Kasganj की ज़मीन पर उस वक्त सन्नाटा छा गया जब सामूहिक दुष्कर्म की दर्दनाक घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। उत्तर प्रदेश में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, और इस बार मामला एक दलित किशोरी से गैंगरेप का है जिसने पूरे प्रदेश की रूह को कंपा दिया। बुधवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पीड़िता के परिजनों से मिलने कासगंज पहुँचे, जहाँ उन्होंने न केवल दुख जताया बल्कि सत्ता पर सीधे वार किए।
“यह जंगलराज है, बेटियाँ सुरक्षित नहीं”: अजय राय
अजय राय ने पीड़िता के परिवार से भेंट के दौरान उनके दर्द को साझा किया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। पत्रकारों से बातचीत में उनका आक्रोश खुलकर सामने आया। उन्होंने कहा कि,
“उत्तर प्रदेश में अब कानून का नहीं, बल्कि अपराधियों का राज है। बेटियाँ असुरक्षित हैं, दलितों पर अत्याचार थम नहीं रहे हैं, और सरकार आँखें मूँदे बैठी है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना केवल एक राजनीतिक ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक नैतिकता का भी सवाल है। कांग्रेस हर स्तर पर इस लड़ाई में उनके साथ खड़ी रहेगी।
फांसी की मांग, सुरक्षा की गुहार
अजय राय के साथ पीड़ित परिवार ने भी खुलकर अपनी व्यथा रखी। परिवार ने आरोपियों को फांसी देने की मांग की और कहा कि अब केवल कड़ी सज़ा ही समाज में डर पैदा कर सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष ने भी कहा,
“बलात्कारियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। जब तक फांसी जैसी सख़्त सज़ा नहीं दी जाएगी, तब तक ऐसे घिनौने अपराध थमेंगे नहीं।”
अजय राय ने प्रदेश सरकार से मांग की कि पीड़िता के परिवार को आर्थिक मदद दी जाए और सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा,
“यह केवल एक परिवार की लड़ाई नहीं है, यह पूरे समाज की लड़ाई है। सरकार को आगे आकर इंसाफ की राह आसान बनानी चाहिए।”
सिर्फ कासगंज नहीं, पूरा प्रदेश पीड़ित: राय का हमला
कांग्रेस अध्यक्ष ने सिर्फ कासगंज ही नहीं, बल्कि प्रदेशभर में बढ़ रहे अपराधों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने बनारस की घटना का जिक्र करते हुए कहा,
“चार साल की मासूम बच्ची के साथ गैंगरेप होता है, प्रयागराज में गरीबों को पेट्रोल डालकर जला दिया जाता है। यही है योगी सरकार की हकीकत।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब गरीब, दलित और अल्पसंख्यक सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गए हैं? क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं है?
वक्फ संशोधन बिल पर भी साधा निशाना
राजनीतिक बयानबाज़ी में अजय राय ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने वक्फ संशोधन बिल को लेकर कहा,
“यह बिल सिर्फ और सिर्फ मुंबई के एंटीलिया को बचाने के लिए लाया गया है। यह जनता का ध्यान भटकाने की एक साज़िश है, जबकि ज़मीनी मुद्दों पर सरकार नाकाम साबित हो रही है।”
कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल रहा मौजूद
इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे। कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज पांडे, विधि प्रकोष्ठ चेयरमैन सत्येंद्र पाल सिंह बैस, एआईसीसी सदस्य मुनेंद्र पाल सिंह राजपूत, जिला महामंत्री अमित पाठक और कांग्रेस नेता अमित भइयू समेत कई लोग इस घटना पर शोक जताने कासगंज पहुँचे।
प्रतिनिधिमंडल ने एक स्वर में सरकार से मांग की कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले, और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सख़्त नीतियाँ बनाई जाएँ।
क्यों बार-बार दोहराया जा रहा है यही अपराध?
उत्तर प्रदेश में लगातार सामने आ रही बलात्कार, हत्या, और गैंगरेप की घटनाएं अब एक सामान्य खबर बनती जा रही हैं। प्रशासन की निष्क्रियता और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। विपक्ष का आरोप है कि राज्य सरकार अपराध रोकने में पूरी तरह विफल साबित हुई है।
सवाल यह भी है कि क्या सरकार की प्राथमिकता अब भी महिला सुरक्षा है या सिर्फ चुनावी रणनीतियाँ? जब एक प्रदेश में बच्चियों को अपनी इज्जत खोने के बाद न्याय पाने के लिए राजनीतिक मदद की ज़रूरत पड़ रही हो, तब लोकतंत्र का असली चेहरा सामने आता है।
“कासगंज एक केस नहीं, सिस्टम का आइना है”
कासगंज की यह घटना केवल एक क्राइम रिपोर्ट नहीं है, यह सिस्टम के उस चेहरे का आईना है जिसे देखने से सरकार घबरा रही है। अजय राय का यह दौरा केवल सांत्वना देने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी था कि विपक्ष अब सड़क से संसद तक इस मुद्दे को उठाएगा।
जनता की आवाज़ बनती कांग्रेस?
अजय राय के इस तेवर और संवेदनशीलता को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस अब जनता के मुद्दों पर पहले से ज़्यादा सक्रिय होती दिख रही है। आने वाले समय में यदि पार्टी इन मुद्दों को लगातार उठाती रही, तो निश्चित तौर पर सरकार पर दबाव बढ़ेगा।
जनता क्या चाहती है?
जनता की माँग साफ है:
आरोपियों को फांसी
पीड़ित परिवार को सुरक्षा और आर्थिक सहयोग
राज्य सरकार द्वारा त्वरित न्याय प्रक्रिया
हर जिले में महिला हेल्पलाइन की सशक्त व्यवस्था
दलित और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा की गारंटी
जब तक ये माँगे पूरी नहीं होतीं, तब तक जनता का गुस्सा ठंडा नहीं होगा। हर नागरिक अब जाग चुका है और अपने हक के लिए आवाज़ उठा रहा है।
ध्यान देने योग्य बात:
कासगंज की यह घटना कानून व्यवस्था के लिए चेतावनी है और सरकार के लिए एक अग्निपरीक्षा। क्या योगी सरकार इस इम्तिहान में पास होगी या फिर जनता का विश्वास और भी डगमगाएगा? जवाब वक्त देगा, लेकिन फिलहाल जनता सवाल कर रही है—कहाँ है इंसाफ?