Hathras। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए सनसनीखेज अपहरण कांड में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई में उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 25 हजार के इनामी अपराधी विक्रम उर्फ विक्की को दबोच लिया गया। यह वही अपराधी है, जिसने अपहृत जिओ मैनेजर को ठिकाने पर रखने और फिरौती की रकम की लेन-देन में अहम भूमिका निभाई थी। इससे पहले इस मामले में सात आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन विक्रम की गिरफ्तारी से इस पूरे मामले में कई नए राज़ खुलने की उम्मीद है।
कैसे हुआ था अपहरण?
पूरा मामला 1 जनवरी का है, जब हाथरस गेट क्षेत्र के नवल नगर में रहने वाले अभिनव भारद्वाज, जो कि जिओ कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे, अचानक लापता हो गए। जब परिजनों ने उनकी तलाश शुरू की, तो उन्हें एक फोन कॉल आया, जिसमें फिरौती की मांग की गई। अपराधियों ने खुद को टिल्लू ताजपुरिया गैंग का सदस्य बताते हुए मोटी रकम मांगी थी।
इस वारदात के बाद पुलिस में हड़कंप मच गया, क्योंकि टिल्लू ताजपुरिया गैंग का नाम सुनते ही पूरे इलाके में दहशत फैल गई। यह वही गैंग है जो दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कई संगीन वारदातों को अंजाम दे चुका है। पुलिस ने तुरंत मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया।
कैसे हुई इनामी बदमाश विक्रम की गिरफ्तारी?
एसटीएफ को गुप्त सूचना मिली कि विक्रम उर्फ विक्की, जो कि इस कांड में फरार चल रहा था, वह उत्तराखंड के अल्मोड़ा में छिपा हुआ है। पुलिस की एक विशेष टीम को वहां भेजा गया और पूरी सतर्कता के साथ उसे गिरफ्तार कर लिया गया। विक्रम के पास से 50 हजार रुपये भी बरामद हुए, जो उसने फिरौती की रकम से चुराए थे।
विक्रम ने कबूला गुनाह, बताया कैसे अंजाम दिया गया अपहरण
गिरफ्तारी के बाद विक्रम ने पूछताछ में बताया कि अपहरण की साजिश पहले से ही रची गई थी। उसने स्वीकार किया कि अभिनव भारद्वाज को एक सुनियोजित योजना के तहत अगवा किया गया था।
विक्रम ने कबूला कि:
- उसने अपराधियों को शरण दी और अपहृत को छिपाने में मदद की।
- फिरौती की रकम लेने के दौरान वह कार में मौजूद था।
- मुठभेड़ के दौरान उसने 50 हजार रुपये लेकर फरार होने में सफलता पाई थी।
- मुरादाबाद में भी उसके खिलाफ भागने से संबंधित एक मामला दर्ज है।
पुलिस की बड़ी सफलता, लेकिन सवाल अब भी बरकरार
हालांकि पुलिस ने इस मामले में विक्रम समेत आठ अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन कुछ अहम सवाल अब भी बने हुए हैं।
क्या टिल्लू ताजपुरिया गैंग ने इस अपहरण की साजिश रची थी या फिर किसी और गिरोह का हाथ था?
फिरौती की कुल रकम कितनी थी और क्या पूरी रकम बरामद हो चुकी है?
इस गिरोह के और कौन-कौन से सदस्य फरार हैं?
हाथरस में अपराध बढ़ता जा रहा, पुलिस की चुनौतियां बढ़ीं
पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों में अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। हाथरस, अलीगढ़, एटा और मथुरा जैसे जिलों में अपहरण, लूट और हत्या की घटनाएं आम होती जा रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि संगठित अपराधी गैंग अब छोटे शहरों और कस्बों में अपने पैर पसार रहे हैं, जहां पुलिस की सतर्कता अपेक्षाकृत कम होती है। इस मामले में भी अपराधियों ने उत्तराखंड जैसे शांत इलाके में जाकर पनाह ली थी, जहां से उनकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए आसान नहीं थी।
क्या कहना है पुलिस अधिकारियों का?
सीओ सदर योगेंद्र कृष्ण नारायण ने बताया कि “यह गिरफ्तारी हमारे लिए एक बड़ी सफलता है। विक्रम ने पूछताछ में कई अहम जानकारियां दी हैं, जिससे हमें इस मामले की पूरी सच्चाई तक पहुंचने में मदद मिलेगी। जो भी अन्य अपराधी इस मामले से जुड़े हैं, उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।”
आगे क्या?
पुलिस अब इस मामले के अन्य पहलुओं की जांच में जुटी है।
अगले कदम:
- अन्य फरार आरोपियों की तलाश तेज की जाएगी।
- विक्रम से और पूछताछ कर अपराध की पूरी साजिश का खुलासा किया जाएगा।
- फिरौती की कुल रकम बरामद करने की कोशिश होगी।
- गैंग के अन्य सदस्यों के नेटवर्क को ध्वस्त किया जाएगा।
जनता में दहशत, लेकिन पुलिस पर भरोसा
हाथरस अपहरण कांड ने आम जनता को झकझोर कर रख दिया है। लोग अब इस सवाल का जवाब चाहते हैं कि क्या वे अपने ही शहर में सुरक्षित हैं? हालांकि, पुलिस की तेजी और एसटीएफ की कार्रवाई ने लोगों में भरोसा भी जगाया है कि अपराधी कानून के शिकंजे से बच नहीं सकते।
अब देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस इस मामले को कितनी जल्दी पूरी तरह सुलझा पाती है और अपराध की इस जड़ को कितनी गहराई से उखाड़ती है।
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