Meerut: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (CCS University) के एमए राजनीति विज्ञान के पेपर में एक ऐसा सवाल शामिल किया गया, जिसने पूरे शैक्षणिक परिसर में तूफान खड़ा कर दिया। प्रश्नपत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को कट्टरपंथी और आतंकी संगठनों के साथ जोड़कर पूछे गए सवाल ने विवाद को जन्म दे दिया। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए पेपर तैयार करने वाली प्रोफेसर को आजीवन के लिए डिबार कर दिया है।
क्या था पेपर में विवादित सवाल?
एमए राजनीति विज्ञान के द्वितीय वर्ष के परीक्षा पत्र में छात्रों से पूछा गया था – “RSS की धार्मिक और जातीय पहचान को भारतीय राजनीति और आतंकी संगठनों के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है?” यह सवाल देखते ही छात्रों के बीच हड़कंप मच गया। RSS के समर्थकों और ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने इस सवाल को आपत्तिजनक बताते हुए तुरंत विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
#Meerut #CCSUNIVERSITY प्रश्न में RSS को कट्टरपंथी/आतंकी संगठनों के साथ जोड़ने पर बवाल मचा। यूनिवर्सिटी ने प्रश्नपत्र तैयार करने वालीं प्रोफेसर सीमा पंवार को हमेशा के लिए परीक्षा और मूल्यांकन कार्यों से डिबार किया। HOD सीमा पंवार, राष्ट्रीय कवि हरिओम पंवार के भाई की पत्नी हैं। pic.twitter.com/y0ViG8lYC5
— News & Features Network (@newsnetmzn) April 5, 2025
ABVP का जोरदार विरोध, कैंपस में मचा हंगामा
ABVP के कार्यकर्ताओं ने इस प्रश्न को RSS की छवि को धूमिल करने की साजिश बताया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की। छात्रों का कहना था कि यह सवाल न सिर्फ गलत है, बल्कि एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा लगता है। विवाद बढ़ने पर विश्वविद्यालय ने तुरंत एक जांच समिति गठित की।
प्रोफेसर ने मांगी माफी, पर कार्रवाई से नहीं बच पाईं
जांच में पता चला कि यह प्रश्नपत्र मेरठ कॉलेज की राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. सीमा पंवार ने तैयार किया था। घटना के बाद प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय को लिखित में माफी मांगी और कहा कि उनकी मंशा किसी को नीचा दिखाने की नहीं थी। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस माफीनामे को स्वीकार नहीं किया और उन्हें परीक्षा संबंधी सभी गतिविधियों से आजीवन प्रतिबंधित कर दिया।
विश्वविद्यालय ने क्या कहा?
CCS यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार धीरेंद्र वर्मा ने बताया कि प्रश्नपत्र में गंभीर लापरवाही बरती गई थी। उन्होंने कहा, “हमने तुरंत जांच की और पाया कि प्रश्न अनुचित था। प्रोफेसर ने गलती स्वीकार की है, लेकिन ऐसी चूक भविष्य में न हो, इसके लिए उन्हें डिबार किया गया है।”
क्या पेपर चेक करने में हुई लापरवाही?
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठा है कि आखिर विश्वविद्यालय स्तर पर प्रश्नपत्र की जांच क्यों नहीं की गई? अगर पेपर को ठीक से चेक किया गया होता, तो शायद यह विवाद टल सकता था। इस घटना ने CCS यूनिवर्सिटी की परीक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजनीतिक हलकों में मचा बवाल
इस मामले ने सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों को ही नहीं, बल्कि राजनीतिक गलियारों को भी हिला दिया है। RSS से जुड़े संगठनों ने इसकी कड़ी निंदा की है, जबकि कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे “शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला” बताया है।
क्या होगा अब?
अब सवाल यह है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन भविष्य में ऐसी गलतियों को रोक पाएगा? क्या शिक्षकों को प्रश्नपत्र तैयार करने से पहले बेहतर दिशा-निर्देश दिए जाएंगे? यह मामला न सिर्फ CCS यूनिवर्सिटी, बल्कि पूरे देश के शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक सबक बन गया है।
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