Mahoba: नशीला पदार्थ खिलाकर छात्रा से दुष्कर्म करने वाले कोचिंग शिक्षक को 20 साल कैद

Mahoba से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जो समाज में बढ़ते अपराधों और महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। एक कोचिंग शिक्षक द्वारा 14 वर्षीय छात्रा को नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म करने का मामला न केवल दिल दहला देने वाला है, बल्कि हमारे शिक्षा तंत्र और समाज की नैतिकता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। इस गंभीर मामले में अदालत ने दोषी शिक्षक को 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही 9,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को दो माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

घटना का पूरा विवरण

यह घटना महोबा जिले के थाना अजनर क्षेत्र के एक गांव की है, जहां 2 जून 2022 की शाम को 14 वर्षीय छात्रा अपने घर से साइकिल पर पानी भरने के लिए हैंडपंप गई थी। जब वह काफी समय तक वापस नहीं लौटी, तो परिवार ने उसकी खोजबीन शुरू की, लेकिन उसे कोई सुराग नहीं मिला। परिजनों को संदेह हुआ कि एक युवक, जो उसे कोचिंग पढ़ाता था, वह ही उसकी बेटी को अपने साथ ले गया है।

पुलिस की सक्रियता के बाद जब छात्रा को ढूंढा गया, तो उसने बताया कि गांव के ही स्कूल में पढ़ने के दौरान बृजेंद्र सिंह यादव उर्फ इंद्रजीत नामक शिक्षक का फोन आया था। उसने छात्रा को ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) लेने के बहाने बुलाया। पहले तो छात्रा ने जाने से मना किया, लेकिन जब उसे बार-बार बुलाया गया, तो वह देवली पहाड़ के पास टीसी लेने पहुंची। वहां बृजेंद्र अपने तीन साथियों के साथ कार लेकर खड़ा था।

चारों ने छात्रा को जबरदस्ती कार में बैठा लिया और उसे नशीला पदार्थ खिला दिया। जब छात्रा को होश आया, तो उसने खुद को गाजीपुर में पाया। पुलिस की छानबीन के दौरान छात्रा ने बताया कि इसी दौरान बृजेंद्र ने उसके साथ दुष्कर्म किया।

न्यायिक प्रक्रिया और सजा

मामले की गंभीरता को देखते हुए, Mahoba पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और आरोपी बृजेंद्र सिंह यादव को गिरफ्तार किया। यह मामला महोबा के अपर सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम) संदीप चौहान की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने सभी सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए बृजेंद्र को दोषी करार दिया और उसे 20 साल की कठोर सजा सुनाई। इसके साथ ही, 9,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अगर दोषी जुर्माना अदा नहीं करता है, तो उसे दो माह की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी।

शिक्षा के क्षेत्र में नैतिकता और जिम्मेदारी

यह घटना शिक्षा और नैतिकता के बीच एक बड़ी खाई को उजागर करती है। शिक्षक, जिन्हें समाज में एक आदर्श और बच्चों के मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है, जब ऐसे घिनौने अपराधों में शामिल होते हैं, तो यह समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इस मामले ने यह भी दिखाया कि किस प्रकार बच्चों को अपने ही शिक्षक पर भरोसा करना कठिन हो गया है।

शिक्षक का कर्तव्य सिर्फ बच्चों को पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें नैतिकता, सुरक्षा और एक बेहतर इंसान बनने का भी पाठ पढ़ाना होता है। लेकिन जब शिक्षक ही बच्चों के साथ अपराध करने लगते हैं, तो यह शिक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

शिक्षा के क्षेत्र में नैतिकता और जिम्मेदारी

यह घटना शिक्षा और नैतिकता के बीच एक बड़ी खाई को उजागर करती है। शिक्षक, जिन्हें समाज में आदर्श माना जाता है, जब ऐसे अपराधों में लिप्त होते हैं, तो यह पूरे शिक्षा तंत्र की साख को धूमिल करता है।

शिक्षक का कर्तव्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं होता, बल्कि उन्हें बच्चों को नैतिकता और सुरक्षा का भी पाठ पढ़ाना चाहिए। जब शिक्षक ही छात्रों का शोषण करते हैं, तो यह शिक्षा प्रणाली पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

महिला सुरक्षा और सामाजिक चेतना

महिला सुरक्षा के मुद्दे पर इस मामले ने एक बार फिर से ध्यान आकर्षित किया है। पॉक्सो अधिनियम जैसे कड़े कानूनों के बावजूद, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यह घटना इस बात की गवाही देती है कि समाज में जागरूकता अब भी अपर्याप्त है।

सरकार को महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। केवल कानून बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि इसे लागू करने में भी तेजी लानी होगी।

शिक्षा और समाज का महत्व

शिक्षा का उद्देश्य केवल शैक्षणिक ज्ञान देना नहीं है, बल्कि बच्चों को सामाजिक और नैतिक मूल्यों की भी शिक्षा देना है। शिक्षण संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके शिक्षक और कर्मचारी नैतिक रूप से सही हों।

अभिभावकों को भी अपने बच्चों को सुरक्षित महसूस कराने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना चाहिए। ऐसे मामलों में संवाद और समझ का होना बेहद जरूरी है।

समाधान की दिशा में कदम

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए समाज को जागरूक होने की आवश्यकता है। बच्चों को उनके अधिकारों और सुरक्षा के प्रति सजग बनाना चाहिए।

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें अपने समाज में नैतिकता और जिम्मेदारी को प्राथमिकता देनी होगी। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए हमें कड़े कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।

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