Uttar Pradesh में बिजली दर तय करने के नियमों में बदलाव की प्रक्रिया जोर पकड़ रही है। नियामक आयोग जल्द ही नए मसौदे (ड्राफ्ट) को सार्वजनिक करने की तैयारी में है। इसके सामने आने से पहले ही उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस मसौदे के खिलाफ नियामक आयोग में याचिका दायर कर दी है। उनका कहना है कि यह प्रस्तावित नियम बिजली उपभोक्ताओं के हितों पर कुठाराघात करेगा और निजी घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए तैयार किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
2019 में प्रदेश में बिजली दर तय करने के लिए बहुवर्षीय टैरिफ (Multi-Year Tariff – MYT) लागू किया गया था। इस नियम का कार्यकाल 2024-25 में समाप्त हो जाएगा। ऐसे में सरकार और विद्युत निगम एक नए नियम का मसौदा तैयार कर रहे हैं, जो 2025 से प्रभावी होगा।
परंतु, इस प्रस्तावित ड्राफ्ट ने विवाद खड़ा कर दिया है। अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया है कि इस मसौदे में उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी की जा रही है और निजी घरानों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
33122 करोड़ का बड़ा सवाल
वर्मा के अनुसार, पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने मसौदे में ऐसे बिंदु जोड़े हैं, जिनसे विद्युत निगमों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये का बकाया समाप्त हो जाएगा। यह बकाया लंबे समय से उपभोक्ताओं का अधिकार है। मसौदा इन अधिकारों को खत्म करने की साजिश जैसा दिख रहा है।
उनका कहना है कि यह कदम बिजली निगमों को फायदा पहुंचाने और उपभोक्ताओं पर बोझ डालने के लिए उठाया जा रहा है। निजी घरानों को अधिक विकल्प दिए जा रहे हैं, जिससे बिजली दरों में भारी वृद्धि होने की आशंका है।
नियमों में बदलाव: निजी घरानों की चांदी?
नए मसौदे में निजी बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए कई प्रावधान जोड़े गए हैं। यह संभावित है कि नए नियम के तहत बिजली की दरें इतनी बढ़ जाएंगी कि आम जनता के लिए बिजली का उपयोग करना मुश्किल हो जाएगा।
वर्तमान में बिजली दरें स्थिर हैं, लेकिन पावर कॉरपोरेशन ने यह मामला अपीलीय प्राधिकरण में दायर किया हुआ है, जिसमें पांच वर्षों से दरें नहीं बढ़ाने का कारण बताया गया है।
उपभोक्ता परिषद का विरोध
गुरुवार को अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की। उन्होंने इस प्रस्तावित ड्राफ्ट के खिलाफ जनहित याचिका दायर की और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, “हमारे प्रदेश में उपभोक्ता पहले से ही महंगाई के बोझ तले दबे हुए हैं। यदि इस तरह के नियम लागू किए गए, तो यह जनता के लिए घातक होगा।”
आयोग का आश्वासन
याचिका सुनने के बाद आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने वर्मा को आश्वासन दिया कि उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव का गहराई से अध्ययन किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी फैसला उपभोक्ताओं के खिलाफ न हो।
महंगी बिजली का खतरा: उपभोक्ताओं की चुनौतियां
यदि प्रस्तावित मसौदा लागू होता है, तो बिजली दरें आसमान छू सकती हैं। इसका सीधा प्रभाव निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों पर पड़ेगा। जहां एक ओर निजी घरानों को अधिक विकल्प और छूट मिलेंगी, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का बोझ उठाना पड़ेगा।
इसके अलावा, बिजली दरों में संभावित वृद्धि से छोटे उद्योग और व्यवसाय भी प्रभावित होंगे। इससे उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिसका असर अंततः उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा।
सरकार की भूमिका पर सवाल
इस मसले ने सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मसौदा निजी घरानों के फायदे के लिए तैयार किया गया है या जनता के हितों को ध्यान में रखकर, इस पर बहस जारी है।
सरकार और नियामक आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रस्तावित नियमों से उपभोक्ताओं को कोई नुकसान न हो।
क्या है आगे की राह?
उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए इस मसौदे पर व्यापक चर्चा की आवश्यकता है। नियामक आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी नया नियम उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ न डाले।
इसके अलावा, सरकार को इस मुद्दे पर पारदर्शिता बरतनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि हर पक्ष की बात सुनी जाए।
नए बिजली दर तय करने के नियमों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। जहां एक ओर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की तैयारी है, वहीं दूसरी ओर आम जनता को महंगी बिजली का खतरा है।