लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री Gayatri Prajapati पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कसता जा रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में फंसे प्रजापति की मुंबई के वडाला इलाके में स्थित 60 लाख रुपये के फ्लैट को ईडी ने कुर्क कर लिया है। इस कार्रवाई से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।
71 संपत्तियों की लंबी लिस्ट, 51 करोड़ की सरकारी कीमत, बाजार मूल्य कई गुना ज्यादा
ईडी ने जांच के दौरान पाया कि गायत्री प्रजापति और उनके करीबियों के नाम पर 71 अचल संपत्तियां हैं, जिनकी सरकारी कीमत लगभग 51 करोड़ रुपये बताई गई है, लेकिन इनका वास्तविक बाजार मूल्य कई गुना अधिक है। इन संपत्तियों में लखनऊ, कानपुर, अमेठी, रायबरेली, नोएडा और मुंबई के पॉश इलाकों में कई प्लॉट, मकान और फ्लैट शामिल हैं।
रियल एस्टेट में काले धन का खेल, बालाजी कॉरपोरेशन से कनेक्शन
ईडी के सूत्रों के अनुसार, मुंबई के वडाला स्थित यह फ्लैट मेसर्स बालाजी कॉरपोरेशन नामक रियल एस्टेट कंपनी से जुड़ा है। यह कंपनी मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े जाल का हिस्सा हो सकती है, जिसमें काले धन को सफेद करने के लिए संपत्तियों की खरीद-फरोख्त का इस्तेमाल किया गया। ईडी ने इस मामले में कई बैंक खातों, संदिग्ध लेन-देन और प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के दस्तावेजों की जांच की है।
कैसे खुला करोड़ों के गबन का राज?
ईडी ने 2023 में लखनऊ जोनल ऑफिस के तहत कई ठिकानों पर छापेमारी की थी, जहां से संदिग्ध दस्तावेज और वित्तीय लेन-देन के पुख्ता सबूत मिले। इसके बाद 16 जनवरी 2024 को मुंबई सहित अन्य स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया गया। इस दौरान कई करोड़ की अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए, जिससे प्रजापति के अवैध लेन-देन का खुलासा हुआ।
कौन हैं गायत्री प्रजापति? कैसे बनाई अरबों की संपत्ति?
गायत्री प्रजापति अखिलेश यादव सरकार में खनन मंत्री थे और सपा के कद्दावर नेता माने जाते थे। 2012-2017 के दौरान उन्होंने खनन घोटाले से लेकर सरकारी टेंडरों में धांधली तक कई मामलों में अपार संपत्ति अर्जित की। यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद उन पर भ्रष्टाचार, अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगे।
पहले भी हो चुकी हैं कई जांचें, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
गायत्री प्रजापति का नाम खनन घोटाले और अवैध संपत्ति मामले में 2017 से ही जांच के घेरे में था। उन पर आरोप है कि उन्होंने मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी खनन टेंडरों में हेरफेर की और अवैध रूप से संपत्ति बनाई।
2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने उनके खिलाफ जांच शुरू की थी।
2021 में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में उनके खिलाफ ईडी ने केस दर्ज किया।
2022 में लखनऊ पुलिस ने अवैध खनन मामले में चार्जशीट दाखिल की।
2023 में ईडी ने प्रजापति के करीबी सहयोगियों और बिजनेस पार्टनर्स के ठिकानों पर छापेमारी की।
राजनीतिक समीकरणों पर असर, सपा पर फिर उठे सवाल
इस कार्रवाई ने समाजवादी पार्टी (सपा) की छवि पर भी गहरा असर डाला है। बीजेपी नेता लगातार सपा पर निशाना साधते हुए इसे ‘भ्रष्टाचार समर्थक पार्टी’ करार दे रहे हैं। इस मामले को लेकर यूपी की राजनीति में घमासान मचा हुआ है।
ईडी की अगली कार्रवाई – किन नेताओं पर आ सकता है संकट?
सूत्रों के अनुसार, ईडी अब प्रजापति से जुड़े अन्य राजनेताओं और बिजनेस पार्टनर्स की जांच में जुट गई है।
यूपी के अन्य नेताओं पर भी ईडी की पैनी नजर है, जो अवैध संपत्ति के मामलों में फंसे हो सकते हैं।
प्रजापति के परिवार के सदस्यों और उनके करीबी सहयोगियों की वित्तीय लेन-देन की भी जांच की जा रही है।
आने वाले दिनों में और भी कुर्की और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
क्या होगा गायत्री प्रजापति का अगला कदम?
अब सवाल उठता है कि क्या गायत्री प्रजापति ईडी के शिकंजे से बच पाएंगे या उन्हें भी जेल जाना पड़ेगा? अगर आरोप साबित हुए, तो उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है।
निष्कर्ष नहीं – आने वाले दिनों में और खुलासे होंगे
ईडी की इस बड़ी कार्रवाई ने यूपी की राजनीति और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। आने वाले समय में इस मामले में और बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।