मेरठ, उत्तर प्रदेश — शुक्रवार शाम जब उत्तर भारत के कई हिस्सों में मौसम ने करवट ली, उसी समय Meerut-Muzaffarnagar रेलवे मार्ग पर एक गंभीर घटना ने यात्रियों की परेशानी को और बढ़ा दिया। पावली खास रेलवे स्टेशन के पास, ठीक चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के सामने, अचानक तेज आंधी और बारिश के बीच हाई वोल्टेज बिजली की लाइन टूटकर सीधे रेलवे ट्रैक पर गिर पड़ी।
घटना शाम करीब 7:20 बजे की है, जब आसमान में बिजली की गड़गड़ाहट के साथ बारिश शुरू हुई और तेज हवाओं ने पूरे क्षेत्र में कोहराम मचा दिया। इन्हीं हवाओं के बीच कृषि विवि के पास लगे बिजली के खंभे से एक भारीभरकम तार छूट गया और पटरी पर गिरते ही पूरे रेल यातायात को रोक देना पड़ा।
ट्रेनों की लंबी कतार, यात्री हलकान
इस तकनीकी गड़बड़ी के चलते सबसे पहले प्रभावित हुई शालीमार एक्सप्रेस, जो निर्धारित समय पर दौड़ रही थी, लेकिन हादसे वाले पॉइंट से ठीक पहले उसे रोकना पड़ा। इसके अलावा कई मालगाड़ियां और लोकल ट्रेनें भी ट्रैक पर ही खड़ी रहीं। गर्मी और उमस के बीच ट्रेन में बैठे यात्रियों की हालत खराब हो गई। बुजुर्ग, महिलाएं और छोटे बच्चों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
कुछ यात्रियों ने जानकारी दी कि वे मेडिकल अपॉइंटमेंट, परीक्षा और अन्य जरूरी कार्यों के लिए यात्रा कर रहे थे, लेकिन अचानक इस रुकावट ने उनकी सारी योजनाएं बिगाड़ दीं।
रेलवे स्टाफ ने किया तत्परता से काम
रेलवे की तकनीकी टीम को जैसे ही सूचना मिली, वे तुरंत मौके पर पहुंची। भारी बारिश और तेज हवा के बावजूद उन्होंने किसी भी संभावित दुर्घटना से बचने के लिए बिजली आपूर्ति को तुरंत बंद कराया और टूटे तार को ट्रैक से हटाने का कार्य शुरू किया।
करीब 90 मिनट की मशक्कत के बाद, यानी लगभग शाम 8:50 बजे, पूरी लाइन को दुरुस्त कर ट्रेनों की आवाजाही को फिर से चालू किया गया। रेलवे के अधिकारियों ने इस कार्य में लगे कर्मचारियों की तत्परता की सराहना की और कहा कि इस प्रकार की स्थितियों में जीवन और सुरक्षा सबसे पहले है।
क्यों टूटे तार? उठने लगे सवाल
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और यात्रियों के मन में कई सवाल उठे। आखिर क्यों इतनी तेज हवा में तार टूट गया? क्या लाइन में पहले से कोई तकनीकी कमजोरी थी? क्या रेलवे और बिजली विभाग के बीच तालमेल की कमी के कारण यह हादसा हुआ? सूत्रों के अनुसार, बिजली विभाग पहले भी इस क्षेत्र की लाइन को लेकर चेतावनी दे चुका था, लेकिन सुधार कार्य नहीं हुआ।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह कोई पहला मामला नहीं है जब मेरठ-मुजफ्फरनगर मार्ग पर इस तरह की बाधा उत्पन्न हुई हो। पिछले वर्ष भी इसी मार्ग पर लिसाड़ी गेट के पास आंधी में एक खंभा गिर गया था, जिससे करीब दो घंटे तक ट्रेनें रुकी थीं। बार-बार इस प्रकार की घटनाएं रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि मामला पूरी तरह से प्राकृतिक आपदा से संबंधित था, और तत्काल एक्शन लेकर ट्रैक को सुरक्षित किया गया। वहीं, बिजली विभाग के कुछ अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुरानी लाइनें और ओवरहेड सिस्टम को अपग्रेड करने की आवश्यकता है, नहीं तो भविष्य में इससे भी गंभीर घटनाएं हो सकती हैं।
यात्रियों ने जताई नाराजगी
ट्रेनों में फंसे यात्रियों ने सोशल मीडिया पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की। कुछ यात्रियों ने लिखा, “बिजली का तार गिरना और उसके बाद डेढ़ घंटे का इंतजार… ये कौन सी 21वीं सदी की रेलवे सेवा है?” एक अन्य यात्री ने कहा, “ट्रेन में न पंखा, न हवा… बच्चे रोते रहे और अधिकारी कहां थे?”
जरूरी है आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
इस प्रकार की घटनाओं से साफ है कि रेलवे को अब ओवरहेड तारों की तकनीक को अपडेट करने की जरूरत है। कई देशों में अब अंडरग्राउंड सप्लाई सिस्टम या सेंसिंग सिस्टम का प्रयोग किया जा रहा है, जो इस प्रकार की आपदा के दौरान स्वत: चेतावनी देता है। अगर भारत भी ऐसे सिस्टम अपनाए, तो ना केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि समय की भी बचत होगी।
अगला कदम ज़रूरी
अब समय आ गया है कि रेलवे और संबंधित विभाग सिर्फ तात्कालिक सुधार न करें, बल्कि स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएं। हर बार मौसम का बहाना देकर यात्रियों की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। आधुनिक तकनीक, समय पर निरीक्षण, और विभागीय तालमेल से ही ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
यात्रियों की सुरक्षा, उनकी सुविधा और समयबद्ध सेवा ही रेलवे की प्राथमिकता होनी चाहिए। उम्मीद की जाती है कि यह घटना एक चेतावनी बनकर उभरे और आगे ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।