Bareilly । भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों के बीच, बरेली से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। बहेड़ी कोतवाली की भुड़िया कॉलोनी चौकी प्रभारी दरोगा दीपचंद को सोमवार रात एंटी करप्शन टीम ने ₹50,000 की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया। यह रिश्वत एक पिता और उसके तीन बेटों को मारपीट के मामले में गिरफ्तारी से बचाने के नाम पर ली जा रही थी।
दरोगा का दावा था कि वह निर्दोष है, लेकिन जब उसके हाथों को केमिकल लगे नोट पकड़ने के बाद पानी से धुलवाया गया, तो सच्चाई सामने आ गई। गुलाबी हाथों ने उसकी पोल खोल दी। गिरफ्तारी के बाद, दरोगा ने खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश की, लेकिन एंटी करप्शन टीम ने उसकी एक न सुनी।
घटनास्थल पर हुई गिरफ्तारी
भ्रष्टाचार विरोधी टीम ने इस ऑपरेशन को बड़ी चतुराई से अंजाम दिया। सूचना मिलने पर टीम ने प्लान बनाकर दरोगा दीपचंद को भुड़िया कॉलोनी चौकी में जाल बिछाकर पकड़ा। जैसे ही ₹50,000 की रकम दरोगा के हाथों में पहुंची, टीम ने तुरंत छापा मार दिया।
गिरफ्तारी के दौरान दरोगा ने कई बार खुद को बेकसूर बताने का प्रयास किया। बाद में उसने टीम से माफी मांगते हुए कहा कि वह अब दोबारा ऐसी गलती नहीं करेगा। हालांकि, जब उसे देवरनियां थाने ले जाया गया, तो उसके सुर बदल गए। उसने दावा किया कि एंटी करप्शन टीम ने उसे झूठा फंसाया है।
दरोगा की विवादित पृष्ठभूमि
दरोगा दीपचंद का नाम पहले भी कई विवादों में सामने आ चुका है। बरेली शहर के विभिन्न थानों में तैनाती के दौरान उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की कई शिकायतें दर्ज हुईं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वह बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं करता था।
करीब 20 दिन पहले बहेड़ी इंस्पेक्टर संजय तोमर ने एक मीटिंग के दौरान दीपचंद को फटकार लगाई थी। यह मामला एक जांच में ढिलाई को लेकर था। इतना ही नहीं, थाना समाधान दिवस के दौरान एसडीएम रत्निका श्रीवास्तव ने भी दीपचंद को अवैध खनन से संबंधित मामलों में चेतावनी दी थी।
परिवार और संपत्ति की जांच
गिरफ्तारी के बाद, एंटी करप्शन टीम ने दरोगा दीपचंद के आवास और परिवार की भी जांच की। हालांकि, तलाशी के दौरान टीम को कोई संदिग्ध सामान नहीं मिला। इसके बावजूद, दरोगा की पारिवारिक संपत्तियों और उसके बैंक खातों की जांच की जा रही है।
पुलिस महकमे की प्रतिक्रिया
पुलिस विभाग ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। बरेली के एसएसपी ने कहा कि भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह घटना न केवल पुलिस की छवि को धूमिल करती है, बल्कि जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाती है।”
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
इस घटना ने आम जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या पुलिस प्रशासन में भ्रष्टाचार को खत्म करना संभव है।
भारत में पुलिस और भ्रष्टाचार के आंकड़े
इस घटना को देश में पुलिस और भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों की कड़ी में देखा जा रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल हजारों पुलिसकर्मियों पर रिश्वत लेने और भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगते हैं।
भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों की जरूरत
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून होने के बावजूद, जमीनी स्तर पर उनकी प्रभावशीलता अक्सर सवालों के घेरे में होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस विभाग में आंतरिक निगरानी और सख्त सजा प्रणाली लागू करने की जरूरत है।
दरोगा दीपचंद की गिरफ्तारी बरेली पुलिस विभाग के लिए एक चेतावनी है। यह घटना बताती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में केवल कानून बनाना काफी नहीं है, बल्कि उनके सख्त पालन और निगरानी की भी जरूरत है।