Firozabad News भारतीय सेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर, उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में अब फाइटर जेट्स के लिए स्वदेशी ब्रेक पैराशूट तैयार किए जाएंगे। यह वही पैराशूट हैं, जो लड़ाकू विमानों की लैंडिंग के दौरान तेजी से रुकने में मदद करते हैं और ब्रेकिंग सिस्टम पर दबाव को कम करते हैं। रक्षा मंत्रालय की इकाई आयुध उपस्कर निर्माणी हजरतपुर को यह महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया है, जिससे देश को अब इस तकनीक के लिए आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (TOT) के तहत इस अत्याधुनिक तकनीक को फिरोजाबाद की फैक्ट्री को सौंप दिया है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारतीय वायुसेना को अब कम लागत में, स्वदेशी और उच्च गुणवत्ता वाले ब्रेक पैराशूट उपलब्ध हो सकेंगे। इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।
क्या है ब्रेक पैराशूट और यह क्यों है खास?
ब्रेक पैराशूट एक विशेष एयरोडायनामिक सिस्टम होता है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से Su-30MKI और अन्य लड़ाकू विमानों में किया जाता है। जब कोई फाइटर जेट तेज गति से रनवे पर उतरता है, तो ब्रेकिंग सिस्टम पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे स्किडिंग (फिसलने) का खतरा बना रहता है। ब्रेक पैराशूट इस खतरे को कम करने और लैंडिंग को सुरक्षित बनाने में मदद करता है।
इसके प्रमुख लाभ:
सुरक्षित लैंडिंग: छोटे या गीले रनवे पर भी सुरक्षित और स्थिर लैंडिंग में मदद करता है।
ब्रेकिंग सिस्टम पर कम दबाव: विमान के ब्रेक और टायर की लाइफ बढ़ जाती है।
ऑपरेशनल सुरक्षा में बढ़ोतरी: हादसों की संभावना कम हो जाती है।
आत्मनिर्भरता: भारत को अब इस तकनीक के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
अब तक आयात पर निर्भर था भारत, अब बनेगा आत्मनिर्भर
महाप्रबंधक अमित कुमार सिंह ने बताया कि इससे पहले भारत को ब्रेक पैराशूट जैसी महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन अब फिरोजाबाद की आयुध उपस्कर निर्माणी में इनका उत्पादन होगा, जिससे भारत में ही उच्च गुणवत्ता वाले ब्रेक पैराशूट तैयार किए जा सकेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित एरो इंडिया 2025 में सुपर 30 ब्रेक पैराशूट के स्वदेशी निर्माण के लिए तकनीकी हस्तांतरण दिया गया है। इसके बाद अब यह परियोजना तेजी से शुरू की जाएगी और जल्द ही भारतीय वायुसेना को ये पैराशूट मिलने शुरू हो जाएंगे।
भारत को होगा तीन बड़े फायदे:
कम लागत में निर्माण: अब विदेश से आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे लागत में भारी कटौती होगी।
रक्षा उपकरणों की समय पर आपूर्ति: भारतीय वायुसेना को अब बिना किसी देरी के ये पैराशूट मिल सकेंगे।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को और मजबूत बनाया जाएगा
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‘Make in India’ को नई ताकत, अब स्वदेशी रक्षा उत्पादन में तेजी
ब्रेक पैराशूट का उत्पादन शुरू होने के साथ ही भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को नया बल मिलेगा। PM मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत लगातार स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, और यह परियोजना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हाल के वर्षों में सरकार ने कई रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए स्वदेशी कंपनियों को तकनीकी हस्तांतरण किया है, जिससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता लगातार बढ़ रही है। इससे पहले भी HAL (Hindustan Aeronautics Limited) और अन्य रक्षा कंपनियों ने कई महत्वपूर्ण उपकरण स्वदेशी रूप से तैयार किए हैं, जिससे भारत की रणनीतिक क्षमता और भी मजबूत हुई है।
रक्षा क्षेत्र में और कौन-कौन सी नई परियोजनाएं चल रही हैं?
रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में स्वदेशी हथियार और उपकरण निर्माण के लिए कई बड़ी योजनाओं की घोषणा की है। इनमें शामिल हैं:
AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) – भारत का पहला 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट
Tejas MK-2 – स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान, जो भारतीय वायुसेना की रीढ़ बनने जा रहा है
S-400 मिसाइल सिस्टम – भारतीय वायुसेना को रूस से मिला शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम
INS Vikrant – भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, जो नौसेना की ताकत को दोगुना कर देगा
भारत में रक्षा निर्माण का भविष्य और इसका असर
ब्रेक पैराशूट के स्वदेशी निर्माण से भारत के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। इससे न केवल नौकरी के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि भारत अब रक्षा उपकरणों के निर्यातक देशों में भी शामिल हो सकेगा।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत इसी तरह स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता देता रहा, तो अगले कुछ वर्षों में भारत दुनिया के टॉप-5 रक्षा निर्यातकों में शामिल हो सकता है।
अब जब फिरोजाबाद में Su-30MKI के लिए ब्रेक पैराशूट तैयार किए जा रहे हैं, तो यह साफ संकेत है कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
निष्कर्ष नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत!
फिरोजाबाद में ब्रेक पैराशूट निर्माण न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ाएगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत मिशन को भी नया आयाम देगा। यह परियोजना भारत को रक्षा उत्पादन के मामले में एक वैश्विक खिलाड़ी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।
अब दुनिया देखेगी कि भारत सिर्फ आयात करने वाला देश नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े रक्षा निर्यातकों में से एक बनने जा रहा है!
अब नजरें इस पर रहेंगी कि कब तक ये ब्रेक पैराशूट भारतीय वायुसेना के विमानों में लगाए जाते हैं और भारतीय सेना के ऑपरेशनल मिशनों में इनका इस्तेमाल शुरू होता है!