Mahoba जिले में पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाली घटना ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। जिले में तैनात पीएसी के सिपाही अखिलेश कुमार ने अपने ही विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उनकी बाइक की चोरी और पुलिस द्वारा न्याय न देने की बात को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसने हर जगह चर्चा का माहौल बना दिया है। यह मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि पुलिस महकमे की कर्तव्यनिष्ठा पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं, खासकर तब जब एक सिपाही खुद न्याय की गुहार लगाते हुए नजर आए।
घटना का विवरण
11 नवंबर को अखिलेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने अपनी समस्या का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 9 नवंबर को उनकी बाइक फतेहपुर जिले के अमौली कस्बे में एक शादी में चुराई गई थी। सिपाही ने तुरंत ही स्थानीय चौकी इंचार्ज अलोक कुमार को इस बारे में सूचित किया। इसके बावजूद, एफआईआर दर्ज कराने में एक सप्ताह से अधिक का समय लग गया। अखिलेश कुमार का कहना है कि उन्हें कई बार सीओ साहब को फोन करना पड़ा और कई बार फोटो और वीडियो सबूत देने के बावजूद चौकी इंचार्ज ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
पुलिस का जवाब और विभागीय जांच
इस मामले को लेकर एएसपी वंदना सिंह ने जानकारी दी कि वायरल हुए वीडियो की जांच सीओ सिटी दीपक दुबे को सौंप दी गई है। उन्होंने कहा कि जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। इस पूरे घटनाक्रम ने महोबा में पुलिस विभाग की छवि पर सवालिया निशान लगा दिया है। एक सिपाही, जो खुद एक सुरक्षा बल का हिस्सा है, यदि वह इस तरह के अनुभव से गुजर रहा है तो आम नागरिकों के लिए न्याय की उम्मीद कितनी होगी, यह एक बड़ा सवाल है।
वीडियो का कंटेंट और सिपाही की बातें
वीडियो में अखिलेश कुमार ने भावुक अंदाज में कहा, “जय हिंद दोस्तों! मैं कांस्टेबल अखिलेश कुमार, महोबा जिले में पीएसी में तैनात हूं। मेरी बाइक चोरी हो गई है। 9 नवंबर को मेरे भाई फतेहपुर जिले के अमोली कस्बे में एक शादी में बाइक लेकर गए थे। बाइक चोरी की सूचना मैंने अमोली चौकी इंचार्ज अलोक कुमार को दी थी। एक हफ्ते बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। एफआईआर दर्ज कराने के लिए मुझे सीओ साहब से कई बार फोन कराना पड़ा। वीडियो और फोटोज भी मैंने दिए थे। अब चौकी इंचार्ज कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। न ही वह वृंदावन मैरिज गार्डन जाते हैं।”
आम जनता की स्थिति पर सवाल
अखिलेश कुमार का यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि पुलिस की कार्यशैली में गंभीर खामियां हो सकती हैं। अगर एक सिपाही को इस तरह के अनुभवों का सामना करना पड़ रहा है, तो सोचिए आम लोगों को क्या दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा। क्या आम नागरिकों के मामले में पुलिस इतनी तत्परता से कार्रवाई करती है? यह सवाल अब पूरे जिले और राज्य की पुलिस व्यवस्था पर एक बड़ा दाग बना है।
सोशल मीडिया पर गरमाया मुद्दा
वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह घटना पुलिस विभाग के लिए एक शर्मनाक उदाहरण है और इसने उनके प्रति जनता की संवेदना को चोट पहुंचाई है। कई लोगों ने यह भी कहा कि सिपाही के वीडियो के माध्यम से उनका दर्द और पुलिस विभाग की लचर व्यवस्था का मुद्दा पूरे देश में उठाना जरूरी है।
महोबा की पुलिस व्यवस्था पर सवाल
महोबा जिले के स्थानीय निवासी भी इस घटना पर आश्चर्यचकित हैं। उनका कहना है कि इस तरह के मामलों में पुलिस की निष्क्रियता यह सवाल खड़ा करती है कि क्या पुलिस महकमा केवल अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम है या नहीं। इस घटना के बाद, स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाए हैं और इसकी जांच की मांग की है।
क्या कदम उठाए जाएंगे?
इस पूरी घटना ने महोबा पुलिस विभाग को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे अपनी कार्यप्रणाली को सुधार सकते हैं और आम लोगों का भरोसा कैसे जीत सकते हैं। पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और यदि जांच में कोई लापरवाही पाई जाती है तो उचित कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, यह भी बताया गया कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए पुलिस की प्रैक्टिस में सुधार करने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी।
यह मामला सिर्फ एक बाइक चोरी का नहीं है, बल्कि यह पुलिस व्यवस्था की वास्तविकता को उजागर करने वाला है। जब एक सिपाही, जो खुद कानून का रक्षक है, अपने ही महकमे से न्याय की उम्मीद नहीं कर पा रहा हो, तो इसका मतलब है कि व्यवस्था में गंभीर सुधार की आवश्यकता है। महोबा जिले का यह मामला पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार की मांग को और तेज कर देता है। क्या पुलिस विभाग अपनी छवि को सुधारने और आम जनता का विश्वास वापस पाने के लिए ठोस कदम उठाएगा? यह सवाल अब हर कोई जानने के लिए बेताब है।
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