उत्तर प्रदेश के शांत समझे जाने वाले Bijnor जिले में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। नजीबाबाद के मोहल्ला आदर्श में रहने वाले रेलवे कर्मचारी दीपक की हत्या ने सिर्फ उसके परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। इस हत्या की आरोपी कोई और नहीं, बल्कि उसकी अपनी पत्नी शिवानी है, जिससे दीपक ने आठ साल लंबे प्रेम संबंध के बाद इसी साल जनवरी में शादी की थी।
आठ साल की मोहब्बत, छह महीने की शादी और फिर खौफनाक अंत
दीपक और शिवानी की प्रेम कहानी कॉलेज के दिनों से शुरू हुई थी। हल्दौर स्थित एक कॉलेज में पढ़ाई के दौरान दोनों एक-दूसरे के करीब आए। समय बीतता गया, मोहब्बत गहराती गई, लेकिन जब परिवारों को इस रिश्ते की भनक लगी, तो शुरू में उन्होंने इस रिश्ते को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हालांकि, दीपक की सरकारी नौकरी लगने के बाद हालात बदले। आखिरकार जनवरी 2024 में दोनों ने धूमधाम से शादी कर ली। कुछ ही समय में उनका एक बेटा भी हुआ जो अभी महज छह महीने का है।
लेकिन इस प्रेम कहानी का अंजाम ऐसा होगा, किसी ने सोचा भी नहीं था। शादी के महज तीन महीने बाद शिवानी ने दीपक की हत्या कर दी। हत्या का कारण घरेलू कलह बताया जा रहा है। शिवानी के अनुसार, दीपक उस पर हाथ उठाता था और झगड़े अक्सर होते थे। लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि ये झगड़े इस कदर बढ़ जाएंगे कि वो अपने जीवनसाथी की जान ले लेगी।
पूछताछ के 36 घंटे: टूट गई शिवानी, रो-रो कर बिखर गई जिंदगी
पुलिस ने जब शिवानी को हिरासत में लिया और उससे 36 घंटे तक पूछताछ की, तो धीरे-धीरे उसके चेहरे से पर्दा उठता गया। शुरू में वह टूटने को तैयार नहीं थी, लेकिन समय के साथ उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। सोमवार शाम को उसका चालान कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
जेल में शिवानी की हालत और भी खराब हो गई। पूरी रात करवटें बदलती रही, न सो सकी और न कुछ खा सकी। बैरक में अन्य महिलाओं ने उसे दिलासा देने की कोशिश की। जेल की महिला वार्डन भी बैरक पहुंचीं और उसकी काउंसलिंग की गई। लेकिन शिवानी की हालत बेहद नाजुक है, वह सिर्फ एक ही बात दोहरा रही है—“दीपक मारता था, इसलिए मैंने मारा”।
बेटे से भी छूट गया साथ: मां-बेटे का बिछड़ाव बना और बड़ा ज़ख्म
दीपक के परिवार ने हत्या के बाद मासूम बच्चे को अपने साथ ले लिया है। अब शिवानी को जेल में अपने बच्चे की भी याद सताती है। एक मां के लिए इससे बड़ा दुख क्या हो सकता है? न पति रहा, न बेटा, और न ही समाज में कोई स्थान। एक ओर से प्रेम का आगाज़ था, तो दूसरी तरफ मौत का अंत।
शिवानी बार-बार पूछ रही है—“मेरा बेटा कहां है?” लेकिन अब कोई जवाब नहीं है, सिर्फ खामोशी और अपराधबोध का साया है।
पड़ोसियों और रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया: “कभी नहीं सोचा था ये लड़की ऐसा कर सकती है”
मोहल्ले के लोग भी इस घटना से स्तब्ध हैं। पड़ोसियों का कहना है कि शिवानी शांत स्वभाव की लड़की थी, कभी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं की। दीपक भी मिलनसार और मेहनती युवक था। शादी के बाद दोनों अक्सर साथ बाजार जाते थे, बच्चा लेकर पार्क में घूमते दिखते थे।
रिश्तेदारों की माने तो शिवानी के अंदर पिछले कुछ समय से बेचैनी थी। कई बार वह अकेले बैठ कर रोती थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। कुछ ने यह भी बताया कि दीपक की नौकरी में ट्रांसफर की बातें चल रही थीं और इससे शिवानी परेशान थी।
पुलिस जांच: हत्या कैसे हुई, कौन-कौन शामिल?
पुलिस का कहना है कि हत्या की साजिश कुछ दिनों से रची जा रही थी। मौके पर मौजूद सबूतों से यह साफ है कि यह क्राइम कोई अचानक नहीं, बल्कि प्लानिंग के तहत अंजाम दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन प्राथमिक जांच में गला दबाकर हत्या की पुष्टि हो चुकी है।
पुलिस अब यह जांच कर रही है कि कहीं शिवानी के साथ कोई और भी इस साजिश में शामिल तो नहीं था। कॉल डिटेल्स, मैसेज रिकॉर्ड्स और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।
समाज में उठते सवाल: क्या प्यार अब जानलेवा बन रहा है?
इस केस ने समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है—क्या प्यार अब एक खूनी खेल बनता जा रहा है? क्या घरेलू हिंसा, झगड़े और अविश्वास रिश्तों को बर्बादी की तरफ ले जा रहे हैं?
एक तरफ शिवानी का अपराध है, लेकिन दूसरी तरफ उस महिला की मानसिक स्थिति भी सवालों में है। क्या उसे समय रहते मदद मिल जाती तो ये हत्या टल सकती थी? क्या अगर दोनों ने काउंसलिंग ली होती, तो एक मासूम बच्चे से उसका पिता नहीं छिनता?
मनोचिकित्सकों की राय: गुस्से और दबाव का मिला घातक नतीजा
मनोविश्लेषकों का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी रिश्तों को जितनी जल्दी जोड़ती है, उतनी ही जल्दी तोड़ने में भी हिचकिचाती नहीं। गुस्से, असंतोष और मानसिक दबाव का जब इलाज नहीं होता, तो वह ऐसे जघन्य अपराधों में तब्दील हो जाता है।
शिवानी केस में भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। प्रेम विवाह, नवजात शिशु, जिम्मेदारियां और घरेलू कलह—इन सबका मेल शायद उसे मानसिक रूप से तोड़ गया। लेकिन अब पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचा।
न्याय की उम्मीद: कोर्ट का फैसला क्या मोड़ लाएगा?
अब पूरा मामला कोर्ट के हवाले है। पुलिस ने केस मजबूत बनाने के लिए सबूत और गवाह दोनों जुटाने शुरू कर दिए हैं। दीपक का परिवार न्याय की मांग कर रहा है, जबकि शिवानी के मायके वाले अब चुप हैं।
आने वाले दिनों में कोर्ट यह तय करेगा कि इस हत्याकांड की सज़ा क्या होगी, लेकिन समाज की नजरों में यह केस एक बड़ा सबक बन चुका है।
अब यह केस सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक सवाल है—प्यार अगर ज़िम्मेदारी ना बने, तो वो तबाही बन जाता है।