Sultanpur जिले में एक घरेलू विवाद ने इतना भयानक मोड़ ले लिया कि एक आदमी की जान चली गई और पूरे मोहल्ले में मातम पसर गया। अमहट स्थित कांशीराम कॉलोनी में शनिवार रात जो हुआ, वो न सिर्फ एक पारिवारिक झगड़े का परिणाम था बल्कि समाज में बढ़ती घरेलू हिंसा और रिश्तों में दरार की एक चिंताजनक तस्वीर भी पेश करता है।
खाना बना झगड़े की वजह, छत से गिरकर मौत
कोतवाली नगर क्षेत्र के कांशीराम कॉलोनी में रहने वाले 40 वर्षीय दिलशाद का अपनी पत्नी शन्नो से किसी बात पर विवाद हो गया। आरोप है कि दिलशाद ने जब खाना मांगा, तो दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। परिजनों का दावा है कि गुस्साई पत्नी ने दिलशाद को छज्जे से धक्का दे दिया। वह सीधा नीचे आ गिरा और गंभीर रूप से घायल हो गया। आनन-फानन में परिजन उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
पुलिस का देर से पहुंचना बना सवाल
इस हादसे ने प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर कर दिया। चौंकाने वाली बात यह रही कि घटना स्थल से महज कुछ कदम की दूरी पर पुलिस चौकी थी, लेकिन पुलिस को मौके पर पहुंचने में एक घंटे से भी ज़्यादा समय लग गया। इस देरी पर स्थानीय लोग और मृतक के परिजन बेहद नाराज़ हैं। लोगों का कहना है कि अगर समय पर मदद मिली होती तो शायद दिलशाद की जान बच सकती थी।
सास और बहन ने लगाए सनसनीखेज आरोप
दिलशाद की मां कुरैशा और बहन सायमा बानो ने पत्नी शन्नो पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि शन्नो का व्यवहार कई वर्षों से सही नहीं था। वे बताती हैं कि शन्नो का किसी और से मोबाइल पर बातचीत करना आम बात थी और इसी बात को लेकर अक्सर घर में झगड़े होते थे। मृतक की मां ने बताया कि शन्नो कई बार घर छोड़कर भाग चुकी थी, लेकिन दिलशाद हर बार उसे वापस ले आता था।
सायमा बानो ने दावा किया, “हमने खुद देखा कि भाभी ने उन्हें छज्जे से धक्का दिया। वह कभी भी हमारे भाई को पसंद नहीं करती थी, आए दिन लड़ाई करती थी। अब जाकर ये सब हो गया।”
आरोपी पत्नी का बयान: “वो खुद कूदे, हम निर्दोष हैं”
मामले में आरोपी पत्नी शन्नो का बयान भी सामने आया है। उसने दावा किया कि उसके पति शराब पीकर घर आए थे और छत से खुद कूद गए। उसका कहना है कि वह अपने बच्चों के साथ कमरे में थी और पति का कोई झगड़ा नहीं हुआ था। उसने अपने ऊपर लगे आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया।
शन्नो का कहना है, “8 साल की शादी है हमारी। वो रोज़ शराब पीकर आते हैं। हम ऐसे कैसे उन्हें मार देंगे? हमारी सास बेवजह हम पर आरोप लगा रही हैं।”
अतीत से जुड़े हिंसक किस्से भी आए सामने
परिजनों ने यह भी बताया कि शन्नो पहले भी दिलशाद को मार चुकी है, जिसके बाद उसे इलाज की भी जरूरत पड़ी थी। इससे स्पष्ट होता है कि यह कोई पहली बार का मामला नहीं था। परिवार का कहना है कि शन्नो पहले भी हिंसक व्यवहार कर चुकी हैं और मोबाइल को लेकर होने वाली कहासुनी उनकी ज़िंदगी का एक नियमित हिस्सा बन चुकी थी।
कॉलोनी में फैला मातम, लोगों में ग़ुस्सा
घटना के बाद कांशीराम कॉलोनी में मातम पसरा हुआ है। मोहल्ले वालों ने बताया कि इस दंपत्ति के झगड़े की आवाज़ें पहले भी सुनी जाती थीं लेकिन किसी को यह अंदेशा नहीं था कि बात इतनी आगे बढ़ जाएगी। बच्चों के सामने ही ये त्रासदी हुई, जिससे मासूमों पर भी गहरा मानसिक असर पड़ सकता है।
पुलिस जांच में जुटी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार
पुलिस ने फिलहाल महिला को हिरासत में ले लिया है और शव को मर्चरी में सुरक्षित रखवाया गया है। मामले की जांच जारी है और पुलिस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। इस रिपोर्ट से यह तय होगा कि मामला आत्महत्या का है या हत्या का।
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस कॉलोनी के अन्य लोगों से भी पूछताछ कर रही है और छत पर मौजूद संभावित साक्ष्यों को जुटाने में लगी है। महिला के फोन रिकॉर्ड और कॉल डिटेल्स की भी जांच की जा रही है ताकि यह पता चल सके कि वह किसी अन्य व्यक्ति के संपर्क में थी या नहीं।
क्या है कानून की नज़र में?
अगर यह साबित होता है कि दिलशाद को धक्का दिया गया था, तो मामला गैर इरादतन हत्या (IPC 304) या हत्या (IPC 302) के तहत दर्ज हो सकता है। वहीं अगर आत्महत्या की पुष्टि होती है, तो पुलिस को महिला को क्लीन चिट मिल सकती है। ऐसे मामलों में सबूतों की भूमिका बेहद अहम होती है।
क्या यह घरेलू हिंसा का चरम था?
यह मामला सिर्फ एक हत्या या आत्महत्या का नहीं, बल्कि घरेलू हिंसा के उस स्तर को दिखाता है जो समाज में अब आम होता जा रहा है। पति-पत्नी के बीच झगड़े होना कोई नई बात नहीं, लेकिन यह झगड़े तब घातक हो जाते हैं जब संवाद की जगह हिंसा ले लेती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू जीवन में यदि नियमित लड़ाई-झगड़ा हो रहा है, तो उसका असर न सिर्फ परिवार बल्कि समाज पर भी पड़ता है। ज़रूरत है ऐसे परिवारों को समय रहते काउंसलिंग और सामाजिक सहायता देने की।
निष्कर्ष नहीं, लेकिन एक गहरी सोच
सुल्तानपुर की यह घटना समाज को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने रिश्तों को कितना गंभीरता से लेते हैं। क्या वाकई एक “खाना मांगना” इतना बड़ा अपराध हो सकता है कि उसकी सजा मौत हो? या फिर इस कहानी में कई परतें हैं जो अभी खुलनी बाकी हैं?
जांच जारी है, लेकिन सवाल यही है—क्या ये सिर्फ एक दुर्घटना थी, या फिर एक सुनियोजित हत्या?
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