Kanpur कल्याणपुर पुलिस ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार किया है जो पुलिस की वर्दी पहनकर फर्नीचर कारोबारी से 15 लाख रुपये की ठगी कर चुका था। इस शातिर ठग ने पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को झांसा देने का गंदा धंधा लंबे समय से चला रखा था। पुलिस ने उसके पास से पुलिस की वर्दी, एक पुलिस का लोगो लगी कार, और लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (लबासना) का आई कार्ड भी बरामद किया है। यह आई कार्ड भी पूरी तरह से फर्जी था, जिसका इस्तेमाल वह ठगी के लिए करता था।
ठगी का शिकार: फर्नीचर कारोबारी चंद्रेश्वर सिंह
कल्याणपुर सीटीएस बस्ती निवासी चंद्रेश्वर सिंह, जो आर्डनेंस फैक्ट्री से रिटायर हो चुके हैं और अब नेत्रहीन हो गए हैं, इस शातिर ठग के शिकार हुए। रिटायरमेंट के बाद चंद्रेश्वर ने अपना फर्नीचर का कारोबार शुरू किया। कुछ समय पहले उनके दामाद सागर ने उन्हें संजीव कुमार यादव से मिलवाया, जिसने खुद को एक दरोगा के रूप में पेश किया। संजीव ने बताया कि वह एसीपी ऑफिस में तैनात है और गूबा गार्डन में अपनी पत्नी नेहा और बच्चों के साथ रहता है। उसने जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए पैसों की जरूरत बताई और चंद्रेश्वर से 15 लाख रुपये उधार मांगे।
चंद्रेश्वर अपने दामाद के भरोसे पर 10 लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से और 5 लाख रुपये नकद दे देते हैं। संजीव ने इसके बदले एक ब्लैंक चेक दिया, जिसे बाद में चेक बाउंस हो गया। कई बार प्रयास करने के बाद जब सात अगस्त को ठगी का पता चला, तो उन्होंने अपने दामाद सागर और संजीव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
पुलिस की कार्रवाई और आरोपी की गिरफ्तारी
मामले की जांच करते हुए इंद्रानगर चौकी के इंचार्ज अरुण कुमार सिंह ने आरोपी संजीव को पूछताछ के लिए चौकी बुलाया। शुरुआत में संजीव ने खुद को जीआरपी लखनऊ, फिर जीआरपी उन्नाव और अंत में काकोरी थाने में तैनात होना बताया। जब पुलिस ने इन स्थानों पर जांच की तो सब कुछ फर्जी निकला। इसके बाद, पुलिस ने संजीव को सर्विलांस की मदद से गिरफ्तार कर लिया।
ठगी के बढ़ते मामले: पुलिस प्रशासन की बड़ी चुनौती
यह घटना केवल एक उदाहरण है कि किस प्रकार से अपराधी पुलिस की वर्दी का दुरुपयोग कर रहे हैं। ऐसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिनमें ठग फर्जी पुलिस या अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के रूप में सामने आते हैं। इससे न केवल आम नागरिकों में विश्वास की कमी होती है, बल्कि पुलिस प्रशासन की छवि भी धूमिल होती है।
हाल के वर्षों में, ऐसे ठगों के खिलाफ पुलिस ने सख्त कार्रवाई की है। कई ठग गैंग का पर्दाफाश हो चुका है जो इसी तरह के तरीकों से लोगों को ठगते थे। लेकिन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए नागरिकों को भी सतर्क रहना जरूरी है। उन्हें किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की पहचान पुलिस के उच्च अधिकारियों से करवानी चाहिए और बिना पूरी जांच के किसी भी वित्तीय लेन-देन से बचना चाहिए।
फर्जी अधिकारी बनकर ठगी करने की घटनाएँ
फर्जी अधिकारी बनकर ठगी करने के मामले देशभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। इन ठगों का मुख्य मकसद लोगों का विश्वास जीतकर उनसे मोटी रकम ऐंठना होता है। हाल ही में ऐसे कई मामलों का खुलासा हुआ है, जहां अपराधी खुद को पुलिस, सेना या अन्य सरकारी संस्थानों से जुड़ा अधिकारी बताकर लोगों से ठगी करते हैं। इन घटनाओं में अधिकांश मामलों में ठग लोगों को नौकरी का झांसा देकर या कानूनी कार्रवाई से बचाने के नाम पर उनसे पैसे वसूलते हैं।
ठगी के शिकार लोगों को क्या करना चाहिए?
ऐसे मामलों से बचने के लिए सबसे पहला कदम यह है कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की जानकारी तुरंत पुलिस को दी जाए। इसके अलावा, पुलिस अधिकारी होने का दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति से उसकी पहचान की पुष्टि करने के लिए कहा जाना चाहिए। पुलिस के पास हमेशा अपना पहचान पत्र होता है, जिसे वे तुरंत दिखा सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति आपको पुलिस अधिकारी या अन्य सरकारी कर्मचारी के रूप में संपर्क करता है, तो पहले उसकी पहचान की पुष्टि करें।
यदि आप किसी फर्जीवाड़े का शिकार हो जाते हैं, तो बिना समय गंवाए स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराएं। पुलिस के पास ऐसे मामलों के लिए विशेष टीमें होती हैं जो तुरंत कार्रवाई कर सकती हैं। इसके साथ ही, बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन से जुड़े मामलों में तुरंत अपने बैंक को सूचित करें और अपने खाते को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
पुलिस की सख्त निगरानी और सुरक्षा उपाय
इन घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस को अब और सतर्क होना होगा। ठगों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस अब तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल कर रही है, जैसे सर्विलांस, सीसीटीवी कैमरा, और सायबर क्राइम टीमों की मदद। इसके साथ ही, लोगों को भी जागरूक करने के लिए पुलिस लगातार अभियान चला रही है ताकि वे ऐसे मामलों में सतर्क रहें और ठगी का शिकार न हों।इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि ठगों के हौसले कितने बुलंद हो गए हैं। पुलिस की वर्दी पहनकर और फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करके ये अपराधी समाज में विश्वास की कमी पैदा कर रहे हैं। हालांकि पुलिस प्रशासन ने इस तरह की ठगी के मामलों में तेजी से कार्रवाई की है, फिर भी लोगों को सतर्क और जागरूक रहना आवश्यक है। अपने आसपास के संदिग्ध व्यक्तियों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें और किसी भी तरह के ठगी से बचने के लिए पूरी सतर्कता बरतें।