इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक बड़े मामले में सोमवार को महत्वपूर्ण आदेश दिया। अदालत ने कांग्रेस नेता और सांसद Rahul Gandhi की कथित दोहरी नागरिकता के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय को चार सप्ताह का समय दिया है। इस दौरान केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की नागरिकता भी है या नहीं। यह मामला कई सालों से राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
याचिका में क्या है दावा?
इस मामले में कर्नाटक के एक सामाजिक कार्यकर्ता एस विगनेश शिशिर ने जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का दावा है कि राहुल गांधी ने 2003 से 2009 के बीच यूनाइटेड किंगडम की नागरिकता हासिल की थी और वह भारतीय संविधान के तहत दोहरी नागरिकता रखने के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। याचिका में सीबीआई जांच की मांग भी की गई है।
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव-प्रथम की खंडपीठ ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए केंद्र सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है। इससे पहले, अदालत ने 24 मार्च तक जवाब मांगा था, लेकिन सरकार ने अधिक समय की मांग की थी। अब अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी।
राजनीतिक रिएक्शन: क्या बोली कांग्रेस?
इस मामले पर कांग्रेस पार्टी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया है। उनका कहना है कि यह मामला सिर्फ राहुल गांधी को बदनाम करने की साजिश है। वहीं, भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है और कहा है कि अगर कोई नेता संविधान का उल्लंघन करता है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
क्या कहता है भारतीय कानून?
भारतीय नागरिकता कानून के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति दोहरी नागरिकता नहीं रख सकता। अगर किसी ने किसी दूसरे देश की नागरिकता ले ली है, तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः ही समाप्त हो जाती है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में ओसीआई (Overseas Citizen of India) कार्ड धारकों को छूट दी जाती है।
क्या पहले भी उठा है यह मुद्दा?
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सवाल उठाए गए हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मुद्दे को उठाया था। उस समय कांग्रेस ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि राहुल गांधी पूरी तरह से भारतीय नागरिक हैं।
आगे क्या होगा?
अब सबकी नजरें 21 अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हुई हैं। अगर केंद्र सरकार राहुल गांधी के खिलाफ कोई ठोस जानकारी पेश करती है, तो यह मामला और गंभीर हो सकता है। वहीं, अगर सरकार कोई सबूत नहीं दे पाती, तो यह विवाद शांत हो सकता है।
इस मामले ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जहां एक तरफ विपक्ष इसे सरकार की “लक्षित कार्रवाई” बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष के नेता इसे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा मानते हैं। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में मुड़ता है।