Chief Minister Yogi Adityanath ने सोमवार को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली की समीक्षा करते हुए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश में चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उनकी यह प्रतिबद्धता न केवल राज्य के विकास को दर्शाती है, बल्कि प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य के प्रति उनकी गहरी चिंता को भी उजागर करती है।
चिकित्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार
Chief Minister Yogi Adityanathने बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश के 64 जनपद मेडिकल कॉलेजों से आच्छादित हैं, और शीघ्र ही ऐसे अन्य जनपदों को भी मेडिकल कॉलेजों की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना है। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में पहुंचाने में सहायक साबित होगा। उन्होंने निर्देश दिया कि 70 वर्ष से अधिक आयु के प्रदेशवासियों को आयुष्मान कार्ड का लाभ शीघ्रता से प्रदान किया जाए। इससे न केवल वृद्धजनों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलेगा, बल्कि यह प्रधानमंत्री मोदी की स्वास्थ्य योजना के प्रति प्रदेश सरकार की गंभीरता को भी दर्शाता है।
संचारी रोगों के नियंत्रण के लिए विशेष अभियान
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 2017 में संचारी रोगों के नियंत्रण के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की थी, जिसमें डेंगू, मलेरिया, इंसेफेलाइटिस, काला जार और चिकनगुनिया जैसे रोगों पर काबू पाने का प्रयास किया गया। यह अभियान प्रतिवर्ष अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है, जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता लोगों को जागरूक करते हैं। आगामी दो माह इन संचारी रोगों के लिए संवेदनशील बताए गए हैं, और मुख्यमंत्री ने सभी विभागों से समन्वय के माध्यम से इस दिशा में कार्य करने का निर्देश दिया।
स्वच्छता का महत्व
17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चल रहे स्वच्छता पखवाड़े का भी उल्लेख करते हुए, मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया कि अधिक से अधिक लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जाए। उन्होंने गाजियाबाद में एम्स सैटेलाइट सेंटर और बलरामपुर में केजीएमयू के सैटेलाइट सेंटर की स्थापना की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। सभी चिकित्सा संस्थानों में स्वच्छता और साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
डॉक्टरों की भर्ती और मानदेय
मुख्यमंत्री ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा कि प्रिंसिपल, डॉक्टरों और अन्य सहयोगी स्टाफ की भर्ती की प्रक्रिया को तेज किया जाए। इसके साथ ही, उन्होंने विशेषज्ञ डॉक्टरों को आकर्षित करने के लिए अच्छे मानदेय और कार्य के अनुसार इंसेंटिव प्रदान करने का सुझाव दिया। इससे न केवल बेहतर चिकित्सा सेवाएं मिलेंगी, बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने के लिए योग्य व्यक्तियों को प्रेरित भी किया जाएगा।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
प्रदेश सरकार ईज ऑफ डूइंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में भी प्रयासरत है। निजी अस्पतालों के बेहतर कार्यों को देखते हुए उनके रजिस्ट्रेशन की समयावधि को कम से कम तीन से पांच वर्ष करने की योजना है। यह कदम निजी क्षेत्र के अस्पतालों को प्रोत्साहित करेगा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।
स्वास्थ्य उपकरणों का रखरखाव
सभी मेडिकल कॉलेजों को अपने अस्पतालों में चिकित्सकीय उपकरणों जैसे एक्स रे मशीन, अल्ट्रासाउंड मशीन, सीटी स्कैन, एमआरआई मशीन आदि के रखरखाव के लिए एक कॉर्पस फंड बनाने की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे न केवल उपकरणों की कार्यक्षमता बनी रहेगी, बल्कि मरीजों को भी बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
हेल्थ वॉलंटियर्स का योगदान
कोरोना काल में हेल्थ वॉलंटियर्स के अनुभवों का लाभ उठाने के लिए भी योगी सरकार ने निर्णय लिया है। इन वॉलंटियर्स ने कठिन समय में जिस प्रकार से सेवा की है, वह प्रेरणादायक है। उनकी जानकारी और अनुभव का उपयोग करके स्वास्थ्य विभाग अपनी योजनाओं को और प्रभावी बना सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ये पहलें उत्तर प्रदेश में चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए एक ठोस कदम हैं। इन योजनाओं के माध्यम से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि राज्य के समग्र विकास में भी सहायता मिलेगी। यह सरकार की नीति है कि वह हर नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करे और प्रदेश के विकास में स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी एक नई ऊंचाई पर ले जाए।