल सके।

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use