उत्तर प्रदेश के Sambhal में इन दिनों हो रही खुदाई ने सनातन धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण खोजों को सामने ला दिया है। लगातार मिल रहे धार्मिक अवशेषों ने पुरानी धरोहर को पुनः उजागर किया है, जो सनातन धर्म के इतिहास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें प्रकट कर रहे हैं। मस्जिदों के नीचे मंदिरों के होने के दावे, कुओं का निकलना और सनातन धर्म के अवशेषों का मिलना जैसे मामले अब चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। इस बीच, मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का एक बड़ा बयान सामने आया है, जो पूरे देश में सनातन धर्म से जुड़ी धरोहरों के संरक्षण और पुनः हस्तांतरण की मांग करता है।
पंडित प्रदीप मिश्रा का बड़ा बयान
प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने हाल ही में कहा कि पूरे भारत में जो भी सनातन धर्म से जुड़ी जगहें और अवशेष मिल रहे हैं, उन्हें सनातनियों को सौंप देना चाहिए। उनका कहना था कि खुदाई के दौरान जिन स्थानों पर भी सनातन धर्म के निशान मिले हैं, उन्हें तत्काल सनातनियों के पास भेजा जाए, ताकि वह अपने इतिहास और धर्म से जुड़े इन सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित कर सकें।
पंडित मिश्रा ने यूपी के Sambhal और मध्य प्रदेश के धार जिले स्थित भोज शाला जैसे स्थानों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये स्थान और वहां की सामग्री सनातन धर्म से जुड़ी हैं, जिन्हें अब हिंदू समुदाय के पास लौटा देना चाहिए। उनके अनुसार, यह ना केवल धार्मिक लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण कदम होगा। उनका मानना है कि यह कदम हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए जरूरी है और यह कार्य सभी राज्य सरकारों को मिलकर करना चाहिए।
खुदाई में मिले सनातन धर्म के अवशेष
संभल में चल रही खुदाई में अब तक कई ऐसे निशान और अवशेष मिल चुके हैं जो सीधे तौर पर सनातन धर्म से जुड़े हुए हैं। इनमें प्राचीन कुएं, देवालय, और बावड़ियां शामिल हैं। इन अवशेषों से यह साबित होता है कि पहले यहां सनातन धर्म का व्यापक प्रभाव था और इस क्षेत्र में धार्मिक गतिविधियां होती थीं। यह घटनाएं उस समय की समाज व्यवस्था और संस्कृति की गहरी जानकारी देती हैं, जिसे समझने के लिए और बचाने के लिए आज हमें गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है।
इसी के साथ, उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की भी चर्चा की जा रही है। सरकार ने इन स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को सहेजने में मदद मिल रही है। हालांकि, पंडित मिश्रा ने यह भी अपील की है कि इस दिशा में अन्य राज्य सरकारों को भी आगे आकर सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, ताकि सनातन धर्म की निशानियों को सभी स्थानों से सुरक्षित किया जा सके।
पंडित मिश्रा का सामाजिक संदेश
पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपनी बात रखते हुए यह भी कहा कि जिनके पास सनातन धर्म के निशानियां हैं, उन्हें खुद आगे आकर यह स्थान सनातनियों को सौंप देने चाहिए। उनका यह संदेश सीधे तौर पर उन लोगों और संस्थाओं से है जो इन धार्मिक स्थलों को अपनी संपत्ति मानकर उन्हें बंद करके रखते हैं। उनका कहना है कि यह धार्मिक स्थल और अवशेष हिंदू समाज का अहम हिस्सा हैं, और इनका संरक्षण जरूरी है।
उनका यह बयान एक प्रकार से सामाजिक न्याय की अपील भी है, जिसमें वह चाहते हैं कि हिंदू धर्म से जुड़ी सभी धरोहरें उन्हें वापस मिलें। साथ ही यह भी कहा कि यह कदम न केवल सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए बल्कि एकता और भाईचारे के सिद्धांतों को भी प्रबल करने के लिए उठाया जाना चाहिए।
सनातन धर्म की धरोहरों का महत्व
भारत का इतिहास और संस्कृति विशाल और समृद्ध है, जिसमें सनातन धर्म की अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। विभिन्न जगहों पर मिल रही धार्मिक अवशेषों से यह साफ है कि भारत में सनातन धर्म का प्रचलन और प्रभाव अत्यधिक था। इन अवशेषों के माध्यम से हम न केवल अपनी धार्मिक जड़ों से जुड़ सकते हैं बल्कि हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति की वास्तविकता को भी समझ सकते हैं।
आजकल, इन धरोहरों को लेकर कई सामाजिक और राजनीतिक विवाद भी उठ रहे हैं। हालांकि, पंडित मिश्रा का कहना है कि यह समय विवादों से बाहर निकलकर एकजुट होने का है। इन धार्मिक स्थानों को उसी तरह सम्मान और सुरक्षा मिलनी चाहिए, जैसे अन्य धार्मिक स्थल पाए जाते हैं।
सरकारी पहल और भविष्य की योजना
संभल और अन्य स्थानों पर हो रही खुदाई और वहां से मिल रहे सनातन धर्म के अवशेषों को लेकर अब सरकारों से और भी कई कदम उठाने की उम्मीदें जताई जा रही हैं। सरकार को चाहिए कि वह इन अवशेषों के संरक्षण और पुनः इनका सही उपयोग करने के लिए योजना बनाए। साथ ही, इन स्थानों पर पर्यटन बढ़ाने के लिए भी कदम उठाए जाएं, ताकि लोग इन स्थलों को देख सकें और हमारी सांस्कृतिक धरोहर के बारे में जान सकें।
पंडित मिश्रा ने इस दिशा में सभी राज्य सरकारों से अपील की है कि वे एक समान रूप से इस पहल में शामिल हों और सनातन धर्म के अवशेषों को हिंदू समाज को सौंपने की प्रक्रिया को तेज करें।
भारत में मिल रही सनातन धर्म की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरें सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि यह हमारी वर्तमान और भविष्य को भी प्रभावित कर सकती हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा की अपील इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है। इन अवशेषों को वापस हिंदू समाज को सौंपने से न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होगा, बल्कि यह धार्मिक और सामाजिक सौहार्द को भी बढ़ावा दे सकता है। यह कदम हमें अपने इतिहास और संस्कृति को सम्मान देने का अवसर प्रदान करेगा।