Rampur उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत आर्थिक सहायता लेकर शादी से मुकरने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। तीन सगी बहनों ने इस योजना का लाभ लेने के बाद दावा किया कि उन्होंने शादी नहीं की। इस धोखाधड़ी के बाद प्रशासन हरकत में आ गया, और संबंधित अधिकारियों ने इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है।
यह घटना पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई है। योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों की बेटियों की शादी में सहायता प्रदान करना था, लेकिन इस मामले ने सरकार की योजना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला? कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले का बताया जा रहा है, जहां मोहल्ला मनिहारन चक की रहने वाली आफरीन जहां, शमा परवीन और नाजरीन नाम की तीन सगी बहनें इस फर्जीवाड़े में लिप्त पाई गई हैं। ये तीनों अब्दुल नवी की बेटियां हैं, जिन्होंने सरकार की योजना के तहत शादी के लिए आवेदन किया था।
ईओ (अधिशासी अधिकारी) पुनीत कुमार के अनुसार, तीनों बहनों की शादी 5 दिसंबर 2023 को तय हुई थी—
- आफरीन जहां की शादी नावेद (पुत्र असगर अली, निवासी इमरता खैमपुर, स्वार) से हुई।
- शमा परवीन की शादी तहब्बर (पुत्र बदलू, निवासी अजयपुर सैजनी, नानकार) से हुई।
- नाजरीन जहां की शादी मो. यासिन (पुत्र मो. हनीफ, निवासी कुंडा मिस्सरवाला, उधमसिंह) से हुई।
इन तीनों ने विवाह योजना का पूरा लाभ उठाया, लेकिन अब इनका दावा है कि वे कभी शादीशुदा नहीं थीं।
योजना का लाभ लिया, अब शादी से इंकार! प्रशासन सख्त
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत सरकार 51,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इसमें 35,000 रुपये बैंक खाते में, 10,000 रुपये घरेलू सामान के रूप में, और 6,000 रुपये शादी समारोह खर्च के लिए दिए जाते हैं।
इन बहनों ने योजना का पूरा लाभ लिया लेकिन जब प्रशासन ने सत्यापन किया तो इनका बयान चौंकाने वाला था—
वे अब कह रही हैं कि उन्होंने शादी नहीं की!
प्रशासन ने इन्हें कई बार नोटिस भेजकर सरकारी अनुदान वापस करने को कहा, लेकिन उन्होंने इसे अनदेखा कर दिया। जब मामला बढ़ा तो ईओ ने प्रधान लिपिक धनीराम सैनी से जांच करवाई, जिसमें फर्जीवाड़े की पुष्टि हो गई। इसके बाद आफरीन जहां, शमा परवीन और नाजरीन के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करवाई गई।
कैसे उजागर हुआ फर्जीवाड़ा? शिकायतकर्ता अहमद नवी सैफी का बड़ा खुलासा
इस मामले में सबसे पहले शिकायत अहमद नवी सैफी ने की थी, जिन्होंने जिला अधिकारी (DM) से न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने आरोप लगाया कि तीनों बहनों ने सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया है और इसकी गहन जांच होनी चाहिए।
जांच में पुष्टि हुई कि—
- तीनों बहनों ने शादी की थी।
- उन्होंने सरकारी योजना का अनुदान प्राप्त किया।
- अब वे यह दावा कर रही हैं कि उनकी शादी नहीं हुई।
यानी पूरा मामला साफ तौर पर एक साजिश थी, जिससे सरकारी पैसे का गलत इस्तेमाल किया गया।
क्या कहती हैं पीड़ित युवतियों की कथित ससुराल?
जब इस पूरे मामले में युवतियों के कथित पतियों से सवाल किया गया, तो उनका भी बयान चौंकाने वाला था—
- नावेद ने कहा, “मैंने पूरी रस्मों के साथ शादी की थी। अगर वे अब शादी से इंकार कर रही हैं, तो प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए।”
- तहब्बर ने भी यही दावा किया, “शादी के बाद उन्होंने कुछ दिन ससुराल में बिताए, फिर अचानक मायके चली गईं। अब ये कहना कि शादी नहीं हुई, सरासर झूठ है।”
- मो. यासिन ने आरोप लगाया, “यह पूरी साजिश थी, ताकि योजना के पैसे मिल जाएं।”
इन तीनों के बयान के बाद यह साफ हो गया कि मामला गंभीर है और इसमें सरकारी धन के दुरुपयोग का स्पष्ट संकेत है।
योजना का दुरुपयोग करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई!
अब सवाल यह उठता है कि अगर इन बहनों ने शादी नहीं की, तो शादी के अनुदान की राशि क्यों ली? अगर शादी हुई थी, तो अब इंकार क्यों कर रही हैं?
योजना का दुरुपयोग करने वालों पर प्रशासन सख्त कार्रवाई कर सकता है। माना जा रहा है कि—
सरकारी धन की रिकवरी होगी।
एफआईआर के तहत कानूनी कार्यवाही होगी।
योजना की जांच को और सख्त किया जाएगा।
इस घटना ने प्रशासन को भी झकझोर दिया है और भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के लिए कड़े नियम बनाए जाने की संभावना है।
योजना का फायदा उठाकर फर्जी शादी! क्या ऐसे ही चलता रहेगा फर्जीवाड़ा?
यह पहला मामला नहीं है, जब मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत फर्जीवाड़ा सामने आया है। इससे पहले भी कई ऐसे मामले देखे गए हैं, जहां शादी के नाम पर सरकारी पैसे का गबन हुआ।
लेकिन इस बार तीन सगी बहनों का नाम सामने आने से मामला और गंभीर हो गया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि—
प्रशासन क्या कार्रवाई करता है?
क्या इन बहनों से अनुदान राशि वसूली जाएगी?
क्या योजना को पारदर्शी बनाने के लिए नए नियम लागू किए जाएंगे?
सरकारी योजनाओं का ऐसा गलत इस्तेमाल न सिर्फ सरकार बल्कि उन गरीब परिवारों के साथ अन्याय है, जो सच में इस मदद के हकदार हैं। इस पूरे घटनाक्रम से प्रशासन और सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी दोबारा न हो।