Meerut का प्रसिद्ध नौचंदी मेला इस बार विवादों के घेरे में है। मेले के उद्घाटन समारोह में महापौर, भाजपा नेताओं, पार्षदों, पुलिस-प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों को खाना तो दूर, चाय-पानी तक नहीं मिला। लेकिन हैरानी की बात यह है कि नगर निगम ने इसी कार्यक्रम के नाम पर करीब 10 लाख रुपये का बिल बना दिया है!
क्या है पूरा मामला?
नौचंदी मेला एक प्रांतीय मेला है, लेकिन इसकी सड़कें, सफाई, पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। हालांकि, इस बार मेले के उद्घाटन समारोह में खाने-पीने, टेंट, डेकोरेशन और अन्य खर्चों का भारी-भरकम बिल तैयार कर लेखा विभाग को भेज दिया गया। सवाल यह है कि जब अधिकारियों को चाय तक नहीं दी गई, तो यह पैसा कहां खर्च हुआ?
पार्षदों ने उठाए सवाल, मांगी जांच
इस मामले पर नगर निगम के कई पार्षद नाराजगी जता रहे हैं। उनका कहना है कि अगर पैसा खर्च ही नहीं हुआ, तो बिल कैसे बनाया गया? कई पार्षदों ने इसकी जांच की मांग की है और धमकी दी है कि अगर पारदर्शिता नहीं बरती गई, तो वे सड़कों पर उतर आएंगे।
क्या है निगम का बचाव?
निगम के कुछ अधिकारियों का दावा है कि यह बिल अन्य व्यवस्थाओं जैसे सफाई, सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के लिए था। लेकिन पार्षद इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर यह पैसा सफाई और सुरक्षा पर खर्च हुआ था, तो मेले में इतनी गंदगी और अव्यवस्था क्यों दिखाई दे रही है?
जनता में भड़का गुस्सा
इस खबर के सामने आते ही स्थानीय लोगों में गुस्सा फैल गया है। लोगों का कहना है कि नगर निगम पहले से ही करों का पैसा ठीक से इस्तेमाल नहीं करता, और अब यह घोटाला सामने आया है। कई सामाजिक संगठनों ने इस मामले में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
क्या होगा आगे?
अब सबकी नजर नगर निगम और प्रशासन पर टिकी है। क्या इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी? क्या जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी? या फिर यह मामला भी दबा दिया जाएगा? जनता सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है।
नौचंदी मेले का यह विवाद एक बार फिर साबित करता है कि सरकारी धन का दुरुपयोग किस तरह बेरोकटोक जारी है। अगर जांच में गड़बड़ी सामने आती है, तो यह मामला बड़ा रूप ले सकता है।
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