पंजाब में आंदोलनरत किसानों को जबरन हटाने के बाद भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) समेत विभिन्न किसान संगठनों में जबरदस्त रोष फैल गया है। किसानों ने इस कार्रवाई को केंद्र और Punjab Government की साजिश करार देते हुए प्रदेशभर में जबरदस्त प्रदर्शन किया।
भाकियू के जिलाध्यक्ष नवीन राठी के नेतृत्व में किसानों ने मुजफ्फरनगर कचहरी पहुंचकर ज़ोरदार प्रदर्शन किया और डीएम उमेश मिश्रा को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने पंजाब सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान केंद्र सरकार के इशारे पर किसानों का दमन कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि “अगर किसानों को सताने की नीति जारी रही, तो यह आंदोलन और भड़क उठेगा!”
पंजाब के बॉर्डर पर क्या हुआ?
हरियाणा और पंजाब के शम्भू और खनौरी बॉर्डर पर 13 महीने से अधिक समय से अपनी मांगों को लेकर डटे किसान पिछले दिनों अचानक पुलिस कार्रवाई का शिकार हो गए। पंजाब पुलिस ने आंदोलनकारियों को जबरन हटाने की कार्यवाही की, जिससे पूरे देशभर के किसानों में उबाल आ गया।
किसानों का आरोप है कि केंद्र और पंजाब सरकार ने मिलकर साजिशन इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश की है।
राकेश टिकैत ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा—
“13 महीने से किसान अपनी जायज़ मांगों को लेकर बॉर्डर पर बैठे थे, लेकिन सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। अब जबरन धरना खत्म करवाकर किसान हितों की अनदेखी की जा रही है। यह केंद्र सरकार और पंजाब सरकार की मिलीभगत है। भाजपा सरकार को इससे फायदा होगा, लेकिन पंजाब और किसानों का बड़ा नुकसान होगा।”
पूरे प्रदेश में उग्र प्रदर्शन!
भाकियू के बैनर तले शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पंजाब सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ। मुजफ्फरनगर में महावीर चौक स्थित कार्यालय में सुबह 11 बजे संगठन की अहम बैठक हुई। दोपहर 1 बजे जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर किसानों ने प्रदर्शन किया। जिलाध्यक्ष नवीन राठी के नेतृत्व में डीएम को ज्ञापन सौंपा गया और राष्ट्रपति से पंजाब सरकार पर कार्रवाई की मांग की गई।
प्रदर्शन के मुख्य बिंदु:
पंजाब सरकार द्वारा किसानों को जबरन हटाने की कड़ी निंदा
केंद्र सरकार पर किसान विरोधी नीति अपनाने का आरोप
आंदोलन को दबाने के षड्यंत्र के खिलाफ संघर्ष का ऐलान
पूरे देश में बड़े किसान आंदोलन की तैयारी
किसानों का क्या है अगला कदम?
भाकियू ने स्पष्ट कर दिया है कि यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी। किसानों की मांगें पूरी होने तक संघर्ष जारी रहेगा। संगठन के मीडिया प्रभारी चौधरी शक्ति सिंह ने बताया कि—
“यह सरकार एक तरफ वार्ता का दिखावा करती है और दूसरी तरफ किसानों को पुलिस के बल पर उठाने का प्रयास करती है। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब किसान संगठन आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में इस मुद्दे पर बड़े आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।”
क्या फिर से दिल्ली कूच की तैयारी?
सूत्रों के मुताबिक, किसान संगठनों ने अब फिर से दिल्ली कूच की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। अगर सरकार किसानों की मांगों को नजरअंदाज करती रही तो जल्द ही पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान राजधानी में जोरदार प्रदर्शन कर सकते हैं।
क्यों भड़का किसानों का गुस्सा?
एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी कानून की मांग अधूरी
किसानों की गिरफ्तारियां और दमनकारी नीतियों का विरोध
फसल बीमा योजना में भ्रष्टाचार और किसानों को मुआवजा न मिलना
डीजल, खाद, बीज की बढ़ती कीमतें और खेती का महंगा होना
किसानों का कहना है कि सरकार को उनके सब्र का इम्तिहान नहीं लेना चाहिए, क्योंकि जब भी किसानों का धैर्य टूटा है, आंदोलन पूरे देश में भूचाल लेकर आया है।
पंजाब सरकार और आम आदमी पार्टी पर क्यों उठ रहे सवाल?
किसानों को जबरन हटाने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। भगवंत मान की अगुवाई वाली पंजाब सरकार ने शुरुआत में किसानों का समर्थन किया था, लेकिन अब उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
राकेश टिकैत ने तंज कसते हुए कहा—
“AAP भी अब केंद्र सरकार की भाषा बोलने लगी है। किसान इनके लिए वोट बैंक थे, अब वे बोझ बन गए हैं।”
क्या सरकार किसानों की मांगें मानेगी?
फिलहाल सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अगर हालात काबू में नहीं आए, तो जल्द ही केंद्र सरकार को बड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं।
क्या होगा आगे? किसान बनाम सरकार की लड़ाई होगी और तेज!
कृषि कानूनों के खिलाफ हुए ऐतिहासिक आंदोलन की तर्ज पर किसानों ने एक बार फिर सरकार को सीधी चुनौती दे दी है। “अब वार्ता नहीं, आर-पार की लड़ाई होगी”— यह संदेश किसान संगठनों ने दे दिया है। अगर सरकार जल्द कोई समाधान नहीं निकालती, तो आने वाले दिनों में सड़कों पर फिर से ट्रैक्टरों की गूंज सुनाई दे सकती है।