Kanpur: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में एक बार फिर से एक घिनौनी घटना सामने आई है, जिसमें आठ साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ। यह घटना बिठूर थाने के टिकरा चौकी क्षेत्र में शनिवार को घटी, जब बच्ची स्कूल से लौटते समय एक आरोपी द्वारा शिकार बनी। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अब इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में जल्द ही होगी, ताकि आरोपी को शीघ्र सजा दिलाई जा सके।
घटना का विवरण: दर्दनाक सच
शनिवार दोपहर को स्कूल से लौटते वक्त आठ साल की मासूम बच्ची को गांव में ही रहने वाले एक मजदूर हसन ने अपनी दरिंदगी का शिकार बना लिया। बच्ची ने अपने बयान में कहा कि आरोपी ने अचानक पीछे से आकर उसे पकड़ लिया, उसका मुंह बंद कर दिया और फिर उसे एक सुनसान जगह, जो एक खाली प्लॉट था, खींच लिया। वहां उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। मासूम की चीखें सुनकर पास के लोग वहां पहुंचे और आरोपी को पकड़ लिया। ग्रामीणों ने उसे बुरी तरह से पीटा और फिर पुलिस को सौंप दिया।
मासूम का बयान और पुलिस कार्रवाई
पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि आरोपी ने उसे डरा-धमकाकर चुप रहने की धमकी दी थी, लेकिन उसके बाद भी बच्ची ने शोर मचाया, जिससे आरोपी पकड़ा गया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और उसी दिन उसे मेडिकल जांच के लिए भेजा। आरोपी हसन के खिलाफ पोक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है, और अब पुलिस ने इस मामले में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए चार्जशीट दाखिल करने का निर्णय लिया है।
डीसीपी पश्चिम राजेश सिंह ने बताया, “इस मामले में हम जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करेंगे और फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस केस की सुनवाई कराएंगे ताकि आरोपी को जल्द से जल्द सजा मिल सके। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय में कोई देरी न हो।”
आरोपी के खिलाफ सख्त धाराएं लगाई गईं
आरोपी हसन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 354 (महिला से छेड़छाड़), और पोक्सो एक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इसके साथ ही एससी/एसटी एक्ट की भी धारा लगाई गई है, क्योंकि पीड़िता अनुसूचित जाति से संबंधित है। डीसीपी ने बताया कि आरोपी का मेडिकल बिठूर सीएचसी में कराया गया और जांच के बाद उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया।
न्याय के प्रति प्रशासन की गंभीरता
मामला समाज में आक्रोश और चिंता का विषय बन गया है, और अब पुलिस प्रशासन पर दवाब है कि वह दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाए। डीसीपी ने इस घटना की गंभीरता को समझते हुए कहा कि पुलिस इस मामले में कोई लापरवाही नहीं बरतेगी और आरोपित को जल्द सजा दिलवाने के लिए सभी कानूनी प्रक्रियाओं को तेजी से पूरा करेगी।
“हम इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजने के लिए तैयार हैं, ताकि मामले की सुनवाई जल्दी हो और आरोपी को शीघ्र सजा मिले,” डीसीपी ने बताया। इस तरह के मामलों में जल्दी न्याय दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, जिससे दोषी को सजा दिलाने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
बच्चों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत
यह घटना एक बार फिर से यह साबित करती है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों में तेजी से वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कड़े कानूनों की आवश्यकता है, और साथ ही समाज में जागरूकता फैलाना भी जरूरी है। पुलिस को भी इस तरह के मामलों में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि अपराधी को जल्द सजा मिले और अन्य अपराधों की रोकथाम हो सके।
बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों और समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करना होगा। बच्चों को हर जगह सुरक्षित माहौल देना समाज की जिम्मेदारी है, और इसके लिए कड़े कानून और समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
पॉक्सो एक्ट और बच्चों के खिलाफ अपराध
पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) एक महत्वपूर्ण कानून है, जो बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए बनाए गए हैं। इसके तहत, बच्चों से जुड़े यौन अपराधों की गंभीरता को समझते हुए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। इस एक्ट के तहत आरोपी को सजा दिलवाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की जाती है, जिससे आरोपियों को जल्द सजा मिल सके और पीड़ित बच्चों को न्याय मिल सके।
पुलिस और प्रशासन की तत्परता
पुलिस प्रशासन ने इस मामले में तुरंत प्रतिक्रिया दिखाई और आरोपी को जल्द गिरफ्तार कर लिया। यह घटना साबित करती है कि पुलिस और प्रशासन यदि समय पर और गंभीरता से कार्रवाई करें, तो अपराधों को रोकने और न्याय दिलवाने में मदद मिल सकती है। इस दिशा में सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके.