Kanpur में रहने वाले भूपेंद्र सिंह ने वो कर दिखाया, जो आमतौर पर फिल्मों में देखने को मिलता है। साइबर अपराधियों से सतर्क रहने की बजाय उन्होंने खुद उन्हें जाल में फंसा लिया और उनकी ही जेब हल्की कर दी।
आज के दौर में साइबर ठग नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को चूना लगा रहे हैं, लेकिन इस बार कहानी उलट गई। भूपेंद्र ने अपनी चालाकी से साइबर अपराधी को ऐसा गुमराह किया कि ठग खुद ₹10,000 गंवाकर रह गया।
कैसे शुरू हुआ साइबर ठगी का खेल?
बर्रा, कानपुर के रहने वाले भूपेंद्र के पास एक अनजान नंबर से कॉल आया। सामने वाले ने खुद को CBI अधिकारी बताते हुए धमकी दी—
“आपने इंटरनेट पर आपत्तिजनक सामग्री देखी है। अगर ₹16,000 नहीं दिए, तो कानूनी कार्रवाई होगी!”
लेकिन भूपेंद्र इतने भोले नहीं थे। उन्होंने तुरंत समझ लिया कि यह एक साइबर ठगी का मामला है।
ठग को ठगने की प्लानिंग
भूपेंद्र ने अनजान कॉलर को मासूम बनकर जवाब दिया—
“सर, मैं तो अभी बच्चा हूं। मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं।”
इसके बाद उन्होंने ठग को अपने जाल में उलझाने के लिए एक नया पैंतरा आजमाया।
“मेरे पास एक सोने की चेन है, लेकिन वो गिरवी रखी है। उसे छुड़ाने के लिए ₹3,000 चाहिए। अगर आप भेज दें तो मैं चेन बेचकर आपका पूरा पैसा लौटा दूंगा।”
बस फिर क्या था! लालच में आकर ठग ने तुरंत ₹3,000 ट्रांसफर कर दिए।
‘माँ-पिता’ भी बने, ठग पूरी तरह फंस गया
इतना ही नहीं, भूपेंद्र ने अपने दोस्त और पत्नी को भी इस प्लान में शामिल किया। उनकी पत्नी ने फोन पर ‘माँ’ बनकर ठग से बात की, जबकि दोस्त ‘पिता’ बनकर ठग को और गुमराह करता रहा।“हम गरीब लोग हैं, हमारा बेटा बच्चा है। हम लोग पैसा जुटा रहे हैं, थोड़ा समय दीजिए।”
यह सब सुनकर ठग को भरोसा हो गया कि वह किसी मासूम परिवार को फंसा चुका है। धीरे-धीरे भूपेंद्र ने अलग-अलग बहाने बनाकर ₹10,000 ठग से मंगवा लिए।
जब ठग को ठगी का एहसास हुआ!
जब साइबर अपराधी को समझ में आया कि वह खुद जाल में फंस गया है, तो उसने भूपेंद्र को कॉल करके रोना शुरू कर दिया—
“भाई, मेरे पैसे लौटा दो। मुझे अपने बच्चों के लिए होली की खरीदारी करनी है!”
अब हालत यह हो गई थी कि जो ठग पहले ₹16,000 की मांग कर रहा था, वह अब खुद ₹10,000 वापस मांगने की भीख मांग रहा था।
कैसे किया भूपेंद्र ने ठगी का पर्दाफाश?
भूपेंद्र पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं, इसलिए उन्हें साइबर ठगी के ऐसे मामलों की अच्छी जानकारी थी।
गूगल लेंस की मदद से ठगी का खुलासा – जब ठग ने उन्हें एक फर्जी दस्तावेज भेजा, तो उन्होंने गूगल लेंस का उपयोग करके चेक किया और पाया कि यह एक जाली पेपर था।
बच्चे की तरह मासूमियत दिखाकर ठग को गुमराह करना – उन्होंने एक किशोर की तरह बात की, जिससे ठग को भरोसा हो गया कि सामने वाला नासमझ है।
सोने की चेन का लालच देकर पैसे निकलवाना – ठग को ऐसा फंसाया कि वह खुद पैसे देने को मजबूर हो गया।
पुलिस ने बनाया साइबर जागरूकता का ब्रांड एंबेसडर
भूपेंद्र की इस अनोखी चालाकी की चर्चा अब पूरे देश में हो रही है। कानपुर पुलिस ने उन्हें साइबर क्राइम अवेयरनेस कैंपेन का ब्रांड एंबेसडर बना दिया है।
उत्तर प्रदेश के DGP ने उन्हें सम्मानित किया और प्रमाण पत्र देकर उनकी सराहना की।
साइबर ठगी से बचने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
भूपेंद्र के इस मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है। अगर आप भी साइबर ठगों से बचना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें—
अनजान नंबर से आए कॉल पर कभी भी बैंक डिटेल या OTP साझा न करें।
कोई भी सरकारी अधिकारी (CBI, पुलिस, बैंक) फोन पर पैसे मांगने की धमकी नहीं देता।
गूगल लेंस और ट्रू कॉलर जैसे ऐप्स का इस्तेमाल करें, ताकि संदिग्ध नंबर और फर्जी दस्तावेजों की जांच कर सकें।
अगर कोई आपको फंसाने की कोशिश कर रहा है, तो तुरंत साइबर सेल में शिकायत करें।
सीख!
भूपेंद्र सिंह ने यह साबित कर दिया कि अगर थोड़ी सी सूझबूझ से काम लिया जाए, तो ठग खुद ही जाल में फंस सकते हैं। आज जहां हजारों लोग साइबर ठगों का शिकार बन रहे हैं, वहीं भूपेंद्र जैसे लोग समाज को नई दिशा दिखा रहे हैं।
कानपुर का यह अनोखा मामला हर किसी के लिए एक सीख है— सावधान रहें, सतर्क रहें, और कभी भी ऑनलाइन ठगी का शिकार न बनें!