Firozabad का एक ऐसा हत्याकांड जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। दो दोस्तों के बीच शराब को लेकर हुई झड़प ने एक की जान ले ली और दूसरे को जेल की हवा खाने को मजबूर कर दिया। पुलिस ने जिस तरह से इस मामले को सुलझाया, वह भी कम रोमांचक नहीं है। पुलिसकर्मियों ने मजदूरों का भेष धरकर कई दिनों तक मुखबिरी की, तब जाकर इस हत्यारे को पकड़ा जा सका।
क्या हुआ था उस रात?
19 मार्च की वह काली रात जब दो पक्के दोस्तों के बीच शराब ने दुश्मनी पैदा कर दी। मोहल्ला दखल के रहने वाले बबलू (22) और संजय उर्फ संजू उर्फ नसीरा रोज की तरह शराब पी रहे थे। लेकिन जब संजय के पैसे खत्म हो गए और उसने बबलू से शराब लाने को कहा, तो मामला हाथों-हाथ ही बिगड़ गया। बबलू ने न सिर्फ संजय को थप्पड़ मारा बल्कि गाली-गलौज भी की। यही वह पल था जब दोस्ती की डोर टूट गई और संजय ने बदला लेने की ठान ली।
कैसे हुई हत्या?
गुस्से में भरा संजय वहां से चला गया, लेकिन उसका दिमाग बबलू के खिलाफ साजिश रचने में लगा था। कुछ देर बाद वह बबलू का पीछा करते हुए एक बालू की टाल पर पहुंच गया। वहां उसने बबलू का गला दबाकर उसकी निर्मम हत्या कर दी। अगले दिन 20 मार्च को बबलू का शव उसके घर से करीब 200 मीटर दूर पड़ा मिला।
पुलिस ने कैसे पकड़ा हत्यारे को?
पुलिस के लिए यह मामला एक बड़ी चुनौती था। शुरुआत में कोई सुराग नहीं मिल रहा था। ऐसे में पुलिस ने एक अनोखी रणनीति अपनाई। पुलिसकर्मियों ने मजदूरों का भेष धरा और इलाके में घूम-घूम कर जानकारी जुटाई। एसआई विधानचंद्र कुशवाह और सुनील सिंह ने गमछा सिर पर बांधकर क्षेत्र के लोगों से बात की। उन्होंने कई सीसीटीवी फुटेज भी चेक किए और संदिग्धों से पूछताछ की।
चार दिनों की मेहनत के बाद पुलिस को संजय पर शक हुआ। जब उससे पूछताछ की गई, तो वह बच नहीं पाया और अपने जुर्म कबूल कर लिया। शनिवार को पुलिस ने उसे बंबा चौराहे से गिरफ्तार कर लिया।
क्या कहती है पुलिस?
एसपी सिटी रविंशंकर प्रसाद ने बताया कि यह मामला शराब और गुस्से का नतीजा है। सीओ सिटी अरुण कुमार चौरसिया ने कहा कि संजय ने अपने ही दोस्त की जान लेकर बड़ा अपराध किया है। पुलिस ने मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए आरोपी को जेल भेज दिया है।
क्या होगा अब?
अब सवाल यह है कि क्या शराब और गुस्से की वजह से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है? क्या समाज में बढ़ती हिंसा को रोका जा सकता है? पुलिस का कहना है कि ऐसे मामलों में सतर्कता बरतनी चाहिए और किसी भी विवाद को हिंसा तक नहीं पहुंचने देना चाहिए।
इस हत्याकांड ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि शराब और गुस्सा किस तरह जानलेवा साबित हो सकते हैं। पुलिस की मेहनत और सूझबूझ ने इस मामले को सुलझाया, लेकिन समाज को भी ऐसी घटनाओं से सबक लेना चाहिए।
यह खबर पढ़कर आप क्या सोचते हैं? क्या शराब और गुस्से से जुड़े ऐसे मामलों को रोका जा सकता है? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।