Meerut ज़िले में शुक्रवार रात जो हुआ, उसने पूरे शहर को दहला दिया। टैक्सी ड्राइवर मोहित शर्मा ने नशे की हालत में अपनी पत्नी सलोनी शर्मा (32) की निर्ममता से हत्या कर दी। और सबसे डरावनी बात – ये खौफनाक मंजर उसकी दो मासूम बच्चियों ईशु (6) और आराध्या (7) की आंखों के सामने हुआ।
पति-पत्नी का झगड़ा कोई नई बात नहीं थी, लेकिन इस बार मोहित ने सारी हदें पार कर दीं। सलोनी का गला दबाया गया, वो छटपटाई, खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन मौत की गिरफ़्त से निकल न सकी। हत्या के बाद, सुबह 4 बजे खुद मोहित ने 112 नंबर पर कॉल कर सब कुछ कबूल लिया और थाने पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया।
प्यार से शुरू, दर्द में खत्म – नौ साल पुरानी प्रेम कहानी का खूनी अंत
मोहित और सलोनी की शादी 2016 में लव मैरिज के तहत हुई थी। गाज़ियाबाद के लाजपतनगर की रहने वाली सलोनी ने मोहित के लिए अपने परिवार तक से टकराव लिया था। शुरुआत में रिश्तों में मिठास थी, लेकिन जल्द ही कड़वाहट ने घर में डेरा डाल लिया।
मोहित के अनुसार, सलोनी उस पर शक करती थी, बार-बार झगड़े होते थे, और वो अपने मायके वालों की सुनकर उसे ताने देती थी। जबकि सलोनी के परिवार वालों का कहना है कि मोहित ही आए दिन शराब पीकर सलोनी के साथ मारपीट करता था।
हत्या की रात क्या हुआ था?
घटना वाली रात, मोहित नशे में धुत घर लौटा। पहले से तनाव से भरे रिश्ते में आग लगाने का काम शराब ने कर दिया। दोनों के बीच बहस शुरू हुई, जो हिंसा में तब्दील हो गई। गुस्से और नशे में चूर मोहित ने पहले सलोनी का गला दबाया, फिर दुपट्टे से उसका दम घोंट दिया।
इस दर्दनाक घटना के दौरान, नीचे ज़मीन पर सो रही बेटियों की नींद चीखों से खुली। आंखों के सामने उनकी मां को तड़पते देख बच्चियों की चीखें गूंज उठीं, लेकिन मोहित का दिल नहीं पसीजा।
मोहित का कबूलनामा: ‘वो मुझे छोड़ना चाहती थी, बेटियों से मारपीट करती थी’
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह के अनुसार, पूछताछ में मोहित ने बताया कि सलोनी उसे उसके माता-पिता से अलग होकर रहने के लिए मजबूर कर रही थी। आए दिन वह छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करती थी और बड़ी बेटी अराध्या से मारपीट भी करती थी।
मोहित ने कहा – “मैंने बहुत सहा, लेकिन उस रात गुस्सा काबू से बाहर हो गया। शराब के नशे में जो कर बैठा, उसका पछतावा है, लेकिन अब सब खत्म हो गया है।”
सलोनी की आखिरी चेतावनी – ‘वो मुझे मार देगा!’
घटना से महज कुछ घंटे पहले, रात 11:30 बजे सलोनी ने अपने पिता प्रेमराज शर्मा को कॉल किया था। उसने साफ शब्दों में कहा – “पापा, मोहित मुझे बहुत परेशान कर रहा है। अगर कुछ हो गया तो समझिए उसी ने किया है।”
दुखद रूप से, उसकी चेतावनी सच साबित हुई। अगली सुबह मकान मालिक फकीरचंद ने फोन कर बताया – आपकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही।
मकान मालकिन का खुलासा: ‘झगड़े आम बात थे’
विमलेश, जिनके मकान में मोहित और सलोनी किराए पर रहते थे, ने बताया – “रात में दोनों के बीच तेज बहस हुई थी। ये रोज़ की बात थी। हमें लगा आज भी वैसे ही होगा, लेकिन सुबह जब पुलिस पहुंची तो सब पता चला।”
सलोनी की तहरीर, जिसे नजरअंदाज किया गया
15 जनवरी को सलोनी ने माधवपुरम चौकी पर मोहित के खिलाफ लिखित शिकायत दी थी। इसमें उसने मारपीट, मानसिक प्रताड़ना और जान से मारने की धमकी की बात कही थी। पर शायद प्रशासन ने इस शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया – और नतीजा सामने है।
मोहित अकेला नहीं था – परिवार और दोस्तों पर भी गंभीर आरोप
प्रेमराज शर्मा ने अपनी शिकायत में मोहित के साथ-साथ उसके पिता ब्रजेश शर्मा, मां बाला देवी, दोस्त सोनू, अमन, अमित, जीजा अर्जुन और बहन डॉली के नाम भी दर्ज कराए हैं। आरोप है कि ये सभी सलोनी को प्रताड़ित करने में शामिल थे।
पिता प्रेमराज कहते हैं – “हमारी बेटी ने कितनी बार मदद मांगी, लेकिन समाज और सिस्टम दोनों ने उसे अकेला छोड़ दिया।”
बेटियों का भविष्य अब अधर में
सलोनी की मौत के बाद उसकी दोनों बेटियां, जो सबकुछ अपनी आंखों से देख चुकी हैं, मानसिक रूप से बुरी तरह आहत हैं। फिलहाल उन्हें ननिहाल भेजा गया है, लेकिन सवाल ये है कि क्या इन मासूमों का बचपन अब कभी सामान्य हो पाएगा?
क्या ये समाज की विफलता नहीं?
जब एक महिला खुलेआम पुलिस से मदद मांगती है, और फिर उसी की हत्या हो जाती है – तो सवाल कानून, समाज और सिस्टम तीनों से है।
क्या सिर्फ पति दोषी है? या ये हत्या एक ऐसी सामाजिक विफलता है, जहां घरेलू हिंसा को ‘घर का मामला’ कहकर टाल दिया जाता है? अगर जनवरी की शिकायत पर कार्रवाई होती, तो शायद सलोनी आज जिंदा होती।
पुलिसिया कार्रवाई और अगला कदम
मोहित को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है। पुलिस अब आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा कर रही है। सलोनी के शव का पोस्टमार्टम किया गया है और परिजनों को सौंप दिया गया। मामले की जांच की जा रही है, लेकिन सवाल वही – क्या अब बहुत देर हो चुकी है?
न्याय की उम्मीद
इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड ने समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है – क्या महिलाएं वाकई सुरक्षित हैं? क्या घरेलू हिंसा को रोकने के लिए कानून और पुलिस पर्याप्त हैं? या जब तक जान न चली जाए, तब तक किसी को फर्क नहीं पड़ता?
अब समय है कि समाज इस तरह की घटनाओं पर सिर्फ अफसोस न जताए, बल्कि आवाज़ उठाए – ताकि अगली सलोनी को मौत से पहले इंसाफ मिल सके।