Bangladesh में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा ने न केवल उस देश के भीतर, बल्कि भारत समेत विभिन्न देशों में चिंता की लहर पैदा कर दी है। इस हिंसा का असर अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में पढ़ रहे बांग्लादेशी छात्रों पर भी पड़ने लगा है। जब से बांग्लादेश में हिंदू विरोधी दंगे और अत्याचार बढ़े हैं, तब से इन छात्रों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
बांग्लादेशी छात्रों में बढ़ी चिंता
एएमयू में पढ़ाई करने वाले बांग्लादेशी छात्र अब अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उनका मानना है कि यदि हिंसा का यह दौर जारी रहा, तो उनकी स्थिति भी खतरनाक हो सकती है। उनके बीच यह डर भी व्याप्त है कि कहीं उन्हें यहां से निकालने की कोशिश न की जाए। इस बीच, दाराशिकोह फाउंडेशन के अध्यक्ष मोहम्मद आमिर राशिद ने एएमयू प्रशासन से स्पष्ट रूप से मांग की है कि इन छात्रों को जल्दी से जल्दी भारत से वापस भेजा जाए। उनका कहना है कि अगर ऐसा नहीं किया गया, तो ऐसे छात्रों को चिन्हित कर एएमयू से निकालने की स्थिति भी बन सकती है। उनके इस बयान ने एएमयू प्रशासन के बीच एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
एएमयू का रुख
हालांकि, एएमयू प्रशासन ने इन चिंताओं के बीच आश्वासन दिया है कि वे बांग्लादेशी छात्रों की सुरक्षा को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय छात्र सलाहकार प्रो. सैयद अली नवाज जैदी ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का प्रशासन विदेशी छात्रों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश में हुई घटनाओं के संदर्भ में बांग्लादेशी दूतावास से अभी तक कोई आधिकारिक संपर्क नहीं हुआ है।
बांग्लादेश में हिंसा का हालिया संदर्भ
जुलाई 2024 में बांग्लादेश में स्थिति उस समय और बिगड़ गई जब विभिन्न शहरों में हिंसक घटनाएं हुईं। इन घटनाओं ने पूरे देश में अस्थिरता पैदा कर दी, जिसके कारण कई जगह कर्फ्यू लगाया गया। हिंदू समुदाय पर हमले और उनके पूजा स्थलों को निशाना बनाना एक प्रमुख समस्या बन गई। अगस्त 2024 में, जब एएमयू में पढ़ाई का सत्र शुरू हुआ, तो बांग्लादेशी छात्र भारी संख्या में विश्वविद्यालय नहीं आ सके थे। हालात के सामान्य होने के बाद ही उनका आना शुरू हुआ।
यूनिवर्सिटी का सुरक्षा प्रबंध
एएमयू प्रशासन ने अपनी तरफ से बांग्लादेशी छात्रों की सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए हैं। प्रो. सैयद अली नवाज जैदी ने बताया कि यदि कोई भी सुरक्षा संबंधी समस्या उत्पन्न होती है, तो विश्वविद्यालय उसे गंभीरता से लेगा और तत्काल उपाय करेगा। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने एक विशेष सुरक्षा योजना बनाई है, जिसमें बांग्लादेशी छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर रहने के लिए निर्देशित किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय चिंताओं का असर
Bangladesh में हुई हाल की घटनाओं ने न केवल एएमयू, बल्कि अन्य भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों के बीच भी चिंता का माहौल बना दिया है। एएमयू की एक छात्रा ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हमारे लिए यह मुश्किल है कि हम अपनी पढ़ाई और भविष्य को लेकर आश्वस्त रह सकें जब हमारे देश में हमारी सुरक्षा को लेकर सवाल उठते हैं।”
दाराशिकोह फाउंडेशन की प्रतिक्रिया
मोहम्मद आमिर राशिद ने बांग्लादेशी छात्रों की स्थिति को लेकर अपनी चिंताओं का इज़हार करते हुए कहा, “हम यह नहीं देख सकते कि हमारे देश के युवा संकट में हों। एएमयू प्रशासन को चाहिए कि वह इन छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए, और अगर जरूरत हो तो उन्हें वापस उनके देश भेजने का भी उपाय करें।”
एएमयू प्रशासन का एक्शन प्लान
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एएमयू प्रशासन ने छात्रों की सुरक्षा को लेकर एक खास टीम गठित की है जो विदेशी छात्रों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखेगी और उनकी समस्याओं का समाधान करेगी। इसके अलावा, प्रशासन ने बांग्लादेशी छात्रों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों से भी अवगत कराया है, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के संकट प्रबंधन प्रशिक्षण शामिल हैं।
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर विभिन्न स्थानीय संगठनों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनके अनुसार, अगर एएमयू जैसी प्रतिष्ठित संस्था में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की सुरक्षा पर कोई संकट उत्पन्न होता है, तो यह पूरे देश की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी असर डाल सकता है।
अर्थात, सुरक्षा और समर्थन का मुद्दा
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक स्तर पर शैक्षिक संस्थानों को छात्रों की सुरक्षा से संबंधित मामलों में सतर्क रहना जरूरी है। एएमयू जैसे विश्वविद्यालय, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान रखते हैं, को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके परिसर में पढ़ाई कर रहे छात्र किसी भी प्रकार की हिंसा या खतरे से सुरक्षित रहें।
समाप्ति की ओर
इस समय, एएमयू प्रशासन का प्रयास यह दिखा रहा है कि वे अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं और उन्हें सुरक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, भविष्य में क्या स्थिति बनेगी, यह देखना बाकी है, लेकिन फिलहाल बांग्लादेशी छात्रों की चिंता और उनके लिए किए जा रहे उपाय इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाते हैं।
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