प्रयागराज: MahaKumbh का रंग-बिरंगा आयोजन हर साल हजारों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस बार भी महाकुंभ में एक और बड़ी घटना घटी है, जिसे लेकर फिल्म इंडस्ट्री और धर्म दोनों की दुनिया में हलचल मच गई है। बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री Mamta Kulkarni, जिन्होंने अपनी ग्लैमरस अदाओं और फिल्मों से लाखों दिलों को जीता था, अब एक नई पहचान में नजर आ रही हैं। महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की तरफ से ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर के पद पर नियुक्त किया गया है। इस नए अध्याय के साथ उनका नाम अब बदलकर यमाई माता नंदन गिरी हो गया है।
MahaKumbh में इस बार अखाड़ों का महत्त्व और बढ़ गया है। निरंजनी अखाड़े द्वारा पांच नए महामंडलेश्वर बनाए गए हैं और किन्नर अखाड़े ने छह नए महामंडलेश्वर बनाए हैं, जिनमें Mamta Kulkarni का नाम भी शामिल है। एक वक्त था जब ममता कुलकर्णी बॉलीवुड की ग्लैमरस दुनिया में छाई हुई थीं, लेकिन आज वह अपने जीवन के एक नए मोड़ पर खड़ी हैं।
#WATCH #PrayagrajMahakumbh2025 फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी प्रयागराज महाकुंभ के किन्नर अखाड़े में पहुंचकर महामंडलेश्वर बन गई हैं। यहां उन्होंने संन्यास लेने की घोषणा की। उनका नया नाम अब यामाई ममतानंद गिरी होगा। #mamtakulkarni pic.twitter.com/dm8lu4hjHf
-Advertisement-— News & Features Network (@newsnetmzn) January 24, 2025
ममता कुलकर्णी का फिल्मी सफर और ग्लैमर की दुनिया
ममता कुलकर्णी का बॉलीवुड करियर 90 के दशक में अपने चरम पर था। ‘आशिक अवार्ड’ (1992), ‘करण अर्जुन’ (1995), और ‘बाजीगर’ (1993) जैसी फिल्मों में अपने हुस्न और अदाओं से लाखों दिलों की धड़कन बनीं ममता ने एक समय पर कई हिट फिल्में दी थीं। हालांकि, ममता का फिल्मी जीवन उतना ही विवादों से घिरा रहा। उनकी फिल्मों के अलावा उनकी खूबसूरती और हॉट अंदाज ने उन्हें मीडिया की सुर्खियों में बनाए रखा। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में सफलता के बावजूद ममता कुलकर्णी ने अचानक से गायब होने का फैसला किया और अपना ध्यान पूर्ण रूप से साधना और अध्यात्म की ओर लगाया।
उनके इस कदम ने न केवल उनके फैंस को बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री को चौंका दिया था। ममता ने अपने फिल्मी करियर से दूर होकर एक साध्वी के रूप में जीवन जीने का संकल्प लिया और कई सालों तक कठोर तपस्या की।
ममता कुलकर्णी की तपस्या और सन्यास की ओर बढ़ता कदम
ममता कुलकर्णी ने फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने के बाद अपनी पूरी ऊर्जा और समय सनातन धर्म की साधना में समर्पित कर दिया। उन्होंने बताया कि 23 वर्षों में से 12 साल तो उन्होंने कठोर तपस्या में बिताए हैं। एक महीने तक केवल जल पीकर रहने और ध्यान चक्र तक पहुंचने जैसी कठिन साधनाओं का उन्होंने पालन किया। उनका कहना था कि सन्यास से पहले शरीर को पवित्र करना और माया-मोह के बंधनों से खुद को मुक्त करना बेहद जरूरी था।
उन्होंने यह भी बताया कि सन्यास की प्रक्रिया उनके लिए बेहद कठिन थी, लेकिन उन्होंने इसे अपने गुरु के आशीर्वाद और मार्गदर्शन से पूरा किया। अब वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन चुकी हैं और उनका नाम यमाई माता नंदन गिरी रखा गया है। इस नए नाम से जुड़ते हुए ममता ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह अब सनातन धर्म की सच्ची सेविका बनकर ही अपने जीवन को आगे बढ़ाना चाहती हैं।
महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता कुलकर्णी के आंसू और भावना
ममता कुलकर्णी की आंखों में आंसू थे जब उन्हें महामंडलेश्वर का पद प्रदान किया गया। यह आंसू खुशी के थे, क्योंकि उन्होंने भगवान महादेव के चरणों में खुद को समर्पित कर दिया था। यह पल उनके जीवन का एक नया अध्याय था, जिसमें वह अपने सारे सांसारिक मोह-माया को त्यागकर सनातन धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त कर रही थीं।
उन्होंने बताया कि किन्नर अखाड़ा एक विशेष अखाड़ा है जो सनातन धर्म से जुड़ा हुआ है और यहां पर संन्यासियों के इष्ट देव अर्धनारीश्वर और मां बहुचरा देवी होते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह अब अपना जीवन बंधनों से मुक्त होकर सनातन धर्म के लिए समर्पित करेंगी।
ममता कुलकर्णी का जीवन और समाज पर प्रभाव
ममता कुलकर्णी का यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन का एक नया मोड़ है, बल्कि यह समाज में भी एक बड़ा संदेश देता है। कई लोग यह मानते हैं कि ग्लैमर और भव्यता से भरी हुई फिल्मी दुनिया में रहने के बाद कोई इंसान धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा को इस कदर महसूस कर सकता है, यह एक दुर्लभ उदाहरण है। उनके इस निर्णय ने यह सिद्ध कर दिया कि किसी भी व्यक्ति की असली पहचान उसके कर्मों और आस्था से होती है, न कि उसकी प्रसिद्धि और शोहरत से।
फिल्म इंडस्ट्री में भी उनके इस निर्णय को लेकर चर्चा है। कुछ लोग इसे उनका व्यक्तिगत निर्णय मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक बड़ी बदलाव की ओर संकेत मानते हैं। ममता कुलकर्णी ने यह भी कहा कि वह अब अपने जीवन को पूरी तरह से देवता की सेवा और साधना के लिए समर्पित करेंगी और इस राह पर चलने का उन्हें कोई पछतावा नहीं है।
आखिरकार, यह कदम ममता कुलकर्णी की व्यक्तिगत साधना और आस्था का परिणाम है। महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता ने न केवल अपनी पहचान बदली, बल्कि यह साबित किया कि जीवन के किसी भी मोड़ पर, एक व्यक्ति अपने हृदय की आवाज़ सुनकर नए रास्ते पर चल सकता है। अब ममता कुलकर्णी का नया नाम यमाई माता नंदन गिरी होगा, और वह अपने जीवन को एक नई दिशा देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।