कुंदरकी/दिल्ली: साइबर ठगी के एक बड़े और संगठित अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिसने अब तक देशभर के नागरिकों को 117 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का शिकार बनाया है। केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के कुंदरकी के अब्दुल्लापुर गांव में छापेमारी की, जहां से तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया गया। हालांकि, लंबी पूछताछ के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया, लेकिन मुख्य आरोपी युवक और उसके पिता को CBI ने दिल्ली तलब किया है।
CBI की बड़ी छापेमारी: टीम ने जब्त किए डेबिट कार्ड, लैपटॉप और वाईफाई डिवाइस
बुधवार सुबह, CBI की 100 सदस्यीय विशेष टीम भारी पुलिस बल के साथ अब्दुल्लापुर पहुंची और गांव के पांच घरों में छापेमारी की। इस दौरान टीम ने डेबिट कार्ड, बैंक पासबुक, मोबाइल फोन, लैपटॉप और वाईफाई डिवाइस जैसे साक्ष्य जब्त किए। छापेमारी के दौरान दो युवकों और एक संदिग्ध के पिता को हिरासत में लिया गया, जिनसे घंटों तक पूछताछ की गई। हालांकि, सबूतों के अभाव में उन्हें रिहा कर दिया गया, लेकिन मुख्य आरोपी को CBI ने दिल्ली बुलाया है।
कैसे हुआ 117 करोड़ का साइबर घोटाला?
गृह मंत्रालय द्वारा CBI को सौंपे गए इस मामले की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पता चला है कि दुबई में बैठे साइबर ठगों ने यूपी, बिहार, झारखंड और अन्य राज्यों के 3000 से अधिक बैंक खातों का इस्तेमाल करके यह बड़ी धोखाधड़ी की। राष्ट्रीय अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के अनुसार, सिर्फ 2023 में (1 जनवरी से 17 अक्टूबर तक) 2903 साइबर ठगी की शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें 117 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी शामिल थी।
खाताधारकों की भूमिका पर सवाल: शिकार या साथी?
जांच एजेंसी के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने सारे खातों तक साइबर ठगों की पहुंच कैसे बनी? क्या खाताधारक इस गिरोह का हिस्सा हैं या उन्हें लालच देकर उनके खातों का गलत इस्तेमाल किया गया? CBI इसी पहेली को सुलझाने में जुटी है। खासतौर पर मुरादाबाद और संभल के कुछ खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर होने के सबूत मिले हैं।
गांव में सन्नाटा, लोगों के बीच डर का माहौल
CBI की कार्रवाई के बाद से गांव में डर का माहौल है। बृहस्पतिवार को भी गांव की गलियां सुनसान रहीं, और लोगों के बीच इस छापेमारी की चर्चा गर्म थी। स्थानीय निवासी हैरान हैं कि उनके गांव का नाम इतने बड़े साइबर घोटाले से जुड़ गया है।
क्या है अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह की रणनीति?
साइबर ठगी के इस मामले में एक बड़ा नया मोड़ यह है कि अपराधी दुबई जैसे देशों से ऑपरेट कर रहे हैं। वे फर्जी कॉल, फिशिंग लिंक, UPI धोखाधड़ी और डेटा हैकिंग के जरिए लोगों के पैसे लूट रहे हैं। CBI अब इस गिरोह के भारतीय नेटवर्क को उजागर करने में जुटी है।
साइबर सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल
यह मामला एक बार फिर साइबर सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को और सुरक्षा लेयर्स जोड़ने की जरूरत है, ताकि आम लोगों को ठगी से बचाया जा सके।
अगला कदम: CBI की जांच तेज, क्या मुख्य आरोपी गिरफ्तार होगा?
अब सभी की नजरें CBI की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या एजेंसी इस अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह के भारतीय कनेक्शन को पूरी तरह उजागर कर पाएगी? क्या मुख्य आरोपी और उसके साथियों को सजा मिलेगी? यह सवाल अभी बना हुआ है।
इस मामले में और भी नए खुलासे होने की संभावना है, क्योंकि CBI की टीम लगातार जांच को आगे बढ़ा रही है। जैसे-जैसे नए सबूत सामने आएंगे, इस साइबर ठगी का और बड़ा नेटवर्क सामने आ सकता है।
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(यह खबर लगातार अपडेट हो रही है। नए अपडेट्स के लिए बने रहें।)