Bareilly Waqf: बरेली जिले में वक्फ संपत्तियों को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जिले की कुल 3,385 वक्फ संपत्तियों में से करीब 2,000 सरकारी हैं, जिनका क्षेत्रफल 330.518 हेक्टेयर तक फैला हुआ है। इनमें से कई संपत्तियों पर अवैध निर्माण हो चुका है, जबकि कई नामचीन धार्मिक स्थल भी इस सूची में शामिल हैं। वक्फ संशोधन विधेयक पास होने के बाद इन संपत्तियों का भविष्य अनिश्चित हो गया है।
सरकारी गजट में दर्ज है पूरा ब्योरा
वर्ष 1986 में प्रकाशित सरकारी गजट और रजिस्टर संख्या 37 में इन संपत्तियों का विवरण दर्ज है। हैरानी की बात यह है कि इनमें से 700 संपत्तियां नगर निगम क्षेत्र में स्थित हैं, जहां अवैध निर्माण और कब्जे की घटनाएं आम हैं। राजस्व विभाग ने इन संपत्तियों की जांच की है, लेकिन अभी तक सूची को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
वक्फ बोर्ड का विवादास्पद दावा
कई सरकारी संपत्तियों को वक्फ बोर्ड ने अपने नाम दर्ज कर लिया है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने शासन के निर्देश पर राजस्व विभाग को 3,385 वक्फ संपत्तियों की सूची सौंपी थी। राजस्व अधिकारियों ने स्थलीय जांच कर रिपोर्ट तैयार की, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
किस तहसील में कितनी संपत्तियां?
शासन को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, बहेड़ी तहसील में सर्वाधिक 554 वक्फ संपत्तियां सरकारी हैं, जबकि फरीदपुर तहसील में सबसे कम 146 संपत्तियां पाई गईं। सदर तहसील में 80.827 हेक्टेयर वक्फ जमीन सरकारी है, जो जिले में सबसे अधिक है।
1,385 संपत्तियां असली वक्फ, बाकी रहस्यमय
जिले में केवल 1,385 संपत्तियां ही असली वक्फ की हैं, जबकि वक्फ बोर्ड की सूची में दर्ज संपत्तियों के अलावा 1,290 और संपत्तियां हैं, जिनका राजस्व अभिलेखों में कोई विवरण नहीं मिलता। राजस्व विभाग भी इनकी पहचान करने में असमर्थ है, जिससे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है – “क्या यह जानबूझकर की गई गड़बड़ी है?”
अवैध निर्माण और कब्जे की हकीकत
जिले में कई वक्फ संपत्तियों पर अवैध निर्माण हो चुका है। कुछ जमीनों पर तो बड़े-बड़े कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बन चुके हैं, जबकि कुछ पर अतिक्रमण कर झुग्गी-झोपड़ियां बसाई जा चुकी हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वक्फ बोर्ड और राजस्व विभाग की मिलीभगत से यह सब हो रहा है।
वक्फ संशोधन विधेयक – अब क्या होगा?
केंद्र सरकार द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक पास किए जाने के बाद इन संपत्तियों का भविष्य अनिश्चित हो गया है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार इन अवैध कब्जों को हटाएगी या फिर वक्फ बोर्ड को ही इन पर मालिकाना हक मिल जाएगा?
स्थानीय लोगों और प्रशासन में तनाव
इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ रहा है। कई संगठनों ने इन संपत्तियों की जांच की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
निष्क्रियता पर सवाल
राजस्व विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। अगर सभी दस्तावेज सरकारी गजट में दर्ज हैं, तो फिर अवैध कब्जे और निर्माण को रोका क्यों नहीं गया? क्या यह सब अनदेखी का नतीजा है या फिर कोई बड़ा सरकारी षड्यंत्र?
आगे की कार्रवाई क्या होगी?
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है। क्या अवैध कब्जे हटाए जाएंगे या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? जनता की नजरें अब सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।
यह खबर और भी चौंकाने वाले खुलासे करेगी, जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी। बने रहिए हमारे साथ, क्योंकि यह सिर्फ शुरुआत है!